lunar eclipse 2024 On Holi: इस बार होलिका दहन पर सूर्य एवं राहु की युति, भद्रा काल, बालारिष्ट योग और इसके बाद होली पर चंद्र ग्रहर का साया है। ऐसे में यह सवाल है कि होलिका दहन कब किस समय करें और होली कब मनाएं। जानिए होलिका और होली पर बन रहे अशुभ योग संयोग के बारे में और जानें सही मुहूर्त के बारे में सटीक जानकारी।
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 24 मार्च 2024 को सुबह 09:54 बजे से। इस दिन रात में होलिका दहन होगा।
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 25 मार्च 2024 को दोपहर 12:29 बजे तक। इस दिन दिन में होली मनाई जाएगी।
1. भद्रा काल : भद्रा पूंछ- शाम 06:33 से रात्रि 07:53 तक। भद्रा मुख- रात्रि 07:53 से रात्रि 10:06 तक। अर्थात रात्रि 10:06 के बाद होलिका दहन शुभ मुहूर्त में होगा।
2. सूर्य राहु युति ग्रहण दोष : कुंडली में जब भी राहु और सूर्य की युति बनती है तो उसे सूर्य ग्रहण योग कहते हैं। राहु पहले से ही मीन राशि में विराजमान है और सूर्यदेव ने 14 मार्च को मीन राशि में प्रवेश किया है। दोनों की युति से ग्रहण योग बना है।
3. बालारिष्ट दोष : 24 मार्च को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट पर चंद्रमा केतु के उत्तरफाल्गुनी नक्षत्र में और कन्या राशि में गोचर कर रहा होगा। उपरोक्त स्थिति के चलते बलारिष्ट दोष का निर्माण हो रहा है। जब चंद्रमा लग्न से छठे, आठवें और बारहवें भाव मे, कमज़ोर स्थिति में और क्रुर ग्रहों के प्रभाव मे हो तो बालारिष्ट दोष होता है।
4. चंद्र ग्रहण : 25 मार्च 2024 सुबह 10:24 से दोपहर 03:01 तक चंद्र ग्रहण रहेगा। इसके 9 घंटे पहले सूतक काल प्रारंभ होगा। यानी 24 मार्च को रात्रि को सूतक काल रहेगा।
होलिका दहन शुभ मुहूर्त- 24 मार्च रात्रि 11:13 से 12:27 के बीच। चूंकि होलिका दहन रात में होता है इसलिए 24 की रात को दहन और 25 को धुलण्डी यानी रंगवाली होली रहेगी।
Lunar Eclipse on Holi 2024
होलिका दहन की पूरी पूजा विधि- Holika Dahan Puja vidhi:-
1. सबसे पहले होलिका पूजन के लिए पूर्व या उत्तर की ओर अपना मुख करके बैठें।
2. अब अपने आस-पास पानी की बूंदें छिड़कें।
3. गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं।
4. थाली में रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबुत हल्दी, बताशे, फल और एक कलश पानी रखें।
5. नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए प्रतिमाओं पर रोली, मौली, चावल, बताशे और फूल अर्पित करें।
6. अब सभी सामान लेकर होलिका दहन वाले स्थान पर ले जाएं।
7. अग्नि जलाने से पहले अपना नाम, पिता का नाम और गोत्र का नाम लेते हुए अक्षत (चावल) में उठाएं और भगवान गणेश का स्मरण कर होलिका पर अक्षत अर्पण करें।
8. इसके बाद प्रहलाद का नाम लें और फूल चढ़ाएं।
9. भगवान नरसिंह का नाम लेते हुए पांच अनाज चढ़ाएं।
10. अब दोनों हाथ जोड़कर अक्षत, हल्दी और फूल चढ़ाएं।
11. कच्चा सूत हाथ में लेकर होलिका पर लपेटते हुए परिक्रमा करें।
12. आखिर में गुलाल डालकर चांदी या तांबे के कलश से जल चढ़ाएं।
13. इसके बाद होलिका दहन होता है।