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Varalakshmi Vrat 2023: वरलक्ष्मी व्रत रखने से दूर होती है धन की तंगी, जानें महत्व और प्रामाणिक कथा

Varalakshmi Vrat 2023: वरलक्ष्मी व्रत रखने से दूर होती है धन की तंगी, जानें महत्व और प्रामाणिक कथा - Varalakshmi Vrat Katha 2023
- राजश्री कासलीवाल
 
Varalakshmi vrat 2023 : श्रावण के महीने में सावन पूर्णिमा या रक्षा बंधन के त्योहार से पहले आने वाला शुक्रवार के दिन का धार्मिक दृष्टि बहुत अधिक महत्व माना गया है, क्योंकि यह दिन देवी वरलक्ष्मी को समर्पित है तथा इस दिन वरलक्ष्मी व्रत किया जाता है। यह व्रत खासकर दक्षिण भारत में ही रखा जाता है।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार माता वरलक्ष्मी को देवी महालक्ष्मी का ही अवतार माना जाता हैं, इसलिए भी उनका नाम वर और लक्ष्मी मिलाकर वरलक्ष्मी पड़ा। और ये देवी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने और धन की तंगी को भी दूर करती हैं। 
 
मान्यता के अनुसार इस दिन तेलगु परिवारों में सुहागिन महिलाएं माता वरलक्ष्मी का व्रत रखकर पूजन करती है। इस दिन पति की लंबी आयु और घर की सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत रखकर वरदान मांगा जाता है। यह व्रत खासतौर से विवाहित महिलाएं ही रखती हैं, मान्यता यह भी है कि इस व्रत को करने से संतान सुख की प्राप्ति भी होती है।

श्रावण के अंतिम शुक्रवार को यह व्रत रखने से माता वरलक्ष्मी प्रसन्न होकर घर से गरीबी, दरिद्रता को दूर करके धन और वैभवता देती हैं। इस दिन माता वरलक्ष्मी को नौ प्रकार फलों और मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। इसके साथ ही माता के 108 नाम की पूजा करके, शाम को पुन: पूजन आरती के बाद सुहागिन महिलाएं एक-दूसरे को सुहाग सामग्री और फल उपहारस्वरूप या दान करती हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसर इस साल यह व्रत 25 अगस्त 2023 को यानी आज मनाया जा रहा है।
 
वरलक्ष्मी माता की कथा- 
 
यह कहा जाता है कि भगवान शिव जी ने माता पार्वती वरलक्ष्मी व्रत की कथा सुनाई थी। इस व्रत की कथा के अनुसार मगध देश में कुंडी नामक एक नगर था। उस नगर का निर्माण सोने से हुआ था। उस नगर में चारुमती नाम की एक महिला रहती थी। चारुमती अपने पति का बहुत ख्याल रखती थी और वह माता लक्ष्मी की बहुत बड़ी भक्त थी। 
 
चारुमती हर शुक्रवार माता लक्ष्मी का व्रत करती थी और लक्ष्मी जी भी उससे से बहुत प्रसन्न रहती थी। 
 
एक बार मां लक्ष्मी ने चारुमती के सपने में आकर उसको इस व्रत के बारे में बताया। तब चारुमती से उस नगर की सभी महिलाओं के साथ मिलकर विधिपूर्वक इस व्रत को रखा और मां लक्ष्मी की पूजा की। जैसे ही चारुमती की पूजा संपन्न हुई, वैसे ही उसके शरीर पर सोने के कई आभूषण सज गए तथा उसका घर भी धन-धान्य से परिपूर्ण हो गया। 
 
उसके बाद नगर की सभी महिलाओं ने भी इस व्रत को रखना शुरू कर दिया। तभी से इस व्रत को वरलक्ष्मी व्रत के रूप में मान्यता मिल गई। अत: हर साल श्रावण के अंतिम शुक्रवार के दिन महिलाएं इस व्रत को विधिपूर्वक करती हैं।

अपार धन-संपत्ति देने वाला यह व्रत रखने से धन संबंधी तंगी, गरीबी, आर्थिक समस्याएं आदि दूर होकर घर में धन-समृद्धि और धन-धान्य बढ़ता ही चला जाता है। ऐसी इस व्रत की खास महिमा है। इसीलिए श्रावण पूर्णिमा से पहले आने वाला वरलक्ष्मी व्रत बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। 

नीचे दिए गए किसी भी एक मंत्र का जाप प्रतिदिन अथवा हर शुक्रवार को नियमित समय पर 108 बार करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन और सुख-समृद्धि का वरदान देती है। 
 
- 'ॐ श्रीं श्रियै नम:'
- 'श्री महालक्ष्म्यै नमः'
- 'श्री ह्रीं क्लीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः' 
- 'श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।' 
- 'ॐ कमलवासिन्यै श्रीं श्रियै नम:।' 
 
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