• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. कविता
  4. poem on diwali
Written By

दीपावली कविता: अंधियारे में एक दीया जलें

दीपावली कविता: अंधियारे में एक दीया जलें - poem on diwali
poem on diwali
 
- सुशील कुमार शर्मा

दीप जलें उनके मन में,
जो मजबूरी के मारे हों।
दीप जलें उनके मन में,
जो व्यथित, व्यतीत बेचारे हैं।
 
दीप जलें उनके मन में,
जो लाचारी में जीते हैं।
दीप जलें उनके मन में,
जो अपने होठों को सीते हैं।
 
दीप जलें उनके मन में,
जो अंधियारे के सताए हैं।
दीप जलें उनके मन में,
जो कांटों पर सेज सजाए हैं।
 
दीप जलें उनके मन में,
जहां भूख संग बेकारी है।
दीप जलें उनके मन में,
जहां दु:ख-दर्द संग बीमारी है।
 
दीप जलें उस कोने में,
जहां अबला सिसकी लेती है।
दीप जलें उस कोने में,
जहां संघर्षों की खेती है।
 
दीप जलें उस कोने में,
जहां बालक भूख से रोता है।
दीप जलें उस कोने में,
जहां बचपन प्लेटें धोता है।
 
दीप जलें उस आंगन में,
जहां मन पर तम का डेरा है।
दीप जलें उस आंगन में,
जहां गहन अशांति अंधेरा है।
 
दीप जलें उस आंगन में,
जहां क्रोध, कपट, कुचालें हों।
दीप जलें उस आंगन में,
जहां कूटनीतिक भूचालें हों।
 
दीप जलें उस आंगन में,
जहां अहंकार सिर चढ़कर बोले।
दीप जलें उस आंगन में,
जहां अज्ञान, अशिक्षा संग डोले।
 
एक दीप जले उस मिट्टी पर,
जहां पर बलिदानों की हवा चले।
एक दीप जले उस मिट्टी पर,
जिस पर शहीद की चिता जले।
 
सभी को दीपावली की शुभकामनाएं...!