Lunar Eclipse of the year 2024 : वर्ष 2024 में 2 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण रहेगा। पहला चंद्रग्रहण 25 मार्च 2024 सोमवार को होली के दिन और दूसरा चंद्रग्रहण 18 सितंबर 2024 को रहेगा। पहले चंद्र ग्रहण को उपच्छाया यानी उपछाया चंद्र ग्रहण कहा जा रहा है। यह चंद्रग्रहण किस समय लगेगा, कहां नजर आएगा और इसका सूतक काल का समय क्या होगा?
चंद्र ग्रहण का समय 2024: lunar eclipse time 2024-
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 24 मार्च 2024 को सुबह 09:54 बजे से। इस दिन रात में होलिका दहन होगा।
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 25 मार्च 2024 को दोपहर 12:29 बजे तक। इस दिन दिन में होली मनाई जाएगी।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण प्रारंभ :- भारतीय समय अनुसार 25 मार्च 2024 सुबह 10:24 से।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण समाप्त :- इंडियन टाइम अनुसार 25 मार्च 2024 दोपहर 03:01 पर।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण की अवधि :- इस चंद्र ग्रहण की अवधि 4 घंटे और 36 मिनट होगी।
कहां दिखाई देगा चंद्र ग्रहण : यह उपछाया चंद्रग्रहण भारत से नहीं दिखाई देगा। यह यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के ज्यादातर हिस्से, नॉर्थ एवं ईस्ट एशिया और अफ्रीका के अधिकतर हिस्से, नॉर्थ अमेरिका, साउथ अमेरिका, पेसिफिक, अटलांटिक, आर्कटिक और अंटार्कटिका के क्षेत्र में दिखाई देगा।
सूतक काल:- यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा तो इसका सूतकाल भी मान्य नहीं होगा। जहां चंद्र ग्रहण नजर आता है वहां पर 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है और मोक्ष काल तक यह रहता है। पंचांग भेद से चारों ग्रहण भारत में दृष्य नहीं होने की बात कही जा रही है। सूतक की मान्यता उसी स्थान या देश पर होती है जहां यह दिखाई देता है।
सूतककाल को अशुभ समय माना जाता है जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं करते हैं और साथ ही खास नियमों का पालन करते हैं। इन नियमों में भोजन और पानी को शुद्ध करके ही लेते हैं। ग्रहण की समाप्त के बाद घर को शुद्ध करते हैं। पानी को तुलसी का पत्ता डालकर शुद्ध करते हैं।
क्या है उपछाया ग्रहण : उपछाया ग्रहण अर्थात वास्तविक चंद्र ग्रहण नहीं होगा। मतलब यह ग्रहण ऐसी स्थिति में बनता है जब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया न पड़कर उसकी उपछाया मात्र पड़ती है। उपछाया अर्थात वास्तविक छाया नहीं बल्कि एक धुंधली सी छाया नजर आती है। मतलब यह कि ग्रहण काल में चंद्रमा कहीं से कटा हुआ होने की बजाय अपने पूरे आकार में नजर आएगा, लेकिन धुंधला सा।
हालांकि प्रत्येक चंद्र ग्रहण के प्रारंभ होने से पहले चंद्रमा धरती की उपछाया में ही प्रवेश करता है, जिसे चंद्र मालिन्य या अंग्रेजी में पेनुम्ब्रल (Penumbra) कहा जाता है। उसके बाद ही चंद्रमा धरती की वास्तविक छाया (Umbra) में प्रवेश करता है, तभी उसे चंद्रग्रहण कहते हैं। पेनुम्ब्रल अवस्था में चंद्रमा का बिंब काला होने की बजाए धुंधलासा नजर आएगा।