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Last Updated : मंगलवार, 12 जुलाई 2022 (13:06 IST)

Guru Purnima 2022 : हनुमानजी हैं सबसे बड़े गुरु, जानिए कैसे

Guru Purnima 2022 : हनुमानजी हैं सबसे बड़े गुरु, जानिए कैसे - Guru hanuman ji
Guru Purnima 2022: किसी का गुरु होने के लिए उनके शिष्य भी होना चाहिए। आप कहेंगे कि हनुमानजी के तो कोई शिष्य नहीं थे फिर वे कैसे किसी के गुरु हुए और कैसे वे सबसे बड़े सद्गुरु हुए। आओ जानते हैं इस संबंध में कुछ खास बातें।
 
1. गुरु का अर्थ : हनुमानजी कई लोगों के गुरु थे इस बात को सिद्ध करने के लिए सबसे पहले यह जानना होगा कि गुरु का अर्थ क्या है। 'गु' शब्द का अर्थ है अंधकार (अज्ञान) और 'रु' शब्द का अर्थ है प्रकाश ज्ञान। अज्ञान को नष्ट करने वाला जो ब्रह्म रूप प्रकाश है, वह गुरु है। इसीलिए गुरु का ब्रह्मज्ञानी होना जरूरी है। ब्रह्मज्ञानी के मुख पर तेज होता है।
 
दूसरा यह कि कबीरदास जी कहते हैं कि- गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियो बताय। गुरु और भगवान दोनों ही मेरे सम्मुख खड़े है, परन्तु गुरु ने ईश्वर को जानने का मार्ग दिखा दिया है।
 
2. हनुमानजी ने विभीषण को मार्ग दिखाया : विभीषण श्रीराम के भक्त थे। जब हनुमानजी लंका पहली बार गए तो उन्होंने यह जाना तो उन्होंने विभीषण को मार्ग बताया और विभीषण के गुरु बनकर ही उन्होंने प्रभु श्रीराम से विभीषण को मिलाया। कहते हैं कि हनुमानजी की सबसे पहली स्तुति विभीषण ने ही की थी। हनुमानजी ने ही सतयुग में राजा इंद्रद्युम्न को प्रभु का मार्ग बताकर भगवान जगन्नाथ मंदिर की स्थापना कराई थी। प्राचीनकाल में वहां पर श्रीराम की ही पूजा होती थी।
Hanuman Puja
3. अर्जुन और भीम के गुरु : महाभारत काल में हनुमानजी ने भीम और अर्जुन का घमंड चूर चूर करके उन्हें श्रीराम की महिमा बताई थी। बाद में हनुमानजी ने दोनों की ही उचित मार्गदर्शन करके महाभारत का युद्ध में विजयी दिलाई थी। हनुमानजी स्वयं अर्जुन की ध्वजा पर बैठकर युद्ध लड़े थे। उन्होंने श्रीकृष्‍ण के कहने पर ही सत्यभामा, गरुढ़, बलराम और चक्र के घमंड को चूर चूर कर दिया था।
 
4. माधवाचार्य : कलयुग में हनुमानजी ने श्रीराम के परमभक्त माधवाचार्य को साक्षात दर्शन देकर प्रभु श्रीराम का मार्ग बताया था।
 
5. तुलसीदासजी : भक्त तुलसीदासजी को गुरु बनकर हनुमानजी ने ही तो श्रीराम से मिलवाया था। हनुमानजी की प्रेरणा से ही तुलसीदासजी ने रामचरित मानस की रचना की थी।  
 
6. समर्थ रामदास: हनुमानजी के परमभक्त और छत्रपति शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास ने हनुमानजी का साक्षात्कार करके ही संपूर्ण देश में अखाड़ों की स्थापना की थी। देशभर के सभी पहलवानों के गुरु हनुमानजी ही तो हो। जय हनुमान।
 
7. जिसका कोई नहीं उसके हनुमान गुरु : कहते हैं कि यदि आपका कोई गुरु नहीं है तो आप हनुमानजी को अपना गुरु बना लीजिये और फिर देखिये की कैसे नैया पार होती है। कहते हैं कि हनुमानजी के लाखों शिष्य रहे हैं जो कभी वनवासी, आदिवासी थे।

8. हनुमानजी के गुरु : सूर्य, नारद के अलावा एक मान्यता अनुसार हनुमानजी के गुरु मातंग ऋषि भी थे। मतंग ऋषि शबरी के गुरु भी थे। कहते हैं कि मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमानजी का जन्म हआ था। मतंग ऋषि के यहां माता दुर्गा के आशीर्वाद से जिस कन्या का जन्म हुआ था वह मातंगी देवी थी।
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