Friday Varalakshmi Vratam : इस बार श्रावण पूर्णिमा से पूर्व 25 अगस्त 2023, दिन शुक्रवार को वरलक्ष्मी व्रत किया जा रहा है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार शुक्रवार का दिन धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित माना गया है। अत: इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना करके उन्हें धन, वैभव, सुख-संपत्ति की कामना से प्रसन्न किया जाता है।
इस बार अधिक श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर वरलक्ष्मी व्रत मनाया जाएगा। इस दिन व्रत-उपवास करके इसे पूर्ण किया जाएगा। आइए यहां जानते हैं वरलक्ष्मी व्रत के दिन पड़ने वाले शुभ संयोग और विधि के बारे में-
वरलक्ष्मी व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त: Friday Varalakshmi Vratam Muhurat 2023
25 अगस्त के दिन पूजन का शुभ समय :
ब्रह्म मुहूर्त- 04:27 ए एम से 05:11 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 04:49 ए एम से 05:55 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:57 ए एम से 12:49 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:32 पी एम से 03:24 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:51 पी एम से 07:13 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 06:51 पी एम से 07:57 पी एम
अमृत काल- 26 अगस्त को 12:03 ए एम से 01:37 ए एम तक।
निशिता मुहूर्त- 26 अगस्त को 12:01 ए एम से 12:45 ए एम तक।
वरलक्ष्मी व्रत : शुक्रवार, 25 अगस्त 2023 के शुभ संयोग
* सिंह लग्न पूजा मुहूर्त (प्रातः)- 05.55 ए एम से 07.41 ए एम तक।
अवधि- 01 घंटा 46 मिनट्स
* वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त (अपराह्न)- 12.17 पी एम से 02.36 पी एम तक।
अवधि- 02 घंटा 19 मिनट्स
* कुम्भ लग्न पूजा मुहूर्त (संध्या)- 06.22 पी एम से 07.50 पी एम तक।
अवधि- 01 घंटा 27 मिनट्स
* वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त (मध्यरात्रि)- 10.50 पी एम से 26 अगस्त को 12.45 ए एम, तक।
अवधि- 01 घंटा 56 मिनट्स
शुभ योग-
सर्वार्थ सिद्धि योग- 05:55 ए एम से 09:14 ए एम तक।
रवि योग- 26 अगस्त को 09:14 ए एम से 05:56 ए एम तक।
उपवास के बारे में : धार्मिक शास्त्रों के अनुसार माता वरलक्ष्मी को महालक्ष्मी का अवतार ही माना जाता हैं और माता वरलक्ष्मी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं, इसलिए भी उनका नाम वर और लक्ष्मी मिलाकर वरलक्ष्मी पड़ा। मान्यता के अनुसार इस दिन व्रत रखने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर घर से गरीबी, दरिद्रता को दूर करके धन और वैभवता देती हैं। इस दिन तेलगु परिवार में सुहागिनें वरलक्ष्मी माता का व्रत रखकर पूजन करती है। यह व्रत पति की लंबी आयु और घर की सुख-समृद्धि के लिए रख कर वरदान मांगा जाता है। यह व्रत खासतौर से विवाहित महिलाएं ही रखती हैं, मान्यता यह भी है कि इस व्रत को करने से संतान सुख की प्राप्ति भी होती है।
इस दिन माता वरलक्ष्मी को 9 प्रकार फलों और मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। इसके साथ ही माता के 108 नाम की पूजा करके, सायंकाल पूजन आरती के बाद सुहागिन महिलाएं एक-दूसरे को सुहाग सामग्री और फल दान करती हैं। श्रावण पूर्णिमा या रक्षा बंधन से पहले आने वाले शुक्रवार का यह वरलक्ष्मी व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन सुहागिनें/ विवाहित महिलाएं अपने पति और परिवार के सदस्यों की भलाई के लिए वरलक्ष्मी पूजन करती है।
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