Slim body ke liye kya kare : सूर्य नमस्कार को करने में बहुत समय लगता है और बाकि के योगासनों का तो अभ्यास करना होगा। ऐसा कोई सा आसना बताएं कि जल्दी से हो जाए और उसमें ज्याद मेहनत भी नहीं लगे। तो चलिए हम आपको एक ही असान बनाएंगे जिसे आप यदि प्रतिदिन करते हैं तो आपकी बॉडी स्लिम हो जाएगी।
धनुरासन योग करें : संस्कृत शब्द धनुष का अर्थ है घुमावदार या मुड़ा हुआ? इस आसन को करने से शरीर की आकृति खींचे हुए धनुष के समान हो जाती है, इसीलिए इसको धनुरासन कहते हैं।
सावधानी : जिन लोगों को रीढ़ की हड्डी का अथवा डिक्स में तकलीफ हो, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए। पेट संबंधी कोई गंभीर रोग हो तो भी यह आसन न करें।
आसन लाभ : यह आसन मेरुदंड को लचीला एवं स्वस्थ बनाता है। पेट की चर्बी कम होती है। हृदय मजबूत बनाता है। गले के तमाम रोग नष्ट होते हैं। कब्ज दूर होकर जठराग्नि प्रदीप्त होती है। श्वास की क्रिया व्यवस्थित चलती है। सर्वाइकल, स्पेंडॉलाइटिस, कमर दर्द एवं उदर रोगों में लाभकारी आसन है। स्त्रियों की मासिक धर्म सम्बधी विकृतियों में लाभप्रद है। गुर्दों को पुष्ट करके मूत्र-विकारों को दूर करता है।
आसन विधि :
स्टेप 1- सर्वप्रथम मकरासन में लेट जाएं। मकरासन अर्थात पेट के बल लेट जाएं।
स्टेप 2- ठोड़ी को भूमि पर टिका दें। हाथ कमर से सटे हुए और पैरों के पंजे एक-दूसरे से मिले हुए। तलवें और हथेलियां आकाश की ओर रखें।
स्टेप 3- घुटनों को मोड़कर दाहिने हाथे के पंजे से दाहिने पैर और बाएं हाथ के पंजे से बाएं पैर की कलाई को पकड़ें।
स्टेप 4. सांस लेते हुए पैरों को खींचते हुए ठोड़ी-घुटनों को भूमि पर से उठाएं तथा सिर और तलवों को समीप लाने का प्रयत्न करें।
स्टेप 5- जब तक आप सरलता से सांस ले सकते हैं इसी मुद्रा में रहें। फिर सांस छोड़ते हुए पहले ठोड़ी और घुटनों को भूमि पर टिकाएं। फिर पैरों को लंबा करते हुए पुन: मकरासन की स्थिति में लौट आएं।
अवधि/ दोहराव : सांसों की गति को सामान्य बताते हुए धनुरासन की मुद्रा में आप एक से तीन मिनट तक रह सकते हैं। इस आसन को आप दो या तीन बार कर सकते हैं।
क्यों करें नौकासन : हर आसन को करने के बाद उसका विपरीत आसन भी करते हैं। नौकासन को धनुरासन विपरीत आसन कहते हैं। इस आसन की अंतिम अवस्था में हमारे शरीर की आकृति नौका समान दिखाई देती है, इसी कारण इसे नौकासन कहते हैं।
सावधानी : शरीर को ऊपर उठाते समय दोनों हाथ-पैर के अंगुठे और सिर का भाग एक सीध में हो। अंतिम अवस्था में पैर के अंगुठे और सिर का भाग सीध में नहीं आता है, तो धीरे-धीरे अभ्यास का प्रयास करें। जिसे स्लिप डिस्क की शिकायत हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए। मेरुदंड में कड़ापन या पेट संबंधी गंभीर रोग हो तो भी यह आसन न करें।
आसन लाभ : इससे पाचन क्रिया, छोटी-बड़ी आंत में लाभ मिलता है। अंगुठे से अंगुलियों तक खिंचाव होने के कारण शुद्ध रक्त तीव्र गति से प्रभावित होता है, जिससे काया निरोगी बनी रहती है। हर्निया रोग में भी यह आसन लाभदायक माना गया है।
आसन विधि : पीठ के बल लेट जाते हैं। एड़ी-पंजे मिले हुए दोनों हाथ साइड में हथेलियां जमीन पर तथा गर्दन को सीधी रखते हैं। अब दोनों पैर, गर्दन और हाथों को धीरे-धीरे समानांतर एक-साथ ऊपर की ओर उठाते हैं। अंतिम अवस्था में पूरे शरीर का वजन नितंब के ऊपर रखना चाहिए।