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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 8 मई 2024 (11:22 IST)

World Thalassaemia Day: थैलेसीमिया क्या है, जानें इतिहास, तथ्य, लक्षण और उपचार

विश्व थैलीसीमिया दिवस पर जानें इस बीमारी के बारे में

World Thalassaemia Day: थैलेसीमिया क्या है, जानें इतिहास, तथ्य, लक्षण और उपचार - World Thalassaemia Day 2024
World Thalassemia Day

HIGHLIGHTS
 
• जानें थैलेसीमिया क्या है।
• थैलेसीमिया दिवस का उद्देश्य।
• थैलेसेमिया के लक्षण और बचाव
 
World Thalassemia Day : पूरी दुनिया में हर साल 08 मई को वर्ल्ड थैलेसीमिया डे/विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का सबसे बड़ा उद्देश्य लोगों में खून या रक्त से संबंधित होने वाली इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। 
 
आइए जानते हैं इस दिवस के बारे में : 
 
कैसे हुई इस दिन की शुरुआत : आपको बता दें कि थैलेसीमिया का पहला रोगी भारत में सन् 1938 में सामने आया था, लेकिन विश्व थैलेसीमिया दिवस पहली बार वर्ष 1994 में मनाया गया। तथा  थैलेसीमिया अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन के अध्यक्ष और संस्थापक जॉर्ज एंगलजोस ने ही इस दिन की शुरुआत की थी। जिसका उद्देश्य लोगों को इस रोग के प्रति जागरूक करना और इस रोग से पीड़ित बच्चों तथा उनके माता-पिता को सम्‍मान देना और जीवन में उम्मीद बनाए रखना है।
 
क्या है थैलेसीमिया : थैलेसीमिया एक ऐसा रोग है, जो छोटे बच्चों में जन्म से ही मौजूद रहता है। 3 माह की उम्र के बाद ही इसकी पहचान होती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसमें बच्चे के शरीर में खून की भारी कमी होने लगती है, जिसके कारण उसे बार-बार बाहरी खून की जरूरत होती है। जब खून की कमी से हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है और बार-बार खून चढ़ाने के कारण मरीज के शरीर में अतिरिक्त लौह तत्व जमा होने लगता है, जो हृदय में पहुंच कर जानलेवा साबित होता है। 
 
थैलेसीमिया के बारे में जानें : थैलेसीमिया एक बच्चों को उनके माता-पिता से मिलने वाला आनुवांशिक रक्त रोग है तथा इस बीमारी की पहचान बच्चे में 3 महीने बाद ही हो पाती है। लगातार बीमार रहना, सूखता चेहरा, वजन ना बढ़ना और इसी तरह के कई लक्षण बच्चों में थैलेसीमिया रोग होने पर दिखाई देते हैं। माता-पिता से अनुवांशिकता के तौर पर मिलने वाली इस बीमारी की सबसे बड़ी विडंबना है कि इसके कारणों का पता लगाकर भी इससे बचा नहीं जा सकता। यदि हंसने-खेलने और मौज-मस्ती करने की उम्र में बच्चों को लगातार अस्पतालों में ब्लड बैंक के चक्कर काटने पड़ें, तो सोचिए उनका और उनके परिजनों का क्या हाल होगा। 
 
थैलेसीमिया रोग में ऐसे कई तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। 
 
- बढ़ती उम्र के हिसाब शारीरिक विकास न होना 
- कमजोरी और उदासी रहना 
- बार-बार बीमारी होना 
- सर्दी, जुकाम बने रहना 
- शरीर में पीलापन बना रहना
- डार्क रंग का यूरिन 
- भूख न लगना
- सांस लेने में तकलीफ होना
- नाखून, आंखें और जीभ पीलेपन पर दिखाई पड़ना
- कई तरह के संक्रमण होना
- दांत बाहर की ओर निकल आना 
- एनीमिया
- पेट में सूजन
 
थैलेसीमिया का उपचार : 
 
- सतर्कता ही बच्चे को इस रोग से बचाने का एकमात्र तरीका है। 
- शादी से पहले कुंडली मिलान के साथ ही महिला-पुरुष अपने रक्त की जांच कराएं।
- गर्भावस्था के दौरान ही इसकी जांच कराना उचित रहता है।
- समय पर दवाइयां लें और इलाज पूरा करें। 
- रोगी का हीमोग्लोबिन 11 या 12 बनाए रखने की कोशिश करें।
- यदि एचएलए यानी जीन बिल जाए तो बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराना।
 
इस रोग के बारे में अहम तथ्य- देशभर में थैलेसीमिया, सिकल सेल, हिमोफेलिया, सिकलथेल, आदि से पीड़ित अधिकांश गरीब बच्चे 8-10 वर्ष से ज्यादा नहीं जी पाते। बता दें कि थैलेसीमिया एक प्रकार का रक्त रोग है। यह 2 प्रकार का होता है। यदि पैदा होने वाले बच्चे के माता-पिता दोनों के जींस में माइनर थैलेसीमिया होता है, तो बच्चे में मेजर थैलेसीमिया हो सकता है, जो काफी घातक हो सकता है। यदि पालकों में से एक ही में माइनर थैलेसीमिया हो तो किसी बच्चे को खतरा नहीं होता। अतः जरूरी यह है कि शादी-विवाह से पहले ही महिला-पुरुष दोनों अपनी जांच करा लें, तो ठीक रहता है, क्योंकि यह एक ऐसा ब्‍लड डिसऑर्डर जो जन्‍म से मिलता है, और इससे बच्चे की जान को खतरा बना रहता है। 
 
थैलेसीमिया पीड़ित के उपचार में काफी खून और दवाइयों की जरूरत होती है। इस कारण हर कोई इस बीमारी का इलाज नहीं करवा पाते, जिससे 12 से 15 वर्ष की आयु में बच्चों की मौत हो जाती है। यदि सही इलाज हो जाता है तो 25 वर्ष व इससे अधिक जीने की उम्मीद बन होती है। पर जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, खून की जरूरत भी बढ़ती जाती है। अत: सही समय पर ध्यान रखकर रोग की पहचान कर लेना उचित होता है। अस्थि मंजा ट्रांसप्लांटेशन जो कि एक किस्म का ऑपरेशन होता हैं, वह इस रोग में काफी हद तक फायदेमंद साबित होता है, लेकिन इसका खर्च बहुत ज्यादा होता है। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

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