मंगलवार, 26 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. योग
  3. योगा टिप्स
  4. कोरोना से मानसिक दृढ़ता से कैसे किया जा सकता है मुकाबला?
Written By

कोरोना से मानसिक दृढ़ता से कैसे किया जा सकता है मुकाबला?

Coronavirus | कोरोना से मानसिक दृढ़ता से कैसे किया जा सकता है मुकाबला?
कोराना से जंग में मन की शक्ति का होना बहुत जरूरी है। ऐसे कई लोग हैं जो कोराना मरिज से मिले और फिर भी उन्हें कोरोना नहीं हुआ। ऐसे भी कई लोग हैं जिन्हें कोरोना हो गया और वे 4 दिन में या 7 दिन में ठीक हो गए। यह सब मन का खेल है परंतु आप सोचेगे ऐसा कैसे हो सकता है तो जानिए कैसे मानसिक दृढ़ता प्राप्त की जा सकती है।
 
 
1. भय और चिंता : डॉक्टर मानते हैं कि भय और चिंता से आपका इम्युनिटी सिस्टम गड़बड़ा जाता है। कोरोना काल में सबसे जरूरी है इम्युनिटी पावर को बढ़ना। यदि आप भय और चिंता से घिरे रहेंगे तो इम्युनिटी बूस्टर लेने का कोई फायदा नहीं होगा। तनाव आपकी (आंतरिक) शक्ति और आत्मा की आवाज को दबा देता है। इसलिए इसे समझें और इससे दूर रहें। मन को मनोरंजन और रिश्तों में संवाद में लगाएं, टीवी देखें या गेम खेलें। 

 
2. ध्यान और प्राणायम : मन की शक्ति को बढ़ाने के दो सरल उपाय है पहला यह कि आप नियमित प्राणायाम और ध्यान करें। ध्यान करने से हमारी खोई ऊर्जा फिर से संचित होने लगती है और साथ ही अतिरिक्त ऊर्जा का संचय होता है जो हमें हर तरह के रोग और शोक से लड़ने में मदद करता है। ध्यान हमारे विचारों पर नियंत्रण रखता है वहीं प्राणायाम हामारे फेंफड़े और मस्तिष्क में ऑक्सिजन का लेवल बढ़ा देता है। आपके मन में जब भी भय या चिंता आए तो आप लंबी श्‍वास लेकर छोड़ें। ऐसा 10 बार करें। यदि किसी भी प्रकार का मानसिक रोग है तो वह मिट जाएगा, जैसे चिंता, घबराहट, बेचैनी, अवसाद, शोक, शंकालु प्रवृत्ति, नकारात्मकता, द्वंद्व या भ्रम आदि।
 
 
3. निर्भिकता : गीता में कहा गया है। न जन्म तुम्हारे हाथ में है और न मृत्यु। न अतीत तुम्हारे हाथ में है और न भविष्य। तुम्हारे हाथ में है तो बस ये जीवन और ये वर्तमान। इसलिए जन्म और अतीत कर शोक मत करो और मृत्यु एवं भविष्य की चिंता मत करो। निर्भिक होकर बस कर्म करो। निष्काम कर्म करो। तुम्हारा कर्म ही तुम्हारा भविष्य है। सबकुछ ईश्‍वर पर छोड़ दो।

 
4. सोच : मनुष्य सोच से ही भयभीत होता है और सोच से ही रोगग्रस्त। इतना मत सोचो कि चिंतन खो जाए और बस चिंता ही होने लगे। चिंता तो चिता के समान है। सोचो मगर समाधान के लिए चिंता के लिए नहीं। समझदार व्यक्ति समाधान के बारे में सोचता है समस्या के बारे में नहीं। 

 
5. नींद और कसरत : भरपूर नींद और कसरत आपके दिमाग और मन को शक्ति ही प्रदान नहीं करते हैं बल्कि इम्युनिटी पावर भी डेवलप करते हैं। हमारी नींद सबसे बड़ी डॉक्टर है। चिंता और भय से घिरे मनुष्य की नींद कम हो जाती है। इसलिए जब भी सोने का मौका मिले जरूर सो जाएंगे भले ही झपकी लें लें। झपकी में वह क्षमता है जो 8 घंटे की नींद में भी नहीं है।

 
6. कोरोना वायरस को समझें : 
* कोरोना वायरस को समझें। यह कोई बहुत बड़ी बीमारी नहीं है। जिन्हें भी हुआ है वह ठीक हो गया है। 
* हमारे देश में इस रोग से मरने वाले लोगों की संख्या प्रतिशत में बहुत कम है।
* जिन्होंने बगैर डरे समय पर जांच कराकर अपना इलाज प्रारंभ कर दिया है वह जल्द ही ठीक हो गया है।
* कोरोना से संक्रमित वही लोग हो रहे हैं जो गाइडलाइन को फालो नहीं कर रहे हैं।
* इसलिए डरे नहीं समझे, दो गज दूरी बनाकर रखें, मॉस्क लगाएं और समय-समय पर हाथ धोएं।
* कोरोना हो भी जाएं तो डरने की जरूरत नहीं, सिर्फ 14 दिन में व्यक्ति ठीक हो जाता है।

 
7. मानसिक रूप से दृढ़ बनें : हमारा दिमाग और हमारा मन अर्थात बुद्धि और मन यदि इसने मान लिया की मैं बीमार हूं तब बीमारी नहीं होगी फिर भी आप बीमारी हो जाएंगे, क्योंकि दिमाग वही काम करना है जिसे मन स्वीकार कर लेता है। दिमाग शरीर का हिस्सा है और मन आपके सूक्ष्म शरीर का हिस्सा है। आप अंगूठा तभी हिला पाते हैं जबकि दिमाग के तंत्र को मन आदेश देता है। मन के हारे हार है और मन के जीते जीत। इसलिए मन की शक्ति को समझे।
 
8 योगासन : योगासन का शरीर लचीला और सॉफ्ट होता है। इसे अतिरिक्त भोजन की आवश्यकता नहीं होती और यह सभी तरह के शोक और रोग से बचने की क्षमता रखता है। यदि आहार नियम का पालन करते हुए लगातार सूर्य नमस्कार के साथ आप योग के प्रमुख आसन करते रहते हैं तो 4 माह बाद आपका शरीर एकदम लचीला होकर स्वस्थ हो जाएगा। आप हरदम एकदम तरो-ताजा और खुद को युवा महसूस करेंगे। योगासनों के नियमित अभ्यास से मेरूदंड सुदृढ़ बनता है जिससे शिराओं और धमनियों को आराम मिलता है। शरीर के सभी अंग-प्रत्यंग सुचारु रूप से कार्य करते हैं। यही मस्तिष्क को सुदृढ़ करने का प्रारंभिक चरण है।