पोंगल पर्व कब है 2024 में?
Thai Pongal 2024: पोंगल त्योहार का प्रचलन दक्षिण भारत में ज्यादा है। हालांकि यह मकर संक्रांति का ही स्थानीय स्वरूप है। मकर संक्रांति को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार पोंगल पर्व सूर्य के मकर में जाने पर मनाया जाता है। रोमन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह 15 जनवरी 2024 सोमवार को मनाया जाएगा।
थाई पोंगल संक्रान्ति का क्षण- 02:54 एएम
पोंगल की खास बातें:
-
वैसे तो संपूर्ण दक्षिण भारत में ही पोंगल मनाया जाता है लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रचलन तमिलनाडु में है।
-
पोंगल तमिलनाडु का प्रमुख पर्व है अत: इसे पारंपरिक रूप से चार दिनों तक मनाया जाता है।
-
पोंगल का सबसे महत्वपूर्ण दिन थाई पोंगल के रूप में जाना जाता है।
-
थाई पोंगल, पांच दिवसीय उत्सव का दूसरा दिन है, जिसे संक्रान्ति के रूप में भी मनाया जाता है।
-
थाई पोंगल से पिछले दिन को भोगी पण्डिगाई के रूप में जाना जाता है।
-
इस दिन लोग अप्रयुक्त वस्तुओं को त्यागने के लिए अपने घरों में साफ-सफाई करते हैं तथा अलाव जलाते हैं।
-
यह भी सूर्य के उत्तरायण का त्योहार है। यह फसल की कटाई का उत्सव होता है।
-
पोंगल के दिनों में घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है।
-
इस दिन खेत में उगी फसल का विशेष भोग सूर्यदेव को लगाया जाता है, जिसे पोंगल कहा जाता है।
-
इस दिन प्रातः पांच बजे घर की पुरानी चीजों को घर के बाहर करके जलाया जाता है। त
-
त्पश्चात इंद्रदेव का पूजन करते हैं, जिसे मोगी पंडी कहते हैं।
-
थाई पोंगल के दूसरे दिन मट्टू पोंगल मनाते हैं।
-
इस दिन मवेशियों को सजाकर उनकी पूजा की जाती है।
-
पोंगल के चौथे दिन कानुम पोंगल मनाते हैं। इस दिन पारिवारिक मिलन का समय होता है।
1. भोगी : पोंगल के पहले दिन को 'भोगी' के रूप में जाना जाता है और यह बारिश के देवता इंद्र को समर्पित है। पहले दिन कूड़ा-करकट एकत्र कर जलाया जाता है।
2. थाई पोंगल : पोंगल के दूसरे दिन को 'थाई पोंगल' के रूप में जाना जाता है, जो सूर्य देवता को मनाता है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है।
3. मट्टू पोंगल : पोंगल के तीसरे दिन को 'मट्टू पोंगल' के नाम से जाना जाता है। मट्टू अर्थात नंदी या बैल की पूजा की जाती है। इस दिन, पशुधन, गायों को सजाकर उनकी पूजा की जाती है। यह दिन फसलों के उत्पादन में मदद करने वाले खेत, जानवरों को धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है।
4. कन्नुम : पोंगल का चौथा दिन 'कन्नुम/कानू' होता है, इस दिन, हल्दी के पत्ते पर सुपारी, गन्ने के साथ बचा हुआ पोंगल पकवान खुले में रखा जाता है। इसे कन्या पोंगल भी कहते हैं। इस दिन क्या पूजा की जाती है जो काली मंदिर में बड़े धूमधाम से की जाती है।
5. पोही : पोंगल के पहले अमावस्या को लोग बुरी रीतियों का त्यागकर अच्छी चीजों को ग्रहण करने की प्रतिज्ञा करते हैं। यह कार्य 'पोही' कहलाता है तथा जिसका अर्थ है- 'जाने वाली।' पोंगल का तमिल में अर्थ उफान या विप्लव होता है। पोही के अगले दिन अर्थात प्रतिपदा को दिवाली की तरह पोंगल की धूम मच जाती है।