सावधान! कलयुग चल रहा है, कलिकाल में स्त्री पुरुष कैसे होंगे?
सतयुग में पाप की मात्र 0 विश्वा अर्थात् 0% होती है। पुण्य की मात्रा 20 विश्वा अर्थात् 100% होती है। त्रेता में पाप की मात्रा 5 विश्वा अर्थात् 25% होती है और पुण्य की मात्रा 15 विश्वा अर्थात् 75% होती है। द्वापर में पाप की मात्रा 10 विश्वा अर्थात् 50% होती है जबकि पुण्य की मात्रा 10 विश्वा अर्थात् 50% होती है। कलियुग में पाप की मात्रा 15 विश्वा अर्थात् 75% होती है, जबकि पुण्य की मात्रा 5 विश्वा अर्थात् 25% होती है। इसलिए कहते हैं कि पुण्यात्मा सावधान! कलयुग चल रहा है।
कलियुग का वर्णन करते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं कि कलियुग में ऐसे लोगों का राज्य होगा, जो दोनों ओर से शोषण करेंगे। बोलेंगे कुछ और करेंगे कुछ। मन में कुछ और कर्म में कुछ। ऐसे ही लोगों का राज्य होगा।
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पुराणों के अनुसार कलयुग में थोड़े से धन से मनुष्यों में बड़ा घमंड होगा।
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स्त्रियों को अपने केशों पर ही रूपवती होने का गर्व होगा।
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कलयुग में स्त्रियां धनहीन पति को त्याग देंगी उस समय धनवान पुरुष ही स्त्रियों का स्वामी होगा।
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जो अधिक देगा उसे ही मनुष्य अपना स्वामी मानेंगे। उस समय लोग प्रभुता के ही कारण सम्बन्ध रखेंगे।
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स्त्रियां कठोर स्वभाव वाली व कड़वा बोलने वाली होंगी। वे पति की आज्ञा नहीं मानेंगी। जिसके पास धन होगा उसी के पास स्त्रियां रहेगी।
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बलवान और धनवान पुरुष ही सब का स्वामी होगा।
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जिस किसी के मुख से जो निकल जाएगा उसे ही शास्त्र समझा जाएगा।
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कलयुग में ढोंग और पाखंड उसके अंतिम चरम पर होगा।
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पुरुष पिशाच, मानव, मुर्दे की पूजा करेंगे।
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मनुष्यों का स्वभाव गधों जैसा दुस्सह, केवल गृहस्थी का भार ढोने वाला रह जाएगा। लोग विषयी हो जाएंगे।
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धर्म-कर्म का लोप हो जाएगा। मनुष्य जपरहित नास्तिक व चोर हो जाएंगे। सभी एक-दूसरे को लूटने में रहेंगे।
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कलियुग में समाज हिंसक हो जाएगा। जो लोग बलवान होंगे उनका ही राज चलेगा। मानवता नष्ट हो जाएगी। रिश्ते खत्म हो जाएंगे।
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एक भाई दूसरे भाई का ही शत्रु हो जाएगा। जुआ, शराब, परस्त्रिगमन और हिंसा ही धर्म होगा।
पुत्रः पितृवधं कृत्वा पिता पुत्रवधं तथा।
निरुद्वेगो वृहद्वादी न निन्दामुपलप्स्यते।।
म्लेच्छीभूतं जगत सर्व भविष्यति न संशयः।
हस्तो हस्तं परिमुषेद् युगान्ते समुपस्थिते।।
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पुत्र, पिता का और पिता पुत्र का वध करके भी उद्विग्न नहीं होंगे।
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अपनी प्रशंसा के लिए लोग बड़ी-बड़ी बातें बनाएंगे किन्तु समाज में उनकी निन्दा नहीं होगी।
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उस समय सारा जगत् म्लेच्छ हो जाएगा- इसमें संशयम नहीं। एक हाथ दूसरे हाथ को लूटेगा।
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कलियुग में लोग शास्त्रों से विमुख हो जाएंगे। अनैतिक साहित्य ही लोगों की पसंद हो जाएगा।
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बुरी बातें और बुरे शब्दों का ही व्यवहार किया जाएगा।
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स्त्री और पुरुष, दोनों ही अधर्मी हो जाएंगी।
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स्त्रियां पतिव्रत धर्म का पालन करना बंद कर देगी और पुरुष भी ऐसा ही करेंगे।
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स्त्री और पुरुषों से संबंधित सभी वैदिक नियम विलुप्त हो जाएंगे।