• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. धार्मिक आलेख
  4. Festival Mangala Gauri
Written By

Mangala gauri vrat 2023: सावन का 8वां मंगला गौरी व्रत, जानें पूजन सामग्री, विधि और शुभ मुहूर्त

Mangala gauri vrat 2023: सावन का 8वां मंगला गौरी व्रत, जानें पूजन सामग्री, विधि और शुभ मुहूर्त - Festival Mangala Gauri
Mangala Gauri Vrat 2023 Date : वर्ष 2023 में सावन मास का आठवां मंगला गौरी व्रत 22 अगस्त 2023, दिन मंगलवार को मनाया जा रहा है। माता पार्वती को समर्पित यह पर्व मंगलवार को पड़ने के कारण ही इसे मंगला गौरी व्रत के नाम से जनमानस में जाना जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष अधिक मास होने के कारण 9 मंगला गौरी व्रत किए जाएंगे। और 8 श्रावण सोमवार मनाए जाएंगे। सावन का अंतिम मंगला गौरी व्रत 29 अगस्त 2023 को पड़ेगा। 
 
यहां आपके लिए विशेष तौर पर प्रस्तुत हैं मंगला गौरी व्रत की पूजन सामग्री, शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में खास जानकारी- 
 
मंगला गौरी पूजा सामग्री सूची : Mangala Gauri Poojan Samgri List
 
एक चौकी, 
लाल रंग का कपड़ा, 
शिव-पार्वती जी की तस्वीर या प्रतिमा, 
16 मालाएं, 
कपास, 
लौंग, 
सुपारी, 
इलायची, 
दीया, 
घी, 
पान, 
फूल,
फल, 
लड्डू/ मिठाई,
सुहाग की सामग्री, 
16 चूड़ियां, 
16 श्रृंगार का सामान, 
5 प्रकार के सूखे मेवे/पंचमेवा, 
7 प्रकार के धान्य- गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर, 
कथा की पुस्तक आदि।
 
मंगलवार, 22 अगस्त 2023 पर पूजन का समय- Mangala Gauri PoojaTime 2023 
 
श्रावण शुक्ल षष्ठी तिथि- 23 अगस्त को 03.05 ए एम तक।
नक्षत्र- चित्रा 06.31 ए एम तक।
योग- शुक्ल 10.18 पी एम तक। 
राहुकाल- 03.39 पी एम से 05.16 पी एम तक। 
गुलिक काल- 12.24 पी एम से 02.01 पी एम तक। 
यमगण्ड- 09.09 ए एम से 10.46 ए एम तक। 
अभिजित मुहूर्त- 11.58 ए एम से 12.50 पी एम तक। 
अमृत काल- 23 अगस्त 10.45 पी एम से 23 अगस्त को 12.27 ए एम तक। 
 
पूजा विधि : Mangala Gauri Pooja Vidhi
 
- श्रावण मास के मंगलवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठें। 
- नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए अथवा नए वस्त्र धारण कर व्रत करें।
- मां मंगला गौरी (पार्वती जी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें। 
- फिर निम्न मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लें। - 'मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये।’ अर्थात्- मैं अपने पति, पुत्र-पौत्रों, उनकी सौभाग्य वृद्धि एवं मंगला गौरी की कृपा प्राप्ति के लिए इस व्रत को करने का संकल्प लेती हूं।
- तत्पश्चात मंगला गौरी के चित्र या प्रतिमा को एक चौकी पर सफेद फिर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता है। 
- प्रतिमा के सामने एक घी का दीपक (आटे से बनाया हुआ) जलाएं। दीपक ऐसा हो जिसमें 16 बत्तियां लगाई जा सकें।
- फिर 'कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्। नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्...।।' यह मंत्र बोलते हुए माता मंगला गौरी का षोडशोपचार पूजन करें।
 - माता के पूजन के पश्चात उनको (सभी वस्तुएं 16 की संख्या में होनी चाहिए) 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री, 16 चूड़ियां तथा मिठाई अर्पण करें। इसके अलावा 5 प्रकार के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज-धान्य (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि चढ़ाएं।
 - पूजन के बाद मंगला गौरी की कथा सुनी जाती है।
 - शिवप्रिया पार्वती को प्रसन्न करने वाला यह सरल व्रत करने वालों को अखंड सुहाग तथा पुत्र प्राप्ति देता है। 
- इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। वेबदुनिया इसकी पुष्टि नहीं करता है। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

ये भी पढ़ें
शुक्र का कर्क में गोचर 3 राशियों के लिए अशुभ और 4 राशियों के लिए है शुभ