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Last Modified: सोमवार, 1 अप्रैल 2019 (11:45 IST)

इसरो ने रचा इतिहास, एकसाथ 28 उपग्रहों को ‍तीन अलग कक्षाओं में किया स्थापित

इसरो ने रचा इतिहास, एकसाथ 28 उपग्रहों को ‍तीन अलग कक्षाओं में किया स्थापित - ISRO PSLVC45 DRDO EMISAT
श्रीहरिकोटा। भारत के एमीसैट उपग्रह के साथ विदेशी ग्राहकों के 28 नैनो उपग्रह लेकर जा रहे इसरो के पीएसएलवी सी45 का सोमवार को यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण किया गया और उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया गया।
 
27 घंटे की गिनती खत्म होने के बाद इसरो के विश्वसनीय प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-क्यूएल के नए प्रकार करीब 50 मीटर लंबे रॉकेट का यहां से करीब 125 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 9 बजकर 27 मिनट पर प्रक्षेपण किया गया। एमीसैट उपग्रह का उद्देश्य विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम को मापना है।
 
इसरो के अनुसार प्रक्षेपण के लिए पहले चरण में चार स्ट्रैप-ऑन मोटर्स से लैस पीएसएलवी-क्यूएल रॉकेट के नए प्रकार का इस्तेमाल किया जाएगा।
 
पीएसएलवी का भारत के दो महत्वपूर्ण मिशनों 2008 में ‘चंद्रयान’ और 2013 में मंगल ऑर्बिटर में इस्तेमाल किया गया था। यह जून 2017 तक 39 लगातार सफल प्रक्षेपणों के लिए इसरो का सबसे भरोसेमंद और बहुउपयोगी प्रक्षेपण यान है। इस मिशन में इसरो के वैज्ञानिक 3 अलग-अलग कक्षाओं में उपग्रहों और पेलोड को स्थापित करेंगे, जो एजेंसी के लिए पहली बार होगा। 
 
अन्य 28 अंतरराष्ट्रीय उपग्रहों में लिथुआनिया के दो, स्पेन का एक, स्विट्जरलैंड का एक और अमेरिका के 24 उपग्रह शामिल हैं। इसरो ने बताया कि इन सभी उपग्रहों का वाणिज्यिक समझौतों के तहत प्रक्षेपण किया जा रहा है। फरवरी में इसरो ने फ्रेंच गुआना से भारत का संचार उपग्रह जीसैट-31 प्रक्षेपित किया था।
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