International Museum Day : इस संग्रहालय में एक बार जरूर जाएं, अचंभित कर देंगी 5 मूर्तियां
- अथर्व पंवार
मध्यप्रदेश के मंदसौर में एक तहसील है-भानपुरा। यहां महाराजा यशवंत राव होल्कर की समाधि है जिसे भानपुरा की छत्री के नाम से जाना जाता है। यह पहले होल्कर ट्रस्ट के आधीन थी पर 2013 से पुरातत्व विभाग के द्वारा अधिकृत कर ली गई। इसे एक संग्रहालय में परिवर्तित किया गया है जहां आसपास के क्षेत्र हिंगलाजगढ़, मोड़ी, हरिपुर इत्यादि जगहों से बेहद अमूल्य मूर्तियों को यहां लाकर संरक्षण प्रदान किया है। इस संग्रहालय में 7वी शताब्दी तक की मूर्तियां हमें देखने को मिलती है। चलिए जानते हैं इस संग्रहालय की 5 अचंभित करने वाली मूर्तियों के बारे में -
1.नंदी -
यह मूर्ति इस संग्रहालय की शान है। यह नंदी अमेरिका और फ़्रांस में भी प्रदर्शनी का हिस्सा बना है। यहां इसे एक कांच के बक्से में रखा गया है। यह नंदी 10 वी शताब्दी का है जो हरिपुर से मिला था। इस मूर्ति में नंदी के सामने लड्डुओं का एक पत्र रखा है और सामने दो गन्धर्व और दो अप्सराएं भी हैं। बलुआ पत्थर से बने इस नंदी पर उकेरी गई नक्काशी आपको विस्मय में डाल देगी।
2.पंचमुखी शिवलिंग -
आपने ऐसा शिवलिंग कहीं और नहीं देखा होगा। यह शिवलिंग पांचमुखी है। जिसमें पांच पिंड मिलकर एक मुख्य शिवलिंग की आकृति बनाते हैं।
3. विष्णु प्रतिमाएं -
यहां आपको भगवान् विष्णु की अनेक प्रतिमाएं देखने को मिलेगी। यहां कुछ विग्रह तो 4 फ़ीट से भी ऊंचे हैं। इन पर किया गया बारीक कार्य सोचने को मजबूर करता है कि आज से हजार वर्ष पहले इतना परिपक्व कार्य बिना मशीन के कैसे किया होगा। इस मूर्ति में ऊपर ब्रह्म, विष्णु और महेश हैं। विष्णु के निकट ही वराह, मत्स्य और कूर्म अवतार भी दिखते हैं। नीचे की और कल्कि, परशुराम और नरसिंह की प्रतिमाएं भी साक्षात् दिखती है। सबसे बड़ी यह प्रतिमा विष्णु की है जो अपने गरूड़ पर बैठे हैं।
4.अर्धनारीश्वर -
यह प्रतिमा अर्धनारीश्वर को दर्शाती है। एक और शिव हैं और दूसरी और पार्वती। बाईं और शिव है जिनके हाथ में त्रिशूल है और दाईं और पार्वती माता है जिनके एक हाथ में कलश है। इस विग्रह की ख़ास बात यह देखने को मिलती है कि पार्वती को आसन दिया गया है जो नारीसम्मान को दर्शाता है।
5.नागराज -
इस संग्रहालय में एक नागराज की मूर्ति है जो 12वी शताब्दी की है। यह हिंगलाजगढ़ से पाई गई थी। नागराज की मूर्ति बहुत कम देखने को मिलती है। इसमें नागराज के पीछे कुन्डलीनुमा नाग आकृति मन मोह लेती है।
इस संग्रहालय में लगभग 250 मूर्तियां देखने के लिए रखी गई है और शेष स्टोर रूम में रखी हुई है। यहां आपको सदाशिव, विष्णु, वामन, पार्वती, उमामहेश, गणेश, हनुमान, सरस्वती, दुर्गा इत्यादि भवनों के सुंदर विग्रह देखने को मिलेंगे। इन मूर्तियों पर हुई नक्काशी, मूर्तियों के चेहरे से झलकता तेज, उनकी मोहकता को देखकर उन कलाकारों को नमन करने का मन करता है जिन्होंने बिना किसी मशीन के आज से एक हजार वर्ष पूर्व ऐसा अद्भुत कार्य किया जिसे आज भी करना असंभव प्रतीत सा होता है। इस क्षेत्र में जाने का उचित समय बरसात का है, जहां आपको आसपास के प्राकृतिक स्थल बड़े महादेव, छोटे महादेव, ताखाजी, हिंगलाजगढ़ इत्यादि स्थानों पर प्राकृतिक और ऐतिहासिक सुंदरता का आनंद भी मिलता है।
चित्र सौजन्य : अथर्व पंवार