छत्तीसगढ़ के दुर्ग ज़िले की पुलिस कबूतरों की तलाश कर रही है। शहर के हर मुहल्ले में कबूतर तलाशे जा रहे हैं। वो भी एक, दो नहीं, पूरे 120 कबूतर। पुलिस का कहना है कि वह 'विशेष रुचि' लेकर इन कबूतरों को तलाश रही है।
असल में ये कबूतर भी कोई आम कबूतर नहीं हैं। दावा है कि ये सभी 'चैंपियन' कबूतर हैं। असल में दुर्ग के कसारीडीह इलाके के रहने वाले रथिंद्र नाथ मायती कबूतरबाज़ी करते हैं। उनके पास सैकड़ों की संख्या में कबूतर हैं। अलग-अलग नस्ल के इन कबूतरों की कीमत लाखों रुपए बताई गई है।
रथिंद्र नाथ मायती ने बीबीसी को बताया, "मंगलवार को मेरे तीन मंज़िला मकान के ऊपरी हिस्से में रखे गये 120 कबूतर चोरी हो गए। कबूतरबाज़ी की अलग-अलग प्रतियोगिताओं में इनमें से अधिकांश कबूतरों ने राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते हैं। कई-कई घंटे बिना थके ये कबूतर उड़ते हैं, करतब दिखाते हैं। आप समझिये कि मैं बर्बाद हो गया।"
मायती ने आसपास में अपने कबूतरों को तलाशा, लेकिन कहीं पता नहीं चलने पर उन्होंने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई।
'मेरे कबूतर लौट आएंगे'
दुर्ग कोतवाली में मामले की रिपोर्ट दर्ज कर के अब पुलिस इस चोरी की जांच कर रही है। पद्मनाभपुर पुलिस चौकी के प्रभारी प्रमोद श्रीवास्तव कहते हैं, "कबूतर कहां गये, यह तो जांच का विषय है। लेकिन मेरी समझ से छत्तीसगढ़ में अपनी तरह का संभवतः यह पहला मामला है। इस मामले में हम ख़ास रुचि लेकर कबूतर और आरोपियों की तलाश कर रहे हैं।"
इन कबूतरों के मालिक रथिंद्र नाथ मायती को आशंका है कि इसी साल मई और जून के महीने में कबूतरबाज़ी की राष्ट्रीय स्पर्धा हो रही है और उनके 'चैंपियन' कबूतरों को इस स्पर्धा से दूर रखने के लिये किसी ने इस घटना को अंजाम दिया है।
मायती को इस बात का भी अफ़सोस है कि हैदराबाद में रहने वाले पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने लाखों रुपए की क़ीमत वाले लगभग 25 कबूतर उन्हें भेंट किए थे। उनमें से भी 10 कबूतर गायब हैं।
मायती ख़ुद भी दुर्ग के अलावा पड़ोसी ज़िलों में अपने कबूतरों के बारे में पता करवा रहे हैं। उन्हें इस बात का भरोसा है कि उनके कबूतरों को बस एक बार मौका मिल जाए, वे जहां-कहीं भी होंगे मायती के पास लौट आएंगे।