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राष्ट्रीय एकता और युवा संघर्ष

राष्ट्रीय एकता और युवा संघर्ष - blog on nation's unity and youth struggle
'युवाओं के प्रज्वलित मस्तिष्क भारत की सबसे अमूल्य संपत्ति हैं। ये युवा विकास के गीत गाएंगे और देश को समग्र विकास की ओर अग्रसर, करेंगे। मेरा मानना है कि मेरे देश के युवा राजनीति में प्रवेश करके, जवाबदेही के साथ अखंडता, ईमानदारी, मूल्य प्रणाली, साहस, प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी के साथ एक विकासशील, सुसंस्कृत एवं सुरक्षित भारत का निर्माण करेंगे।'
 
एपीजे अब्दुल कलाम
 
युवाओं की तुलना में कोई शक्ति नहीं है, किसी जवान आदमी की इच्छा से अधिक बलशाली कोई ताकत नहीं है। भविष्यवाणियों के अनुसार भारत को 2020 तक दुनिया में सबसे अधिक युवा वयस्कों का देश होना चाहिए और यह कि वास्तव में अच्छी खबर है। भारत जैसे विकासशील राष्ट्र के लिए युवा या छात्र एक खजाना है, जो अमूल्य और अनमोल है। उनके पास भविष्य को अच्छे या बुरा के लिए बदलने की शक्ति है।
 
राष्ट्र निर्माण सिर्फ राजनीति का या नीति-निर्धारकों का काम नहीं है बल्कि यह एक सामाजिक जागृति और युवा शक्ति का सामर्थ्य है, जो भूमि के एक हिस्से को सशक्त राष्ट्र के रूप में खड़ा करता है। यह एक ऐसा परिवर्तन है, जो युवाओं के बिना संभव नहीं है। राष्ट्रीय एकता का वास्तव में मतलब है कि देश के सभी लोगों एक समान और समग्रता के आधार पर एक मंच पर लाया जाए। यह एक ऐसी भावना है, जो हमें अपनी विरासत पर गर्व कराती है और राष्ट्र को एक सूत्र में बांधती है। किसी भी राष्ट्र की प्रगति अपने युवाओं पर निर्भर करती है, जो सामंजस्यपूर्ण विकास के रास्ते पर राष्ट्र को ले जाने में अपनी अहम जिम्मेदारी निभाते हैं। भारत के युवा राष्ट्रीय एकात्मता की भावना को जीवित रखने के लिए जाति, पंथ, धर्म और भाषा के सभी मतभेदों से ऊपर उठकर काम करने को दृढ़ संकल्पित हैं।
 
आज हमारा देश चहुमुंखी विकास की ओर अग्रसर है लेकिन देश के युवाओं को पता होना चाहिए कि एकता की भावना कभी-कभी गंभीर चुनौतियों का सामना करती है। अलगाववाद और कट्टरता देश और लोगों के पोषित आदर्शों को नष्ट करने पर आमादा हैं। अक्सर मातृभूमि के प्रति समर्पण की जगह भाषा, क्षेत्र और धर्म के नाम पर जाति और समुदाय के प्रति वफादारी को प्राथमिकता दी जाती है। कश्मीर और उत्तर-पूर्व जैसे देश में कई स्थानों पर अलगाव की भावना बलवती हो रही है। 
 
किसी भी राष्ट्र की युवा शक्ति उस राष्ट्र के वर्तमान का निर्माण करती है और भविष्य के लिए रास्ता प्रशस्त करती है। युवा पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण की जिम्मेदारी में एक अहम् रोल निभाना चाहिए, हम सिर्फ राजनेताओं या नीति-निर्माताओं पर राष्ट्रनिर्माण की जिम्मेवारी नहीं डाल सकते। शासन और तंत्र के साथ मिलकर काम करने वाले युवा एक राष्ट्र और इसके आने वाली पीढ़ी के भाग्य का फैसला करते हैं इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि युवाओं की आवाजों को सही मंच मिलें साथ ही यह जरूरी है कि युवा अपने विचार और अपनी राष्ट्र के प्रति सोच को स्वतंत्र रूप से प्रकट करना सीखें। एक पूरे राष्ट्र की अर्थव्यवस्था की नींव और उसका भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि उस देश की युवा पीढ़ी कितनी शिक्षित है। शैक्षिक अधोसंरचना के संदर्भ में भारत एक बड़े पैमाने पर विकास की ओर अग्रसर है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। भारत का संविधान 14 वर्ष की आयु तक हर बच्चे को अनिवार्य और नि:शुल्क शिक्षा की गारंटी देता है। लेकिन, आर्थिक असमानता और बढ़ती आबादी जैसे व्यावहारिक बाधाओं के कारण यह एक वास्तविकता नहीं है। भारत के युवाओं को शिक्षा के साथ बहुमुखी होना चाहिए। शिक्षा आपको सोचने की क्षमता के साथ-साथ गलत को गलत और अच्छे को अच्छा कहने की शक्ति प्रदान करती है।  
 
भारत जैसे देश में जहां 'परंपराओं और रिवाजों' कभी-कभी मानवता से भी बड़ी होती हैं, शिक्षा एक विकल्प नहीं है, यह एक आवश्यकता है। जिस देश का औद्योगिक ढांचा जितना दुरुस्त होगा, उस देश के सबसे ज्यादा समय या यों कहें कि हमेशा शिखर पर रहने की संभावनाएं भी उतनी ही प्रबल होंगी और ये बात तो सर्वविदित है कि उद्योग-धंधों के विकास में युवाओं कि कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रत्येक औद्योगिक इकाई में युवाओं के अत्यधिक प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है। कोई भी उद्योगपति या बड़ी से बड़ी कंपनी अपने कामगारों की फौज में अधिक से अधिक युवाओं को देखना चाहती है, क्योंकि युवा ऊर्जा को सभी दोहित करना चाहते हैं और यही उद्योग-धंधों एवं देश के विकास के लिए आवश्यक भी है।
 
और हमारे देश के लिए यह अत्यंत गौरव की बात है कि शिक्षा एवं उद्योग में संपूर्ण विश्व में युवाओं का सर्वाधिक प्रतिनिधित्व रखने के कारण ही अमेरिका जैसे सर्वशक्तिमान देश के राष्ट्रपति को भी भयाक्रांत कर दिया है और उसे अपने देश के छात्रों को भारतीय युवा मेधा से सतर्क रहने की चेतावनी देने पर विवश कर दिया है। हम अपने देश की क्या बात करें कि आज नासा में कार्य करने वाले गैरअमेरिकियों में सर्वाधिक संख्या भारतीयों की है। माइक्रोसॉफ्ट में कार्य करने वालों में 60 प्रतिशत भारतीय हैं। ये आंकड़े भारतीय युवाओं की प्रतिभा की कहानी खुद ही बयां करते हैं। 
 
समकालीन भारत के नौजवानों में नौकरी के प्रति रवैया बदल रहा है, साथ ही सामाजिक व्यवस्था और जीवन जीने के मापदंड भी बदल रहे हैं। वर्तमान भारत अपने गौरवशाली युवाओं के कंधों पर बढ़ता हुआ राष्ट्र है और इसे बनाने में हमारे युवाओं का संघर्ष अतुलनीय है। हमारे युवा आज बड़े स्वप्न देखते हैं, कड़ी मेहनत और अपने सिद्धांतों पर अटल रहते हैं, उनके सामने अनंत चुनौतियां हैं लेकिन उनमें भारत को विश्व स्तर पर नंबर 1 स्थान पर ले जाने का जूनून है।
 
किसी भी देश की एकता निस्संदेह अपने युवाओं पर निर्भर है, क्योंकि वे राष्ट्रीय हितों से संबंधित मामलों को संभालने की अहम जिम्मेदारी लेते हैं। जहां तक ​​राष्ट्रीय एकता का संबंध है, युवाओं को देश के नागरिकों के बीच एकता में रोड़े अटकाने वाली सभी बाधाओं को पार करना होगा। आज सौभाग्य से हमारे युवा विभिन्न प्रभावी सामाजिक नेटवर्किंग उपकरणों से लैस हैं, जो राष्ट्रीय एकता के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए उपयोग कर सकते हैं। नई प्रौद्योगिकियों के आगमन के साथ देश में राष्ट्रीय भावना का प्रसार और प्रचार अब अधिक सुविधाजनक हो गया है।


इससे युवाओं को जाति, पंथ, दूरी, जाति, धर्म आदि की भौतिक बाधाओं में अपनी आकांक्षाएं और सहायता काटने में सहायता मिलती है। युवा होने के नाते उन सभी मिशनों और कार्यक्रमों को प्राथमिकता देनी चाहिए, जो देश में राष्ट्रीयता की अलख जगाने में सहायक हों। स्वामी विवेकानंद ने ठीक ही कहा, 'युवा लोग स्टील या पत्थर की तरह हैं। वे चट्टानों को तोड़ सकते हैं इसलिए युवाओं को उठने, जागने और उनके लक्ष्य को हासिल करने से पहले कभी नहीं रुकना चाहिए।'राष्ट्रीय एकता के वांछित लक्ष्य को प्राप्त करने में युवाओं की भूमिका नए विचारों के साथ समाहित होनी चाहिए, जो धार्मिक जातिवाद को रोकने और जाति, पंथ और समुदाय के बारे में पूर्वाग्रहों को रोकने की नीतियों पर आधारित हो।
 
सभी युवा चाहे वो देश के किसी भी भाग में रहते हों, उन्हें एकजुट होना चाहिए और सामूहिक प्रयास करना चाहिए ताकि राष्ट्रीय एकता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाली सभी बाधाओं को दूर करने और राष्ट्रीय समग्रता की रणनीति को बढ़ावा देने वाली सभी योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के हाथों को मजबूत किया जा सके। हर भारतीय युवा को महात्मा गांधी के इन आदर्शों का पालन करना चाहिए जिसमें उन्होंने कहा है, 'अपने में वह परिवर्तन होना चाहिए जिसे आप दुनिया में देखना चाहते हैं', इसके बाद ही हमारे अधिकांश युवा राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के प्रयासों के माध्यम से दूसरों के लिए उदाहरण पेश सकते हैं। उन्हें राष्ट्रीय एकता के लिए अपने प्रयासों को सकारात्मक और स्वस्थ संवाद, अपने कर्तव्यों का कर्मठता से निर्वहन और सभी के प्रति सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार करने की आवश्यकता है।
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