• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. कविता
  4. Hindi poem

बाल गीत : श्रम के अखाड़े

बाल गीत : श्रम के अखाड़े - Hindi poem
गर्मी हो या जाड़े जी, 
हमने पढ़े पहाड़े जी।
 
सुबह-सुबह रट्टा मारा,
गिनती सौ तक पढ़ डाली।
फिर सीखी उलटी गिनती,
सौ से ज़ीरो तक वाली।
 
पन्ने ढेरों लिख डाले,
लिख-लिख कर कई फाड़े जी।
 
दो से लेकर दस तक के,
पढ़े पहाड़े बीसों बार।
शाम ढले तक किसी तरह,
करना थे सारे तैयार।
 
भूल गए लेकिन सब कुछ,
पापा खूब दहाड़े जी।   
 
एक चित्त होकर पढ़ना,
मम्मी जी का कहना है।
सद-उपयोग समय का हो,
यह जीवन का गहना है।
 
विजय श्री दिलवाते हैं,
श्रम के सभी अखाड़े जी।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
      
ये भी पढ़ें
किचन टिप्स : फ्रिज में इन चीजों को रखने से बचें, जानें स्टोरेज के बेहतर तरीके