दीपावली पर कविता : स्वच्छता का उपहार दिवाली
दिवाली खुशियों की लाती बहार है।
लक्ष्मी की पूजा को हम सब तैयार हैं।।
फेंक दो वे सब चीजें हुईं जो बेकार हैं।
नई-नई चीजों से घर का श्रृंगार है।।
दीपों से दीप जले फैली चमकार है।
फुलझड़ी पटाखे हैं चकरी-अनार हैं।।
ध्यान रखें उनका भी लोग जो बीमार हैं।
कष्ट देता शोर और धुआं धक्कार है।।
स्वच्छता दीपावली का सबको उपहार है।
रक्षा करना इसकी अपना संस्कार है।।