• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. कथा-सागर
  4. a short story about lock down

lockdown story : रज्जन बी का मास्क

lockdown story : रज्जन बी का मास्क - a short story about lock down
रज्जन बी के पैरों व घुटनों में दर्द रहने लगा था ।पिछले महीने ही बाज़ार से सौदा लाते समय किसी मोटरसाइकिल सवार ने टक्कर मार दी थी। हड्डियां तो सलामत रहीं लेकिन हाथ-पैर में गहरी चोट लग गई।कुछ दिन ड्रेसिंग भी होती रही।
 
इस उम्र में  भी उनके दो ही तो शौक़ थे,जिसे घर के अन्य कामकाज में हाथ बँटाने के बाद कर पाती थीं।एक तो सिलाई दूसरी क़सीदा कढ़ाई।सिलाई मशीन वालदियन ने शादी में दी थी। गुज़रे वक़्त की कुछ बडे थाल ,हांडी व सिपरी भी बराए याद रह गये थे जिन्हें आते जाते नाती पोते हँसी मज़ाक़ करते आज दादी के दहेज की सिपरी में बिरयानी बनेगी।। 
 
लेकिन ये मशीन इस सिलाई मशीन से उन्हें कुछ ख़ासा लगाव था यह जैसे उनके इशारों को समझती थी।एक ज़माना था किसी भी तरह के कट व डिज़ाइन के कपड़े देख लेने भर से तुरंत बना लेती थीं।मशीन में उनके पैर लयबद्ध लहराते ।रंग उनकी आँखों में घेरा डाल नाचते थे ।फूलों और पत्तियों के घुमाव व शेडिंग देखते बनती थी। उँगलियों पर कैंची की धार इशारों को समझती थी। अपने बेटे -बेटियों व घर की ज़रूरतों के लिए तो वे कपड़े सिलती ही थीं ,उनका हुनर देख धीरे -धीरे लोगों से भी ऑर्डर मिलने लगे थे।लेकिन अब तो सब कुछ बदल रहा है मशीन के पास खड़ी वह उस पर हाथ फेरना नही भूलतीं।
 
गया वो ज़माना जब ख़ूब कपड़े सिले व आमदनी भी मिली ।आजकल के बच्चों को यह सब पसंद ही नही ।।।।अब कभी कभार मशीन पर उधड़े कपड़े सिल पाती थी।बावजूद इसके अपनी मशीन कभी कमरे से बाहर नहीं रखने दी ।लेकिन इस कम्बख़्त एक्सीडेंट के बाद बेटे मुराद ने कमरे से सिलाई मशीन हटवा दी ।बहू ने मशीन को उतार उसके स्टैंड पर प्लास्टिक कवर चढाया ,लकड़ी का पतला फट्टा रख बैठक में दीवार के साथ रखने वाला टेबल बना लिया।
 
रज्जन बी ने ही  उसका कपड़े का कवर बनाया था जिस पर बहुत पहले कुछ बेलबूटे नमूने की तरह उतारे थे ।शादी के समय का बनाया एक मेज़पोश अब भी अच्छी हालत में था जिसे अलमारी में संभाल रखा था ख़ास मेहमानों के आने पर गाहेबगाहे सेंटर टेबल पर सजाया जाता था और उनके जाने के तुरंत बाद उतार लिया जाता था।
 
जिसपर रंगबिरंगे गुलों व बेलों के पास हैट लगाए पेड़ से टिक कर एक विलायती मेम छाता लिए खड़ी थी ।ठंडी साँस भरते वह मेज़पोश सिलाई मशीन पर  रख दिया गया था ।मानो उसे अलविदा कह रही हो।आते जाते अनायास ही उस पर वे हाथ फ़िरा देती थीं।
 
इन दिनो एक अजीब ख़ौफ़नाक वाइरस का साया हर किसी को अपने आसपास डोलता नज़र आ रहा था वह भी अपने परिवार के लिए फ़िक्रमंद हो चली थी ।
 
रात मुराद प्राइवेट अस्पताल से अपनी ड्यूटी पूरी कर घर पहुँचा था। नहाने के बाद एहतियातन अपने सारे कपड़े धोकर पीछे बरामदे में सुखाने चले गया।उसके पास दो ही मास्क थे उसमें से एक का इलास्टिक निकल गया था जिसे माँ को हाथ से टाँका लगवाने के लिए दे दिया।
 
रज्जन बी भी टीवी ,अख़बारों में क़ोरोना और उसकी बढ़ती रफ़्तार से वाक़िफ़ थीं। कुछ दिनो से विदेशों में लॉक्डाउन व कर्फ़्यू जैसी बातें टीवी पर देख समझ रही थी। मुराद ने उन्हें बताया था आजकल बाज़ार में इनकी दिक़्क़त है लोग दोहरी क़ीमत पर बेच रहे हैं और काफ़ी लोगों के पास है भी नहीं।सुरक्षा के लिहाज़ से यह सबके पास होना चाहिए।
 
  मास्क रज्जन बी के हाथ में था ।उन्होंने ध्यान से देखा और मुराद से कहा ये नीला मास्क तो दो तीन धुलाई में फट जाएगा इसमें क्या बड़ी बात है ।ऐसा मैं तुम्हें कपड़े का बना दूँगी ।दो तीन प्लीटस ही तो डालने हैं डालने हैं । मैं इससे भी बेहतर व मज़बूत बना सकती हूँ ।
 
घर पर तर्क वितर्क शुरू हो गए और रज्जन बी के जवाब भी ....
 
मैं बिल्कुल तंदुरुस्त हूँ...
बस पैर ही दुखेगा ना...
ज़ख़्म तो भर चुका है... 
दो चार दिन और दवाई खा लूँगी ।अब इंसानियत का तकाज़ा है।मुझे भी कुछ नेक काम करने दो।
 
सब के तर्कों पर नेकनियती के इरादे भारी पड़े।
 
बैठक का टेबल फिर  मशीन में तब्दील हो कमरे में आ गया।
 
रज्जन बी ने बुर्क़ा बनाने के लिए रखा कपड़ा उठाया उसमें सूती कपड़े की तह लगायी और  मास्क बनाने शुरू कर दिए है ।सुबह से जो शुभ शुरुआत हुई क़रीबन पचास मास्क तैयार कर दिए ,उन्हें साबुन से धोया और नसीहत देकर आस पास के लोगों में बँटवा दिया ।
 
 देखा देखी उनकी छोटी पोती ने फ़रमाइश की दादी मुझे तो इसमें आपके हाथ का फूल क़सीदा भी चाहिए और मेरी पसंद का भी।वह अपनी कार्टून वाली पुरानी फ्रौक ले आई।रज्जन बी अब बच्चों के लिए भी रंग बिरंगे मॉस्क बनाने में जुट गई ।बस्ती वाले उनके घर के बाहर आते जाते दूरी बनाकर मास्क ले जाते रहे।
 
कपड़ों की वैकल्पिक व्यवस्था मुराद कर लाया था और उन्हें बाँटने का ज़रिया भी ।कभी पैर में टीस उठती कभी आँखो में परेशानी तो कभी सिर भारी लेकिन वे रुकी नही ।
 
रज्जब बी की आँख तब नम हो गयीं जब लॉक डाउन के ठीक एक दिन पहले कॉलोनी में रहने वाली उनकी सहेली रामदुलारी जिससे कुछ महीनों से अबोला चल रहा था  की बड़ी बहू मास्क लेने के लिए घर के बाहर आ खड़ी थी।
 
माँजी ने आपको नमस्ते कहा है आप नेक काम में लग गई हैं ।कुछ कोरे कपड़े भी भिजवाए हैं ।मास्क के लायक़ हों तो मुराद भाई सही जगह बँटवा देंगे अगर आपको समय मिले तो।सब ठीक होने पर माँजी आपसे मिलने आएँगी।उसकी आँखो में कृतज्ञता के भाव थे। अल्लाह आप को सुरक्षित रखे ।
 
भगवान आप सब को भी सलामत रखे रज्जब बी ने कहा ।
उसे कहावत याद आ गई “नेकी कर कुएँ में डाल “बाक़ी फिर खुदा उस पानी की तासीर मीठी कर देता है ।
 
उसे नहीं मालूम था कि थाल बजाने या दिया लगाने से इस वाइरस का ख़ात्मा होगा या नहीं उसने घर पर पहले ही सबको राज़ी कर लिया था। रज्जन बी के शौहर व बच्चे पढ़े लिखे और वैसे  भी सुलझे क़िस्म के इंसान थे। वह अपने पड़ोसी से कुछ दीये एक रात पहले अपनी चहारदीवार पर ही रख देने को कह चुकी थी।रात को बाती लगाते सोचने लगी भले वाइरस का नाश हो ना हो लेकिन कहीं न कहीं कोई मिसाल तो बढ़ेगी।कहीं तो रौशनी होगी।
 
इन दिनों ज़रूरी सेवाओं में काम कर रहे लोगों को छोड़ सब अपने घर पर हैं ।घर की दीवारें ही ताबीज़ सी बन गई जिनके अंदर सब महफ़ूज़ थे।
 
रज्जन बी इस माहौल की मुरझाहट महसूस कर रही थी। खुदा जाने इस क़हर का ख़ात्मा कैसे होगा फ़िज़ा में अनकहा ख़ौफ़,शक घुलते जा रहा है ।आदम और विज्ञान के बनाये इस वाइरस का तोड़ अभी तक इंसान नही बना पाया है ।वह घर परिवार के लिए तो रोज़ दुआ करती थी लेकिन यह वक़्त लोगों को जगाने का भी है यह सोच वह अपने जान पहचान के लोगों को अब फ़ोन पर संयमित व नियम से रहकर इंसानियत व कायनात के लिए दुआ करने की समझाइश देने लगी ।
 
मुराद के दिखाए डिज़ाइन पर वह अगली किसी ज़रूरत के हिसाब से कुछ नया बनाने के लिए अपने को मुस्तैद करने लगी।रज्जन बी के पैर का दर्द छू मंतर हो चुका था।आसपास के माहौल को देख लग रहा था कुएँ के पानी में अब मिठास सी आने लगी।
ये भी पढ़ें
Hindi Poem : तुमसे मिलने के वो क्षण