• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. आलेख
  4. Wild marigold
Written By
Last Modified: गुरुवार, 2 जुलाई 2020 (15:10 IST)

विभिन्न ऊंचाई वाले स्थानों पर अलग-अलग होते हैं जंगली गेंदे के गुण

विभिन्न ऊंचाई वाले स्थानों पर अलग-अलग होते हैं जंगली गेंदे के गुण - Wild marigold
उमाशंकर मिश्र, 

नई दिल्ली, तुलसी, जिरेनेयम, मेंथा, गेंदा और गुलाब जैसे पौधों के अर्क से बने सगंध तेलों का उपयोग दवाइयों, कॉस्मेटिक उत्पादों, परफ्यूम और फूड इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर होता है।

एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि सगंध तेल उत्पादन के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में उगाई जाने वाली जंगली गेंदे की टैजेटिस माइन्यूटा प्रजाति को विभिन्न ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगाए जाने पर उसके गुणों में परिवर्तन देखने को मिल सकता है। गेंदे की टैजेटिस माइन्यूटा प्रजाति से प्राप्त सगंध तेल की रासायनिक संरचना और उसके सूक्ष्मजीव प्रतिरोधी गुणों का आकलन करने के बाद शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं।

जंगली गेंदा (टैजेटिस माइन्यूटा)
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) से संबद्ध हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश के शोधकर्ताओं द्वारा हिमालय के अलग-अलग ऊंचाई वाले क्षेत्रों में यह अध्ययन किया गया है।

इस अध्ययन के दौरान हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और मणिपुर में विभिन्न ऊंचाई वाले 16 क्षेत्रों में टैजेटिस माइन्यूटा की खेती की गई है। शोधकर्ताओं ने अलग-अलग ऊंचाई पर उगाए गए टैजेटिस माइन्यूटा और उससे प्राप्त अर्क के गुणों का रासायनिक एवं सूक्ष्मजीव-रोधी परीक्षण किया है, जिससे अलग-अलग ऊंचाई के अनुरूप जंगली गेंदे के सगंध तेल में मौजूद तत्वों की सघनता में विविधता पायी गई है। यह अध्ययन शोध पत्रिका इंडस्ट्रियल क्रॉप्स ऐंड प्रोडक्ट्स में प्रकाशित किया गया है।

आईएचबीटी के प्रमुख शोधकर्ता डॉ राकेश कुमार ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि टैजेटिस माइन्यूटा से प्राप्त सगंध तेल की जैव-प्रतिरोधी प्रतिक्रिया का परीक्षण ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया माइक्रोकॉकस ल्यूटिअस (Micrococcus Luteus) तथा स्टैफिलोकॉकस ऑरिअस (Staphylococcus Aureus) और ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया क्लेबसिएल्ला निमोनिए (Klebsiella Pneumoniae) एवं स्यूडोमोनास एरुजिनोसा (Pseudomonas Aeruginosa) पर किया गया है।

ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया की तुलना में ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया पर टैजेटिस माइन्यूटा सगंध तेल की बेहतर गतिविधि देखी गई है। स्टैफिलोकॉकस ऑरिअस बैक्टीरिया के खिलाफ इनमें से कुछ तेलों को प्रभावी पाया गया है। इसी आधार पर कहा जा रहा है कि ऐसे तेलों का उपयोग सूक्ष्मजीव-रोधी एजेंट के रूप में हो सकता है।

टैजेटिस माइन्यूटा या जंगली गेंदा अपने कृषि-रसायनों, खाद्य उपयोग, फ्लेवर, सुगंध और औषधीय गुणों के कारण दुनिया भर में व्यापक रूप से उगाया जाता है। दक्षिण अफ्रीका के बाद भारत गेंदे के तेल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।

जंगली गेंदे से मिलने वाले सगंध या वाष्पशील तेल में फ्लेवर व सुगंध आधारित एजेंट जेड-बीटा-ओसिमीन, लिमोनीन, डाईहाइड्रोटैजीटोन, टैजीटोन-ई तथा टैजीटोन-जेड और ओसिमीनोन-ई एवं ओसिमीनोन-जेड जैसे घटक पाए जाते हैं। इस शोध के दौरान जंगली गेंदे में जे-बीटा-ओसिमीन की मात्रा ज्यादा ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अधिक देखी गई है। जबकि, डाईहाइड्रोटैजीटोन के मामले में अधिक ऊंचाई के विपरीत प्रभाव देखे गए हैं।

जंगली गेंदे से प्राप्त सगंध तेल
सगंध तेलों की गुणवत्ता का मूल्यांकन उनमें पाए जाने वाले घटकों के आधार पर किया जाता है। जेड-बीटा-ओसिमीन की 40-55 प्रतिशत मात्रा युक्त सगंध तेल का मूल्य अंतरराष्ट्रीय बाजार में सर्वाधिक होता है। जबकि, जैवनाशी सक्रियता के मामले में टैजीटोन को महत्वपूर्ण माना जाता है।

परजीवी-रोधी, वातनाशी, दर्द-निवारक, रोगाणु-रोधी, क्षुधावर्धक और मरोड़-रोधी गुणों एवं जैविक सक्रियता के कारण हाल के वर्षों में टैजेटिस माइन्यूटा पर केंद्रित शोध की ओर वैज्ञानिकों का झुकाव बढ़ा है। इस तरह के अध्ययन पौधों, मनुष्य एवं पशुओं में पाए जाने वाले विभिन्न रोगजनक सूक्ष्मजीवों को केंद्र में रखकर किए जा रहे हैं।

डॉ कुमार ने बताया कि पर्यावरणीय परिस्थितियां इस तरह की विविधता के पीछे उल्लेखनीय भूमिका निभाती हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि विभिन्न औषधीय और सगंध पौधों में ऊंचाई के प्रभावों का आकलन बेहद कम किया गया है। टैजेटिस माइन्यूटा के संबंध में भी इस तरह की जानकारी सीमित है। इस अध्ययन से प्राप्त जानकारी फार्मास्यूटिकल अनुप्रयोगों, फ्लेवरिंग, खाद्य उत्पादों और इत्र उद्योगों के लिए विशिष्ट रासायनिक इकाइयों के चयन में मददगार हो सकती है।

उन्होंने कहा है कि टैजेटिस माइन्यूटा जैसे सगंध पौधों के बारे में इस तरह की जानकारी अरोमा मिशन और उससे जुड़े किसानों के लिए भी उपयोगी हो सकती है। शोधकर्ताओं की टीम में डॉ राकेश कुमार के अलावा स्वाति वालिया, सृजना मुखिया, विनोद भट्ट और रक्षक कुमार शामिल हैं। (इंडिया साइंस वायर)