वृंदावन में किस तरह मनाते हैं होली का उत्सव?
संपूर्ण ब्रजमंडल यानि मथुरा, वृंदावन, गोकुल, गोवर्धन, बरसाना, नंदगांव आदि जगहों पर होलिका उत्सव बसंत पंचमी से ही प्रारंभ हो जाता है। इसके बाद होलाष्टक लगते ही फाग उत्सव भी प्रारंभ हो जाता है। रंगभरी एकादशी से इस संपूर्ण क्षेत्र में रंग उत्सव की धूम रहती है। बरसाना में लठमार होली खोली जाती है और वृंदावन में होली का अलग ही नजारा रहता है।
वृंदावन की होली :
1. वृंदावन की होली में विदेशी भक्त ज्यादा होते हैं। देश-विदेश के पर्यटक होली पर बांकेबिहारी की नगरी में पहुंच जाते हैं और होली की मस्ती उनके कण-कण में नजर आती है।
2. वृंदावन की गलियों में होली रास और रंग की तैयारी 1 महीने पहले से प्रारंभ हो जाती है।
3. रंगभरी एकादशी के बाद श्रीबांकेबिहारी धाम में परंपरागत रूप से होली उत्सव शुरू हो जाता है।
4. श्रीबांकेबिहारी मंदिर को फूलों से सजाया जाता है और उनकी अष्ट प्रहर विशेष पूजा में 56 भोग लगाए जाते हैं।
5. वृंदावन में चारों तरफ केसर टेसू के फूलों से केसर रंग की धूम नजर आती है और वातावरण सुगंधित हो जाता है।
6. मंदिर में टेसू के रंगों के साथ-साथ चोवा, चंदन और गुलाल के साथ होली खेली जाती है।
7. बांकेबिहारी के दर्शन के लिए दूरदराज से लोग आते है और यहां अबीर-गुलाल की मस्ती से सराबोर हो जाते हैं।
8. यहां पर रंगभरी एकादशी से रंगपंचमी तक होली की धूम रहती है। खासकर धुलैंडी पर लोग नाचते और गाते हैं।