गुरुवार, 21 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. This will be the Pran pratishta programme in Ram temple
Last Updated :अयोध्या , सोमवार, 15 जनवरी 2024 (19:21 IST)

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आया सामने, 16-22 जनवरी तक क्या-क्या होगा?

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आया सामने, 16-22 जनवरी तक क्या-क्या होगा? - This will be the Pran pratishta programme in Ram temple
  • मध्य अभिजीत मुहूर्त में होगा कार्यक्रम 
  • समस्त शास्त्रीय विधि का होगा पालन
  • अनुष्ठान में होंगे 121 आचार्य
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने सोमवार को कहा कि 22 जनवरी को श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य रामलला के मंदिर में विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम मध्यान्ह अभिजीत मुहूर्त में होगा। राय ने यहां श्रीराम मंदिर कार्यशाला रामघाट पर कहा कि आगामी पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी विक्रम संवत 2080 तदनुसार 22 जनवरी को भगवान श्री रामलला के श्री विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा का पवित्र योग आ गया है। समस्त शास्त्रीय विधि का पालन करते हुए प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम मध्य अभिजीत मुहूर्त में होगा।

उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा की विधि 16 जनवरी से प्रारंभ होकर 21 जनवरी तक चलेगी। 16 जनवरी को प्रायश्चित एवं कर्म कुटी पूजन, 17 जनवरी को मूर्ति का परिसर प्रवेश, 18 जनवरी सायंकाल तीर्थ पूजन एवं जल यात्रा, जलाधिवास एवं गंधाधिवास, 19 जनवरी प्रात: औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास सायंकाल धान्याधिवास 20 जनवरी प्रात: शर्कराधिवास, फलाधिवास एवं सायंकाल पुष्पाधिवास 21 जनवरी प्रात: मध्याधिवास, सायंकाल शय्याधिवास, इस प्रकार द्वादश अधिवास होंगे, सामान्यतया प्राण-प्रतिष्ठा में सप्त अधिवास होते हैं।

राय ने बताया कि न्यूनतम तीन अधिवास चलन में हैं। अनुष्ठान में 121 आचार्य होंगे। इस अनुष्ठान के संयोजक श्रद्धेय गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ एवं प्रमुख आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित काशी के होंगे। प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित अन्य विशिष्टजनों की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्‍न होगा।

उन्होंने बताया कि श्रीरामजन्मभूमि मंदिर प्रांगण प्राण-प्रतिष्ठा के साक्षी बनने के लिए देश की सभी आध्यात्मिक धार्मिक मत, पंथ, संप्रदाय, उपासना पद्धतियों के सभी अखाड़ों के आचार्य, सभी परंपराओं के आचार्य, सभी संप्रदायों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्री महंत, महंत, नागा साथ ही 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी तटवासी, द्वीपवासी जनजाती परंपराओं की उपस्थिति भारत वर्ष के निकटवर्ती इतिहास में पहली बार हो रही है। यह अपने आप में विशिष्ट होगा।

राय ने बताया कि सम्मिलित होने वाली परंपराओं में शैव, वैष्णव, शाक्त, गणपत्य, पत्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंक रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, मद्धव, विष्णु नामी, रामसनेही, घीसा पंथ, गरीबदासी, गौड़ीया, कबीर पंथी, वाल्मीकि, असम से शंकरदेव, माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रमगायत्री परिवार, अनुकूलचंद, ठाकुर परंपरा, उड़ीसा का महिमा समाज, पंजाब से अकाली, निरंकारी, नाम राधास्वामी तथा स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव आदि हैं।

उन्होंने बताया कि गर्भगृह में प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद सभी साक्षीगण क्रमश: दर्शन करेंगे। श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का उत्साह सर्वत्र अनुभव हो रहा है, अयोध्या सहित संपूर्ण भान में उत्सव को भव्यता से मनाने का संकल्प ले लिया है।

इस अवसर पर भिन्न-भिन्न प्रदेशों के जल, स्वर्ण, रजत, रत्न, वस्त्र, आभूषण विशाल घंटा, नगाड़ा और भिन्न भिन्न प्रकार की सुगंधि लेकर लोग आते ही जा रहे हैं, जिसमें सार्वाधिक उल्लेखनीय है मां जानकी के मायके जनकपुर एवं सीत भार (पुत्री के घर निर्माण के समय भेजा जाने वाला उपहार) लेकर बड़ी मात्रा में लोग उपस्थित हुए हैं। भगवान की ननिहाल रायपुर दंडकारण्य क्षेत्र से भिन्न-भिन्न प्रकार के आभूषण समर्पित किए हैं।

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र भारत के सभी बंधु-भगनियों से आह्वान करता है कि 22 जनवरी को जिला अयोध्या में भगवान की प्राण-प्रतिष्ठा हो रही हो, उस समय अपने आसपास के मंदिरों की सज और मंदिर के देवता की उपासना के अनुरूप भजन, पूजन, कीर्ति और आरती आदि करें।
प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम को संचार माध्यम से स्क्रीन लगाकर सामूहिक रूप से देखें, इसके पूर्व आसपास के स्वच्छता का प्रयास भी करना चाहिए। 22 जनवरी की सायंकाल अपने-अपने घर पर दीपक जलाकर राम ज्योति से प्रकाशमान करें। उन्होंने बताया कि 22 जनवरी की शाम पांच दीपक श्री रामलला के नाम जय जय श्रीराम।

श्रीरामजन्मभूमि प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के पुनीत और ऐतिहासिक अवसर पर प्रात: 10 बजे से प्राण-प्रतिष्ठा मुहूर्त के ठीक पहले तक, लगभग दो घंटे के लिए श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर में शुभ की प्रतिष्ठा के लिए मंगल ध्वनि का आयोजन किया जा रहा है। हमारी भारतीय संस्कृति की परंपरा में किसी भी शुभ कार्य, अनुष्ठान, पर्व के अवसर पर देवता के सम्‍मुख आनंद और मंगल के लिए पारंपरिक ढंग से मंगल ध्वनि का विधान रचा गया है।
इसी संदर्भ में प्रभु श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा का यह अवसर प्रत्येक भारतवासी के लिए शताब्दियों में होने वाला ऐसा गौरव का क्षण है, जब हम सम्पूर्ण भारत के विभिन्न अंचलों और राज्यों से वहां के पारम्परिक वाद्यों का वादन यहां श्री रामलला के सम्मुख करने जा रहे हैं। विभिन्न राज्यों के पच्चीस प्रमुख और दुर्लभ वाद्य यन्त्रों के मंगल वादन से अयोध्या में ये प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न होगा। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने बताया कि इसे उन वाद्यों के दक्ष कलाकार प्रस्तुत करेंगे।
इन राज्यों और उनके प्रमुख वाद्यों के नाम इस प्रकार हैं। उत्तर प्रदेश-पखावज, बांसुरी और ढोलक, कर्नाटक-वीणा, महाराष्ट्र-सुन्दरी, पंजाब-अलगोजा, उड़ीसा-मर्दल, मध्य प्रदेश-संतूर, मणिपुर-पुंग, असम-नगाड़ा, काली, छत्तीसगढ़-तंबूरा, बिहार-पखावज, दिल्ली-शहनाई, राजस्थान-रावणहत्था, पश्चिम बंगाल-श्रीखोल, सरोद आन्ध्र प्रदेश, घटम झारखंड, सितार, गुजरात-सन्तार, तमिलनाडु-नागस्वर, तविल और मृदंगम् उत्तराखण्ड-हुड़का इस मांगलिक संगीत कार्यक्रम के परिकल्पनाकार और संयोजक यतीन्द्र मिश्र हैं, जो प्रख्यात लेखक, संस्कृति के जानकार और कलाविद् हैं।

इस कार्य में उनका सहयोग केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी दिल्ली ने किया है। उन्होंने कहा कि श्रीरामजन्मभूमि पर दिव्य और भव्य बन रहे रामलला के मंदिर में 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा है। सभी लोग रामलला के नाम पर पांच दीपक जलाकर उत्सव मनावें। (एजेंसियां)
Edited By : Chetan Gour
ये भी पढ़ें
राम मंदिर अयोध्या आंदोलन के अहम 10 पड़ाव