Teachers Day 2023: नई जनरेशन को पढ़ाने में टीचर्स की क्या हैं नई चुनौतियां, जानें टीचर्स की राय
'माता पिता की मूरत है गुरु, इस कलयुग में भगवान की सूरत है गुरु।' आज के समय में किसी भी व्यक्ति के लिए रोटी, कपड़ा और मकान के साथ शिक्षा भी बहुत जरूरी है। विकास के लिए एक सही एजुकेशन का होना किसी भी देश के लिए बहुत जरूरी है। आज भारत विश्व भर में अपनी तरक्की का डंका बजा रहा है जिसकी सबसे बड़ी वजह एजुकेशन है। एजुकेशन के साथ भारत में टीचिंग का स्कोप भी काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। आपको बता दें की वर्तमान समय में देश में एजुकेशन सेक्टर की कमाई करीब 177 बिलियन डॉलर है। साथ ही साल 2025 में इस सेक्टर की ग्रोथ की संभावना करीब 225 बिलियन डॉलर तक है। इस बढ़ते एजुकेशन ट्रेंड के साथ अब टीचर्स को भी काफी ज्यादा अपडेट रहने की ज़रूरत है।
कोरोना काल के बाद टीचिंग में काफी ज्यादा बदलाव देखने को मिले हैं। आज के समय स्टूडेंट टीचर्स के अनुसार नहीं पढ़ते बल्कि टीचर्स, स्टूडेंट के अनुसार अपने टीचिंग स्टाइल को चेंज करते हैं। इस 5G के दौर में टीचर को टेक्नोलॉजी के साथ जनरेशन के अनुसार भी बदलना पड़ता हैं। ऐसे ही कुछ वरिष्ठ शिक्षकों से हमने पूछा कि वो टीचिंग में क्या चुनौतियां फेस करते हैं। चलिए जानते हैं इनके शिक्षकों के विचार ताकि टीचर्स और पेरेंट्स साथ मिलकर स्टूडेंट की एजुकेशन को बेहतर बना सकें......
1. स्टूडेंट के व्यवहार में परिवर्तन: भोपाल के Panache English Academy के संस्थापक इरफान उल्लाह खान ने बताया कि 'आज के समय में स्टूडेंट का व्यवहार काफी सेंसिटिव हो गया है जिसके कारण टीचर के कुछ भी कहने से बच्चे बहुत जल्दी रिएक्ट करते हैं। साथ ही सोशल मीडिया के कारण स्टूडेंट शॉर्टकट को प्राथमिकता देते हैं यानी स्टूडेंट कम समय में बहुत सक्सेसफुल बनना चाहते हैं। नई जनरेशन को पढ़ाते समय ये दो चुनौतियां अधिकतर टीचर फेस करते हैं।'
2. स्टूडेंट में मोटिवेशन की कमी: इंदौर की रेनेसां यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अमिता नीरव ने हमें बताया कि 'आज के समय में स्टूडेंट में मोटिवेशन की कमी देखी जाती है। साथ ही टीचर जिस जोश से स्टूडेंट को पढ़ाना चाहते हैं, बच्चे उस जोश से पढ़ाई नहीं करते हैं। इस नई जनरेशन में मैंने बच्चों में जोश की कमी महसूस की।'
3. ऑफलाइन से ज्यादा ऑनलाइन क्लास को प्राथमिकता: इंदौर के Civil Jobs Academy के डायरेक्टर अखिलेश द्विवेदी ने हमें बताया कि 'कोविड के बाद ऑनलाइन क्लास का ट्रेंड काफी बढ़ा है लेकिन परिस्थिति सामान्य होने के बाद भी बच्चे ऑनलाइन क्लास को प्राथमिकता देते हैं। उन्हें समझना मुश्किल है कि mppsc mains जैसे एग्जाम के लिए आप ऑनलाइन क्लास से प्रभावशाली ढंग से पढ़ाई नहीं कर सकते हैं। साथ ही स्टेट या सेंट्रल लेवल के एग्जाम के लिए ऑनलाइन क्लास प्रभावशाली विकल्प नहीं है।'
4. स्टूडेंट के साथ खुद को अपडेट रखना: देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला के विजिटिंग फैकल्टी प्रबल शर्मा ने कहा कि 'स्टूडेंट को पढ़ाना कोई चुनौती नहीं बल्कि सीखने का अवसर है। आज के समय में टीचर को टेक्नोलॉजी और नए ट्रेंड के साथ अपडेट रहना पड़ता है। साथ ही स्टूडेंट को पढ़ाने के लिए नई और प्रभावशाली ट्रिक भी ढूंढनी पड़ती हैं जिससे बच्चे उस टॉपिक को बेहतर तरीके से समझें।'
5. इमोशनल सपोर्ट की ज़रूरत: इंदौर के Symbiosis University of Applied Science की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अनुपमा अग्रवाल ने कहा कि 'आज के समय में टेक्नोलॉजी और गैजेट का ट्रेंड काफी ज्यादा है जो स्टूडेंट की लाइफस्टाइल को प्रभावित करता है। इस टेक्नोलॉजी के ट्रेंड में स्टूडेंट को एजुकेशन के साथ इमोशनल सपोर्ट देने की भी ज़रूरत है जो विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। जब स्टूडेंट स्ट्रगल करता है और इमोशनली अकेला महसूस करता है तब उसे टीचर के इमोशनल सपोर्ट की ज़रूरत है।'