कूनो में एक और चीते की मौत, जन्म लेने के 2 महीने के अंदर शावक की मौत, 4 तक पहुंचा आंकड़ा
मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मादा चीता ज्वाला ने 27 मार्च को जिन चार शावकों को जन्म दिया था उसमें एक शावक की मौत हो गई है। शावक चीता की मौत किन कारणों से हुई है,यह अभी पूरी तरह साफ नहीं हो सका है। इसके साथ कूनो नेशनल पार्क में पिछले दो महीने चार चीतों की मौत हो चुकी है।
इससे पहले कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता साशा,उदय और दक्षा की मौत हो गई थी। साशा की मौत का कारण किडनी खराब होने बताया गया था वहीं दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता दक्षा की मौत का कारण आपसी संघर्ष में घायल होना बताया गया था। वर्तमान में श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में वर्तमान में 17 चीतों के साथ 3 शावक है।
कूनो नेशनल पार्क में लगातार चीतों की मौत की वजह से पूरे प्रोजेक्ट पर सवाल उठ रहे है। पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने भी चीतों की शिफ्टिंग नहीं करने पर गंभीर सवाल उठाए थे। श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में दक्षिण अफीका से लाए गए चीतों में से कुछ को मंदसौर के गांधी सागर अभ्यारण्य या राजस्थान के मुकुंदरा में शिफ्ट करने की बात चल रही है लेकिन अभी इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका है।
राज्य सरकार चीतों की शिफ्टिंग के लिए लगा चुकी है गुहार- कूनो में पिछले दो महीने में चार चीतों के मौत के बाद पूरा प्रोजेक्ट लगातार सवालों के घेरे में है। कूनो में चीतों की अधिक संख्या के बाद पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जेएस चौहान केंद्र सरकार को चीतों को शिफ्ट करने के लिए पत्र भी लिख चुके है। कूनो में चीतों की अधिक संख्या होने पर पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जेएस चौहान कहते हैं कि उन्होंने केंद्र सरकार को पत्र लिख कर चीतों की शिफ्टिंग की बात कह दी है। वह कहते हैं कि यह बहुत बड़ा रिस्क होगा कि हम एक ही स्थान पर भी चीतों को छोड़े। चीता एक्शन प्लान में कई अन्य स्थानों को चीतों के लिए उपयुक्त माना गया है और चीतों का वहां पर शिफ्ट करने का निर्णय लेना चाहिए।
चीतों को एक साथ रखने पर विशेषज्ञों ने उठाए सवाल?- गौरतलब है कि वेबदुनिया ने अपनी खबर में चीतों को एक ही स्थान पर रखने को लेकर सवाल उठाए थे। वेबदुनिया से बातचीत में देश के जाने माने वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट और भारत में चीता प्रोजेक्ट से जुड़े रहे वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून के पूर्व डीन डॉ. वायवी झाला और रिटायर्ड IAS अफसर एमके रंजीत सिंह ने चीतों को सिर्फ कूनो में रखने पर एतराज जताया था।
वेबदुनिया से बातचीत में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून के पूर्व डीन वायवी झाला ने कहा था कि भारत में चीतों की बसाहट में कभी एक जगह ही चीतों को छोड़ने का कभी प्लान नहीं था। चीतों को दो जगह बांटना जरूरी है।
वहीं वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट एमके रंजीत सिंह ने कहा था कि पालपुर कूनो अभ्यारण्य में एक साथ 20 चीतों को रखे जाने की कभी योजना ही नहीं थी। पालपुर कूनो में 8 चीतों से अधिक नहीं रखे जा सकते। उन्होंने सवाल उठाए थे कि दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों का कहां छोड़ा जाएगा। उन्होंने चीतों की ब्रीडिंग के लिए मुकंदरा राष्ट्रीय उद्यान को उपयुक्त बताया था।