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Written By WD Feature Desk
Last Modified: शुक्रवार, 31 मई 2024 (11:42 IST)

Vat Savitri Vrat 2024: वट सावित्री व्रत की पूजा विधि

Vat Savitri Vrat
Vat Savitri Vrat
Vat Savitri Vrat 2024: 6 जून 2024 को ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा जबकि 21 जून को वट पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा। प्रतिवर्ष यह व्रत दो बार किया जाता है, पहले ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी से अमावस्या तक और दूसरा ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी से पूर्णिमा तक। दोनों की ही पूजा विधि समान है। हिंदू धर्म में दोनों ही व्रतों को महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए करती हैं। हिन्दू धर्म में यह व्रत अखंड सौभाग्य का वरदान देने वाला माना गया है। इसीलिए सौभाग्यवती स्त्रियों का यह महत्वपूर्ण व्रत है। आओ जानते हैं वट सावित्री व्रत की पूजा विधि।
वट सावित्री व्रत पूजा विधि- Vat Savitri Vrat puja vidhi 
  • वट सावित्री व्रत के दिन व्रतधारी सुबह घर की साफ-सफाई करके नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • फिर पूरे घर में पवित्र जल का छिड़काव करें। तत्पश्चात बांस की टोकरी में सप्त धान्य भरकर ब्रह्मा जी की मूर्ति की स्थापना करें। 
  • ब्रह्मा के वाम पार्श्व में सावित्री की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद इसी प्रकार दूसरी टोकरी में सत्यवान तथा सावित्री की मूर्ति की स्थापना करें। 
  • इन टोकरियों को वट वृक्ष के नीचे ले जाकर रखें। इसके बाद ब्रह्मा जी तथा सावित्री का पूजन करें। 
  • फिर 'अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते। पुत्रान्‌ पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते।।' श्लोक से सावित्री को अर्घ्य दें। 
  • तत्पश्चात सावित्री तथा सत्यवान की पूजा करके बड़ की जड़ में पानी दें। 
  • फिर 'यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले। तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मा सदा।।' श्लोक से वटवृक्ष से प्रार्थना करें। 
  • पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल तथा धूप का प्रयोग करें।
  • जल से वट वृक्ष को सींचकर उसके तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर 3 बार परिक्रमा करें। 
  • बड़ के पत्तों के गहने पहनकर वट सावित्री की कथा सुनें।
  • भीगे हुए चनों का बायना निकालकर, नकद रुपए रखकर सासू जी के चरण स्पर्श करें। 
  • यदि सास वहां न हो तो बायना बनाकर उन तक पहुंचाएं।
  • पूजा समाप्ति पर ब्राह्मणों को वस्त्र तथा फल आदि वस्तुएं बांस के पात्र में रखकर दान करें।
  • फिर- 'मम वैधव्यादिसकलदोषपरिहारार्थं ब्रह्मसावित्रीप्रीत्यर्थं,सत्यवत्सावित्रीप्रीत्यर्थं च वटसावित्रीव्रतमहं करिष्ये।' बोलते हुए उपवास का संकल्प लेकर व्रत रखें। 
  • फिर वट वृक्ष के नीचे सावित्री-सत्यवान की कथा को पढ़ें, सुनें अथवा सुनाएं। 
  • मान्यानुसार इस तरह पूजन करने से मनवांछित फल प्राप्त होता है।
 
 
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