कूनो नेशनल पार्क में 40 दिन में तीसरे चीते की मौत, बाड़े में 24 घंटे की मॉनिटरिंग फिर भी 'दक्षा' की हो गई मौत!
Female Cheetah dies in Kuno National Park: मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में चीतो की मौत का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को दक्षिण अफ्रीका से लाई गई एक और मादा चीता दक्षा की मौत हो गई है। मादा चीता दक्षा (Daksha) की मौत के वन विभाग के अधिकारी चीतों के आपसी संघर्ष में घायल होना बता रहे है।
मादा चीता दक्षा की मौत पर वन विभाग ने जो बयान जारी किया है उसके मुताबिक पिछले दिनों कूनो में हुई नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के आईजी डॉ. अमित मल्लिक और भारतीय वन्यजीव संस्थान के डॉ. कमर कुरैशी, दक्षिण अफ्रीका से आए प्रो. एड्रियन टोर्डिफ तथा दक्षिण अफ्रीका से आये चीता मेटा पापुलेशन इनिशियटिव के विन्सेंट वेन डार उपस्थित की हुई बैठक में तय हुआ था कि बाड़ा क्रमांक सात में मौजूद दक्षिण अफ्रीका से आए चीता कोयलिशन अग्नि तथा वायु को मादा चीता दक्षा के साथ रखा जाए। इसके बाद बाड़ा क्रमांक 7 और 1 के बीच का गेट 1 मई को खोला गया था। 6 मई को एक नर चीता दीक्षा चीता के बाड़े में दाखिल हुआ था। जिसेक बाद मादा चीता दक्षा पर पाए गए घाव संभवत हिंसक इन्टेक्शन मेटिंग के द्वारा किया गया प्रतीत होता है।
मॉनिटरिंग के बीच चीते की मौत पर उठे सवाल?-कूनो नेशनल पार्क में चीतों की 24 घंटे मॉनिटरिंग के बाद भी आपसी संघर्ष में एक चीता की मौत के दावे पर कई सवाल उठते है। पिछले दिनों दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों को बाड़ों में रखा गया है और जहां उनकी लगातार मॉनिटरिंग की जाती है। चीतों की निगरानी के लिए हाई क्वालिटी के कैमरे बाड़ों में लगाए गए है जहां से चीतों के व्यवहार के साथ उनकी गतिविधि और सेहत की लगातार मॉनिटरिंग की जाती है। ऐसे में आपसी संघर्ष में घायल होकर मादा चीता दक्षा की मौत होना अपने आप सवालों के घेरे में आ जाता है।
चीतों की शिफ्टिंग पर निर्णय क्यों नहीं?-कूनो में पिछले डेढ़ महीने में तीन चीतों के मौत के बाद पूरा प्रोजेक्ट लगातार सवालों के घेरे में है। कूनो में चीतों की अधिक संख्या के बाद पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जेएस चौहान केंद्र सरकार को चीतों को शिफ्त करने के लिए पत्र भी लिख चुके है। कूनो में चीतों की अधिक संख्या होने पर पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जेएस चौहान कहते हैं कि उन्होंने केंद्र सरकार को पत्र लिख कर चीतों की शिफ्टिंग की बात कह दी है। वह कहते हैं कि यह बहुत बड़ा रिस्क होगा कि हम एक ही स्थान पर भी चीतों को छोड़े। चीता एक्शन प्लान में कई अन्य स्थानों को चीतों के लिए उपयुक्त माना गया है और चीतों का वहां पर शिफ्ट करने का निर्णय लेना चाहिए।
श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में दक्षिण अफीका से लाए गए चीतों में से कुछ को मंदसौर के गांधी सागर अभ्यारण्य या राजस्थान के मुकुंदरा में शिफ्ट करने की बात चल रही है लेकिन अभी इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका है।
चीतों को एक साथ रखने पर विशेषज्ञों ने उठाए है सवाल?- गौरतलब है कि वेबदुनिया ने अपनी खबर में चीतों को एक ही स्थान पर रखने को लेकर सवाल उठाए थे। वेबदुनिया से बातचीत में देश के जाने माने वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट और भारत में चीता प्रोजेक्ट से जुड़े रहे वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून के पूर्व डीन डॉ. वायवी झाला और रिटायर्ड IAS अफसर एमके रंजीत सिंह ने चीतों को सिर्फ कूनो में रखने पर एतराज जताया था।
वेबदुनिया से बातचीत में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून के पूर्व डीन वायवी झाला ने कहा था कि भारत में चीतों की बसाहट में कभी एक जगह ही चीतों को छोड़ने का कभी प्लान नहीं था। चीतों को दो जगह बांटना जरूरी है।
वहीं वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट एमके रंजीत सिंह ने कहा था कि पालपुर कूनो अभ्यारण्य में एक साथ 20 चीतों को रखे जाने की कभी योजना ही नहीं थी। पालपुर कूनो में 8 चीतों से अधिक नहीं रखे जा सकते। उन्होंने सवाल उठाए थे कि दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों का कहां छोड़ा जाएगा। उन्होंने चीतों की ब्रीडिंग के लिए मुकंदरा राष्ट्रीय उद्यान को उपयुक्त बताया था।
विशेषज्ञों के लगातार सवाल उठाने के बाद भी चीतों को शिफ्ट नहीं करना लगातार सवालों के घेरे में है। वर्तमान में श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में वर्तमान में 18 चीतों के साथ 4 शावक है। वर्तमान में कूनो अभ्यारण्य में नामीबिया से लाए गए बाकी 7 चीता और दक्षिण अफीका से लाए गए 11 चीता मौजूद है।