कविता : एक प्यारा सा बादल
अक्सर आँखों में आकर
कर जाता गीला काजल
एक प्यारा सा बादल
मैं छुईमुई सी घबराती
गरजन सी बातें करता
मुझसे आकर पागल
एक प्यारा सा बादल
मैं फुदकन सी गोरैया
नभ ऊँचा मुझे दिखाता
बिजली सी चमकाकर
एक प्यारा सा बादल
मैं आंगन की चंपा, चमेली
मेरी खिलती रंगत को
लेकर आता सावन
एक प्यारा सा बादल
जग का ताप झुलसा न दे
मेरी काया कोमल
छाया देता साथ में चलता
बनकर मेरी चादर
एक प्यारा सा बादल