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Written By संदीप श्रीवास्तव

महिला आरक्षण क्या सिर्फ नारेबाजी तक?

महिला आरक्षण क्या सिर्फ नारेबाजी तक? - Uttar Pradesh assembly election 2017, women's reservation
सभी राजनीतिक पार्टियां राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए आरक्षण के मुद्दे पर जमकर नारेबाजी करती रहती हैं संसद से सड़क तक, किंतु जब इन राजनीतिक पार्टियों को अपनी पार्टी में महिला आरक्षण की मांग करने के हिसाब से टिकट देने की बारी आई तो किसी भी पार्टी ने उस हिसाब से टिकट बांटे क्या? आइए, उस पर भी नजर डालते हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने 45 महिलाओं को टिकट बांटे, तो उत्तरप्रदेश में सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी ने 25 टिकट महिला उम्मीदवारों को दिए, वहीं महिलाओं के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी ने सिर्फ 21 महिलाओं को ही विधानसभा में उतारा जबकि दूसरी महिला नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी ने मात्र 6 ही महिलाओं को अपने पार्टी से चुनाव में टिकट दिया।
 
ये है राजनीतिक पार्टियों का उनकी पार्टी में मिला महिला आरक्षण जिससे दूध का दूध व पानी का पानी अलग हो जाता है या ये भी कहा जा सकता है कि इनकी कथनी व करनी में ही फर्क होता है।
 
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 38, बसपा ने 27, कांग्रेस ने 60 व सपा ने केवल 11 ही महिलाओं को ही अपना प्रत्याशी बनाया था जबकि 2012 के विधानसभा चुनाव में कुल 583 महिलाएं चुनाव के मैदान में थीं जिसमें से केवल 35 महिलाएं ही जीतकर विधानसभा पहुंच पाईं व 487 महिलाओं की जमानत जब्त हो गई, जबकि देखा जाए तो आज प्रदेश के किसी भी विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं की संख्या से कुछ ही कम रहती है फिर भी ये हाल हैं।