कविता : हम भी मिट्टी, तुम भी मिट्टी
-विजय शर्मा
हम भी मिट्टी, तुम भी मिट्टी,
मिलगा हर कोई मिट्टी में।
फिर भी लगे हुए हैं सब,
चंद सिक्कों की गिनती में।
कोई ढूंढ रहा नाम यहां पर,
कोई खोज रहा माल।
मगर मिलेंगे सभी एक दिन,
इस प्यारी-सी मिट्टी में।
कोई इस मिट्टी के ऊपर जाएगा,
कोई इस मिट्टी के नीचे।
जाना सबको ही पड़ेगा,
इक मुट्ठीभर मिट्टी में।