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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2024 (10:56 IST)

कब मनाया जाएगा श्री गुरु रामदास साहिब जी का प्रकाशोत्सव

2024 में कब मनाई जाएगी गुरु रामदास साहिब जी की जयंती

Guru Ramdas Ji Gurpurab 2024 : कब मनाया जाएगा श्री गुरु रामदास साहिब जी का प्रकाशोत्सव - Guru Ram Das Jayanti 2024
Guru Ram Das Ji: वर्ष 2024 में श्री गुरु रामदास जी का प्रकाशोत्सव 19 अक्टूबर, दिन शनिवार को मनाया जा रहा है। नानकशाही कैलेंडर के अनुसार यह 25वें महीने (आसु) के 7वें दिन पड़ता है जो हिंदू कैलेंडर का अश्विन महीना होता है। आइए जानते हैं उनके बारे में...
 
गुरु रामदास जी का जीवन परिचय : गुरु रामदास जी सिखों के चौथे गुरु थे। गुरु रामदास साहेब जी का जन्‍म पिता हरदास जी तथा माता दया जी के घर लाहौर (अब पाकिस्तान में) की चूना मंडी में हुआ था। बचपन से रामदास जी को 'भाई जेठाजी' के नाम से बुलाया जाता था। उनकी छोटीसी उम्र में ही उनके माता-पिता का स्‍वर्गवास हो गया। इसके बाद बालक जेठा अपने नाना-नानी के पास बासरके गांव में आकर रहने लगे।
 
कम उम्र में ही आपने जीविकोपार्जन प्रारंभ कर दिया था। कुछ सत्‍संगी लोगों के साथ बचपन में ही आपने गुरु अमरदास जी के दर्शन किए और उनकी सेवा में पहुंचे। आपकी सेवा से प्रसन्‍न होकर गुरु अमरदास जी ने अपनी बेटी भानीजी का विवाह भाई जेठाजी से करने का निर्णय लिया। विवाह होने के बाद आप गुरु अमरदास जी की सेवा जमाई बनकर न करते हुए एक सिख की तरह तन-मन से करते रहे। 
 
सिखों के चौथे गुरु, गुरु रामदास जी : 16वीं शताब्दी में सिखों के चौथे गुरु रामदास जी ने एक तालाब के किनारे डेरा डाला, जिसके पानी में अद्भुत शक्ति थी। इसी कारण इस शहर का नाम अमृत+सर यानी अमृत का सरोवर पड़ा। गुरु रामदास के पुत्र ने तालाब के मध्य एक मंदिर का निर्माण कराया, जो आज अमृतसर, स्वर्ण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।  वे अमृतसर शहर के संस्थापक भी हैं।
 
गुरु रामदास जी ने अपने कार्यकाल के दौरान 30 रागों में 638 भजनों का लेखन कार्य किया था तथा धार्मिक यात्रा के प्रचलन को बढ़ावा दिया था। गुरु रामदास जी ने अपने सबसे छोटे बेटे अर्जन देव को 5वें नानक की उपाधि सौंपकर 1 सितंबर 1581 को दुनिया को अलविदा कह दिया था। अत: कार्तिक वदी यानी कृष्ण पक्ष में उनके जन्मदिवस पर प्रकाश पर्व मनाया जाता है, जिसे गुरुपर्व भी कहा जाता है। 
 
गुरु अमरदास जी ने ली थी परीक्षा, कौन होगा गुरुगद्दी के लायक : गुरु अमरदास जी जानते थे कि जेठाजी गुरुगद्दी के लायक हैं, पर लोक-मर्यादा को ध्‍यान में रखते हुए उन्होंने रामदास जी की परीक्षा भी ली। उन्‍होंने अपने दोनों जमाइयों को 'थडा' बनाने का हुक्‍म दिया। शाम को वे उन दोनों जमाइयों द्वारा बनाए गए थडों को देखने आए। थडे देखकर उन्‍होंने कहा कि ये ठीक से नहीं बने हैं, इन्‍हें तोड़कर दोबारा बनाओ। गुरु अमरदास जी का आदेश पाकर दोनों जमाइयों ने दोबारा थडे बनाए। 
 
गुरु साहेब ने दोबारा थडों को नापसंद कर दिया और उन्‍हें दुबारा से थडे बनाने का हुक्‍म दिया। इस हुक्‍म को पाकर दुबारा थडे बनाए गए। पर अब जब गुरु अमरदास साहेब जी ने इन्‍हें फिर से नापसंद किया और फिर से बनाने का आदेश दिया, तब उनके बड़े जमाई ने कहा- 'मैं इससे अच्‍छा थडा नहीं बना सकता'। पर भाई जेठाजी ने गुरु अमरदास जी का हुक्‍म मानते हुए दुबारा थडा बनाना शुरू किया। यहां से यह सिद्ध हो गया कि भाई जेठाजी ही गुरुगद्दी के लायक हैं। अत: श्री गुरु अमरदास जी द्वारा गुरु रामदास जी यानि भाई जेठाजी को 1 सितंबर सन् 1574 ईस्‍वी में गोविंदवाल जिला अमृतसर में गुरुगद्दी सौंपी गई। 
 
गुरु रामदास जयंती पर कैसे मनाते हैं प्रकाशोत्सव : इस दिन उत्सव आयोजन के दौरान गुरु‌द्वारों में प्रार्थना और भजन यानि कीर्तन का गायन होता है। तथा गुरुपर्व के इस खास अवसर उनके भक्त गुरु‌द्वारों को रोशनी और फूलों से सजाते हैं। तथा इस दिन लंगर का आयोजन किया जाता है जिसका उद्देश्य गुरु रामदास जी द्वारा बताए गए उपदेश, उनकी शिक्षाएं और समुदाय के लिए उनके समानता के संदेशों को साझा करना है। इस लंगर में सभी धर्मों, संस्कृति अथवा जातियों के लोग को भोजन करने के लिए आते हैं।

इस दिन सिख गुरु भक्त गुरु राम दास जी द्वारा रचित भजनों को सुनने के लिए गुरु‌द्वारा जाते हैं और गुरु की पूजा करते हैं तथा गुरु‌द्वारों में सेवा करते हैं। दुनिया भर के सिखों के लिए यह एक खास दिन होता है जब उनके द्वारा किए गए अद्भुत कार्यों को याद करते हैं।

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