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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 30 मई 2024 (18:36 IST)

Vat savitri vrat 2024: वट सावित्री व्रत और वट पूर्णिमा व्रत में क्या अंतर है?

Vat Savitri Vrat puja 2024
Vat Savitri Vrat 2024: वट सावित्री व्रत और वट पूर्णिमा व्रत को लेकर कई बार कंफ्यूजन हो जाता है कि कौनसा व्रत क्या है। वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ अमावस्या के दिन रखते हैं और वट पूर्णिमा का व्रत ज्येष्‍ठ माह की पूर्णिमा के दिन रखते हैं। 6 जून को वट सावित्री अमावस्या और 21 जून 2024 को वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा।
1. वट सावित्री का व्रत अमावस्या को रखा जाता है जबकि वट पूर्णिमा का व्रत पूर्णिमा को रखा जाता है।
 
2. दो कैलेंडर होते हैं। पूर्णिमान्त कैलेण्डर में वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्या पर मनाया जाता है, जिस दिन शनि जयन्ती भी होती है। अमान्त कैलेण्डर में वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा पर मनाया जाता है।
 
3. वट सावित्री अमावस्या का व्रत खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, पंजाब और हरियाणा में ज्यादा प्रचलित है जबकि वट पूर्णिमा व्रत महाराष्ट्र, गुजरात सहित दक्षिण भारत के क्षेत्रों में प्रचलित है। 
 
4. स्कन्द व भविष्य पुराण के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को किया जाता है, लेकिन निर्णयामृतादि के अनुसार यह व्रत ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को करने का विधान है। 
 
5. पूर्णिमानता कैलेंडर के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है जिसे वट सावित्री अमावस्या कहते हैं जबकि अमानता कैलेंडर के अनुसार इसे ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को मनाते हैं, जिसे वट पूर्णिमा व्रत भी कहते हैं।
 
6. दोनों ही व्रत के दौरान महिलाएं वट अर्थात बरगद की पूजा करके उसके आसपास धागा बांधती है। 
 
7. वट वृक्ष का पूजन और सावित्री-सत्यवान की कथा का स्मरण करने के विधान के कारण ही यह व्रत वट सावित्री के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस व्रत में महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं, सती सावित्री की कथा सुनने व वाचन करने से सौभाग्यवती महिलाओं की अखंड सौभाग्य की कामना पूरी होती है। इस व्रत को सभी प्रकार की स्त्रियां (कुमारी, विवाहिता, विधवा, कुपुत्रा, सुपुत्रा आदि) इसे करती हैं। इस व्रत को स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगलकामना से करती हैं।
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