International Yoga Day 2024: 21 जून 2024 को विश्व योग दिवस मनाया जाएगा। इस दिन रह कोई योगासन करते हुए पाया जाएगा। योग के 8 अंग है- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। इसमें से हम आपको कुछ भी नहीं बताएंगे। बल्की योग की वे 10 टिप्स बताएंगे जिन्हें आजमाकर आप स्वस्थ हो सकते हैं।
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1. अंग संचालन : इसे सूक्ष्म व्यायाम भी कहते हैं। अंग सचालन खड़े रहकर, बैठक और लेटकर किए जाते हैं। इसके लिए आपके अपने हाथ-पैर की कलाइयों को, एड़ियों को, कमर को, आंखों की पुतलियों को, गर्दन को, जीभ को और कंधों को क्लाकवाइज एवं एंटी-क्लाकवाइज 4 से 5 बार घुमाते हैं। हाथों की मुट्ठी को खोलें और बंद करें। यह एक्सरसाइज पूरे हाथ-पैर, सर्वाइकल स्पोंडोलाइटिस, फ्रोजन सोल्डर, जोड़ों का दर्द, साइटिका, नेत्र रोग, तनाव, सिरदर्द, गर्दन का दर्द, कमर दर्द, पीठ दर्द, पेट के रोग, कमजोर बोन, कमजोरी, रक्त अशुद्धता, आलस्य, कब्ज आदि रोगों में लाभदायक है।
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2. अंगड़ाई लेना : कानों को मरोड़ें, पूरा मुंह खोलकर बंद करें। अंगड़ाई आए तो उसको अच्छे से मजा लेते हुए करें। बिल्ली या कुत्ते की तरह अंगड़ाई लेना भी एक प्रकार का योग है जिससे मांसपेशियों में खिंचाव होता है और वे फिर से तरोताजा हो जाती है।
4. झपकी ध्यान : जहां भी जैसी भी स्थिति में बैठे या खड़े हैं तो स्वयं को स्थिर करते हुए पूरी तरह से आंखें बंद करके सिर्फ एक मिनट का झपकी ध्यान करें। जब भी लगे की नींद सता रही है तो झपकी मार ही लें। इसमें सांसों के आवागमन को तल्लीनता से महसूस करें। गहरी-गहरी सांस लें। आठ घंटे की नींद से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है एक मिनट का यह झपकी ध्यान, जो मस्तिष्क की सक्रियता बढ़ाता है और व्यक्ति को हमेशा तरोताजा रखता है। इससे मानसिक तनाव घटता है तथा आँखों को आराम मिलता है। इससे श्वास संतुलित बनती है और हृदय तथा फेंफड़ों में पुन: जागृति आती है।
5. हस्त मुद्राएं : आप कम से कम 10 महत्वपूर्ण हस्त मुद्राएं सीख लें। यह बहुत ही काम की होती है। इससे शरीर में एक ओर जहां खून का संचरण सुचारू रूप से चलता है वहीं कई प्रकार के रोग दूर रोते हैं। यह करने में बहुत ही आसान होती हैं। घेरंड में 25 और हठयोग प्रदीपिका में 10 मुद्राओं का उल्लेख मिलता है, लेकिन सभी योग के ग्रंथों की मुद्राओं को मिलाकर कुल 50 से 60 हस्त मुद्राएं हैं।
7. नमस्कार मुद्रा और ताली : आप नमस्कार की मुद्रा में दोनों हाथों की हथेलियों को हल्का से प्रेशर दें अर्थात एक दूसरे को दबाएं। इससे आपके कंधे और गर्दन की नसें खुलेंगी और उनमें रक्त संचार अच्छे से होगा।
8. ताली योग : दूसरा आप हथेलियों को बजाने की बजाएं ठोंके इससे भी स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। हमारे हाथ के तंतु मष्तिष्क के तंतुओं से जुड़े हैं। हथेलियों को दबाने से या जोड़े रखने से हृदयचक्र और आज्ञाचक्र में सक्रियता आती है जिससे जागरण बढ़ता है। उक्त जागरण से मन शांत एवं चित्त में प्रसन्नता उत्पन्न होती है। हृदय में पुष्टता आती है तथा निर्भिकता बढ़ती है। इस मुद्रा का प्रभाव हमारे समूचे भावनात्मक और वैचारिक मनोभावों पर पड़ता है, जिससे सकारात्मकता बढ़ती है। यह सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से भी लाभदायक है।
9. स्नान योगा : हमारी त्वचा में लाखों रोम-कूप है जिनसे पसीना निकलता रहता है। इन रोम कूपों को जहां भरपूर ऑक्सीजन की जरूरत होती है वहीं उन्हें पौषक तत्व भी चाहिए, लेकिन हमारी त्वचा पर रोज धुल, गर्द, धुवें और पसीने से मिलकर जो मैल जमता है उससे हमारी त्वचा की सुंदरता और उसकी आभा खत्म हो जाती है। त्वचा की सफाई का काम स्नान ही करता है। शारीरिक शुद्धता भी दो प्रकार की होती है- पहली में शरीर को बाहर से शुद्ध किया जाता है। इसमें मिट्टी, उबटन, त्रिफला, नीम आदि लगाकर निर्मल जल से स्नान करने से त्वचा एवं अंगों की शुद्धि होती है। दूसरी शरीर के अंतरिक अंगों को शुद्ध करने के लिए योग में कई उपाय बताए गए है- जैसे शंख प्रक्षालन, नेती, नौलि, धौती, कुंजल, गजकरणी, गणेश क्रिया, अंग संचालन आदि।
10. जालंधर बंध : इसे चिन बंध भी कहते हैं। कहते हैं कि यह बंध मौत के जाल को भी काटने की ताकत रखता है, क्योंकि इससे दिमाग, दिल और मेरुदंड की नाड़ियों में निरंतर रक्त संचार सुचारु रूप से संचालित होता रहता है। जालंधर के अभ्यास से प्राण का संचरण ठीक से होता है। मेरुदंड में खिंचाव होने से उसमें रक्त संचार तेजी से बढ़ता है। इससे प्राणवायु अर्थात ऑक्सिजन लेवल भी बढ़ता है। यह फेंफडों को मजबूत करता है। इस कारण सभी रोग दूर होते हैं और व्यक्ति सदा स्वस्थ बना रहता है।
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