अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 अगस्त को भूमि पूजन और शिलान्यास के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद राम मंदिर का पुन: भव्य निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाएगा। आओ जानते हैं इससे जुड़े 10 रोचक तथ्य।
1. कहते हैं कि मंदिर इतना भव्य होगा कि यह कई किलोमीटर दूर से भी स्पष्ट नजर आएगा। भव्य राम मंदिर के करीब 3 दशक पुराने विश्व हिन्दू परिषद के नक्शे में बदलाव कर इसकी ऊंचाई बढ़ाते हुए एक और मंजिल जोड़ी जा सकती है। एक मंडप और एक अतिरिक्त मंजिल के साथ 35 फुट ऊंचे शिखर का विस्तार करने पर मंथन हो रहा है। इसके अलावा अब राम मंदिर में तीन के बजाय पांच गुंबद होंगे।
2. अब यह मंदिर 3 मंजिला होगा। रामलला की मूर्ति निचले तल पर विराजमान होगी। विश्व हिंदू परिषद के वर्तमान राम मंदिर मॉडल की ऊंचाई 141 फुट से बढ़ाकर 161 फुट की जाएगी। मंदिर में जाने के लिए 5 दरवाजे (सिंह द्वार, नृत्य मंडप, रंग मंडप, पूजा-कक्ष और गर्भगृह) होंगे। इस मंदिर की लंबाई लगभग 270 मीटर, चौड़ाई 140 मीटर होगी। हर मंजिल पर लगभग 106 खम्भे होंगे। पहली मंजिल पर खम्भे की लम्बाई लगभग 16.5 फुट और दूसरी मंजिल पर 14.5 फुट प्रस्तावित है। प्रत्येक मंजिल 185 बीम पर टिकी होगी।
3. मंदिर में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। मंदिर में संगमरमर का फ्रेम और लकड़ी के दरवाजे होंगे। इसमें पूरे मंदिर के निर्माण में करीब 1.75 लाख घन फुट पत्थर की जरूरत बताई गई थी। मंदिर के फर्श में संगमरमर लगाया जाएगा। यह मंदिर लगभग 221 पिलर पर खड़ा होगा। इसमें आवागमन के लिए मुख्य पांच द्वारों के अलाव कुल 24 द्वार बनाए जाएंगे। मंदिर के प्रत्येक खंभे पर 12 मूर्तियां उकेरी गई हैं। यह मूर्तियां देवी-देविताओं की हैं।
4. यह नागर शैली में बना अष्टकोणीय मंदिर होगा। इसमें भगवान राम की मूर्ति और राम दरबार होगा। मुख्य मंदिर के आगे-पीछे सीता, लक्ष्मण, भरत और भगवान गणेश के मंदिर होंगे। यह अक्षरधाम मंदिर की शैली में बनेगा। मंदिर परिसर में संत निवास, शोध केंद्र, कर्मचारियों के आवास, भोजनालय इत्यादि होंगे।
5. शिल्पी चंद्रकांत सोमपुरा ने 1987 में विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल के कहने पर राम मंदिर का मॉडल तैयार किया था। भारतीय शिल्प शास्त्र के हिसाब से इस मंदिर का निर्माण कराने का फैसला लिया गया है। इसकी परिक्रमा गोलाई में होगी। मंदिर बनाने के लिए पत्थरों की तराशने का काम करीब 60 प्रतिशत पूरा हो चुका है। प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि न्यास और विश्व हिन्दू परिषद की ओर से पत्थरों को मंगाने और तराशने का कार्य सितंबर 1990 में शुरू किया गया था।
6. मंदिर के निर्माण में लगभग ढाई से 3 साल का समय लगेगा। कई लोगों का अनुमान है कि 2024 तक मंदिर पूर्णत: निर्मित हो जाएगा।
7. एल एंड टी कंपनी और चंद्रकांत सोमपुरा जी मिलकर राम मंदिर का निर्माण करेंगे।
9. मंदिर ट्रस्ट में ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास, महामंत्री चंपत राय, निर्माण समिति के अध्यक्ष आईएएस नृपेंद्र मिश्रा, ज्ञानेश कुमार (अपर सचिव भारत सरकार) व नामित सदस्य अवनीश अवस्थी (अपर मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश) व नामित सदस्य अनुज झा (जिलाधिकारी अयोध्या) व पदेन सदस्य राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा, डॉ. अनिल कुमार, महंत दिनेन्द्र दास, के. परासरन, स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, स्वामी विश्वप्रसन्नतीर्थ, युग पुरुष परमानंद गिरी, स्वामी गोविंददेव गिरी आदि शामिल हैं।
10. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों भूमि पूजन होना है। इसलिए लगभग 40 किलो वजनी चांदी की ईंट तैयार कराई गई है, जिसे नींव में रखा जाना है। इसके अलावा मुगल बादशाह बाबर के वंशज प्रिंस हबीबुद्दीन तुसी ने भूमिपूजन के लिए सोने की ईंट देने के लिए आगे आए है। उल्लेखनीय है कि इसके अलावा देशभर के कई लोगों ने अपनी अपनी तरफ से मंदिर के लिए जो भी सहयोग हो सकता है वह दिया है। हजारों लोगों ने राम नाम लिखी ईंटों को दान किया है जिससे कारसेवापुरम बना है। मंदिर निर्माण में सभी धर्मों के लोगों का सहयोग प्राप्त हो रहा है।
संकलन : अनिरुद्ध जोशी