क्यों Omicron के मरीजों को रखा जा रहा है कोरोना मरीजों से अलग?
देश में कोरोना के कुल मरीजों में वेरिएंट ओमिक्रॉन से संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अब तक देश में ओमिक्रॉन वेरिएंट के कुल 97 मामले मिल चुके हैं।
डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले 70 गुना ज्यादा संक्रामक इस वेरिएंट को लेकर चिंता पैदा हो गई है। यही वजह है कि इस नए वेरिएंट के फैलाव को रोकने के लिए स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के स्तर पर अधिक निगरानी और सतर्कता बरती जा रही है।
नए संक्रमण से बचाव के लिए दिल्ली ही नहीं जयपुर सहित कई राज्यों में बने कोविड अस्पतालों में ओमिक्रॉन के मरीजों को कोविड मरीजों के लिए बने वार्ड से अलग रखा जा रहा है। कई राज्यों में अलग से ओमिक्रॉन वार्ड बनाए गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा करने के पीछे बड़ी वजह है।
ओमिक्रॉन के मरीजों को कोविड मरीजों से अलग रखे जाने को लेकर दिल्ली सरकार के लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार ने न्यूज 18 हिंदी को बताया कि ओमिक्रॉन एक नया वेरिएंट है, वहीं इसके प्रसार को लेकर कहा जा रहा है कि यह अभी तक के सभी वेरिएंट के मुकाबले सबसे ज्यादा तेजी से फैलता है. यही वजह है कि इसको लेकर खास सावधानी बरती जा रही है।
साथ ही इनकी निगरानी भी की जा रही है ताकि इस वेरिएंट के बारे में और जानकारी मिल सके। यह कितना गंभीर है और किस उम्र के लोगों में संक्रमण फैला रहा है यह भी पता लगाया जा रहा है। अभी तक एलनजेपी अस्पताल में ओमिक्रॉन के 20 मरीज आ चुके हैं। यहां खासतौर पर इसी म्यूटेंट के लिए 100 बेड की व्यवस्था की गई है। जबकि अन्य कोविड मरीजों के लिए अलग से बेड की सुविधा है।
ओमिक्रॉन के मरीजों को अलग रखने के पीछे यह भी एक वजह है कि यह देखा जा सके कि इनमें कौन से नए लक्षण हैं जो कोविड के अन्य म्यूटेंट से अलग हैं। साथ ही अगर इन्हें सभी के साथ रख दिया जाएगा तो चूंकि यह वेरिएंट ज्यादा संक्रामक है, ऐसे में इससे मरीजों को नहीं बल्कि मरीजों की देखभाल में लगे स्टाफ, परिजनों और संपर्क में आए अन्य किसी भी व्यक्ति को संक्रमण का खतरा है। इसलिए इन्हें अलग निगरानी में रखा जा रहा है।