मकर संक्रांति और उत्तरायण में क्या है फर्क?
Makar sankranti 2024: ऐसी मान्यता है कि सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो वह उत्तरगामी होता है। उसी तरह जब वह कर्क में प्रवेश करता है तो दक्षिणगामी होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उत्तरायण के समय सूर्य उत्तर की ओर झुकाव के साथ गति करता है जबकि दक्षिणायन होने पर सूर्य दक्षिण की ओर झुकाव के साथ गति करता है। इसीलिए उत्तरायण और दक्षिणायन कहते हैं। उत्तरायण के समय दिन लंबा और रात छोटी होती है, जबकि दक्षिणायन के समय में रातें लंबी हो जाती हैं और दिन छोटे होने लगते हैं। सूर्य 6 माह उत्तरायण और 6 माह दक्षिणायन रहता है।
मकर संक्रांति एवं उत्तरायण में फर्क :
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परंपरागत आधार पर मकर संक्रांति प्रति वर्ष 14-15 जनवरी को पड़ती है।
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पंचांग के महीनों के अनुसार यह तिथि पौष या माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ती है।
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भारतीय मान्यता के अनुसार मकर राशि में सूर्य उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के अंतिम तीन चरण, श्रवण नक्षत्र के चारों चरण और धनिष्ठा नक्षत्र के दो चरणों में भ्रमण करते हैं। तब वे उत्तरायण होते हैं।
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ऐसी भी मान्यता है कि सूर्य के उत्तरायण में होने का अर्थ मोक्ष के द्वार खुलना है।
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भीष्म पितामह शरीर से क्षत-विक्षत होने के बावजूद मृत्यु शैया पर लेटकर प्राण त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश का इंतजार कर रहे थे।
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जुलियन कैलेंडर के अनुसार तो लगभग 23 दिसंबर से ही उत्तरायण सूर्य के योग बन जाते हैं, परंतु भारतीय पंचांगों के अनुसार यह तिथि 14 जनवरी को ही आती है।
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22 दिसंबर का दिन साल में सबसे छोटा होता है और इस दिन रात सबसे लंबी होती है। इस दिन को विंटर सोलस्टाइस कहा जाता है।
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कुछ वर्षों की अवधि में विंटर सोलस्टाइस के तय दिन बदल जाते हैं, लेकिन साल के इस सबसे छोटे दिन के दर्ज होने की अवधि 20 से 23 दिसंबर के बीच ही होती है।
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अलग-अलग देशों में इस दिन विभिन्न त्योहार भी मनाए जाते हैं।
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विंटर सोलेस्टाइस आता है, तब भारत में मलमास चल रहा होता है, जिसे संघर्ष काल भी माना जाता है।
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22 दिसंबर से राजस्थान के कुछ हिस्सों में पौष उत्सव भी शुरू हो जाता है।
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सूर्य के उत्तरायण में होने की प्रक्रिया विंटर सोलस्टाइस से ही शुरू हो जाती है। यानी सूर्य का उत्तराण होना 22 या 23 दिसंबर को ही हो जाता है।
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मकर संक्रांति के दिन से सूर्य स्पष्ट तौर पर उत्तरायण गमन दिखाई देने लगता है।
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उत्तरायण के दौरान तीन ऋतुएं होती है- शिशिर, बसन्त और ग्रीष्म। इस दौरान वर्षा, शरद और हेमंत, ये तीन ऋतुएं होती हैं।