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Last Updated : सोमवार, 26 अगस्त 2024 (17:36 IST)

नई पेंशन स्कीम UPS पर कर्मचारी संगठनों में दो फाड़, विधानसभा चुनाव फिर OPS फिर बनेगा चुनावी मुद्दा

नई पेंशन स्कीम UPS पर कर्मचारी संगठनों में  दो फाड़, विधानसभा चुनाव फिर OPS फिर बनेगा चुनावी मुद्दा - There is a split in employee organizations over the new pension scheme UPS.
लोकसभा चुनाव में अपने बल पर बहुमत नहीं पाने के बाद अब मोदी सरकार नाराज वर्ग को मनाने की कोशिश करती दिख रही है। सरकार गठन के पहले 60 दिनों में जहां उसको कई मुद्दों पर अपने पैर वापस खींचने पड़े वहीं अब मोदी सरकार ने एनपीएस के मुद्दे पर नाराज चल रहे है, कर्मचारियों को मनाने की कोशिश की है। पिछले हफ्ते मोदी कैबिनेट ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक नई पेंशन योजना यूनीफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को अपनी मंजूरी दी है।

मोदी सरकार ने कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना का एलान ऐसे समय किया जब जम्मू कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव चल रहे है और हरियाणा में विपक्ष ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली को अपना मुख्य बनाया है। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश के चुनाव में भी ओल्ड पेंशन स्कीम बड़ा मुद्दा थी और चुनाव में कांग्रेस को इसका सीधा फायदा मिला था।

ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या यूनीफाइड पेंशन स्कीम कर्मचारियों की नाराजगी दूर कर पाएगी। इसको लेकर वेबदुनिया ने ओपीएस की बहाली को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन चला रहे है नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु और देश के सबसे बड़े कर्मचारी संगठन एआईआरएफ के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा से खास बातचीत की।

OPS से कम कुछ मंजूर नहीं- 'वेबदुनिया' से बातचीत में नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु कहते हैं कि यूनीफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) कर्मचारियों के साथ धोखा है और ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर उनकी लड़ाई जा रहेगी। वह कहते हैं कि नेंशल पेंशन स्कीम (NPS) और यूनीफाइड पेंशन स्कीम (UPS) दोनों खराब है और कर्मचारियों  के हित में नहीं है इसलिए हमारी लड़ाई ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के लिए जारी रहेगी। वह कहते हैं कि हमें इन सुधारों और संशोधनों पर कोई विश्वास नहीं है।

कर्मचारी नेता विजय कुमार बंधु कहते हैं कि जो कर्मचारी नेता यूपीएस का समर्थन कर रहे है वह सब ओपीएस ले रहे है और ऐसे में वह कही न कहीं ओपीएस को  लेकर चल रही हमारी लड़ाई को कमजोर करने की कोशिश कर रहे है। वह कहते हैं कि एक भी कर्मचारी जो NPS ले रहा है वह यूपीएस का समर्थन में नहीं है।

वेबदुनिया से बातचीत में विजय कुमार बंधु कहते हैं अगर सरकार उनकी मांगे नहीं मानती है तो वह अपने आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे और आने वाले समय में हड़ताल पर जाने जैसा बड़ा फैसला करेंगे। वहीं  में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे है वहां पर वह वोटर फॉर ओपीसी (VOTE FOR OPS) की मांग को लेकर जनता के बीच जाएंगे और इसको लेकर अभियान चलाएंगे।

UPS का विरोध राजनीतिक एंजेडा-वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार के इस कदम की तारीफ भी कर्मचारी संगठन के नेता कह रहे है। रेलवे कर्मचारी संगठन एआईआरएफ के महासचिव और कर्मचारी नेता शिव गोपाल मिश्रा वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं कि यूपीएस का विरोध करने वाले अपने राजनीतिक स्वार्थ के चलते विरोध कर रहे है और वह इसका विरोध कर इस पर राजनीति करना चाह रहा है। वह एनपीएस की तुलना में यूपीएस का बेहतर बताते हुए कहते हैं कि पुरानी पेंशन योजना और नई पेंशन योजना में मूल अंतर ये है कि ओपीएस नॉन कॉन्ट्रीब्यूट्री थी और एनपीएस कॉन्ट्रीब्यूट्री है। इसमें 10 प्रतिशत कर्मचारी का भी कटेगा, ये पहले भी कटता था, लेकिन यह ब्याज के साथ रिटर्न हो जाता था।

वह आगे कहते है कि यूपीएस में कर्मचारियों को वेतन का 50 फीसदी देने का एलान करने के साथ उनकी पेंशन को सुनिश्चित किया गया है। इसके साथ इसमें महंगाई राहत भी दिया जाएगा। जिससे कर्मचारी रिटायरमेंट के समय पैसे मांगने के लिए मजबूर नहीं होंगे और किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा। वह कहते हैं कि एनपीएस किसी भी नजरिए से कर्मचारियों के हित में नहीं थी। केंद्र सरकार के कर्मचारियों को एनपीएस और यूपीएस के बीच चयन करने का विकल्प दिया जाएगा। केंद्र सरकार के एनपीएस ग्राहकों को यूपीएस पर स्विच करने का विकल्प भी दिया जाएगा।
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