Sawan 2022: श्रावण मास हो या कोई सा भी दिन हो भगवान शिव की पूजा में सावधानी रखना चाहिए। शिवलिंग पर कोई भी अर्पित करने या चढ़ाने से पहले जान लें कि क्या नहीं चढ़ाना चाहिए अन्यथा शिवजी नाराज हो सकते हैं। अनजाने में कहीं आप ऐसी चीजें तो नहीं अर्पित कर रहे हैं जिससे अशुभ फल मिल रहा हो। आओ जानते हैं ऐसी ही 9 चीजें जो शिवलिंग पर अर्पित नहीं की जाती है।
1. फूल : शिवलिंग पर केतकी के फूल अर्पित नहीं करते हैं। इसके अलावा मदंती, केवड़ा, जूही, कुंद, शिरीष, कंद (वसंत में खिलने वाला एक विशेष फूल), अनार के फूल, कदंब के फूल, सेमल के फूल, सारहीन/ कठूमर के फूल, कपास के फूल, पत्रकंटक के फूल, गंभारी के फूल, बहेड़ा के फूल, तिंतिणी के फूल, गाजर के फूल, कैथ के फूल, कोष्ठ के फूल और धव के फूल। कनेर और कमल भी नहीं अर्पित करने हैं। लाल रंग के फूल भी नहीं चढ़ाते हैं। शिवजी को केवल सफेद रंग के फूल चढ़ाने चाहिए। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी के झूठ में जब केतनी ने साथ दिया तो भगवान भोलेनाथ नाराज हो गए और उन्होंने श्राप देते हुए कहा कि उनकी पूजा में केतनी का फूल नहीं चढ़ाया जाएगा।
2. हल्दी : हल्दी को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। हल्दी उपयोग मुख्य रूप से सौंदर्य प्रसाधन में भी किया जाता है। इसीलिए हल्दी को शिवलिंग पर नहीं चढ़ता हैं। लेकिन साल में सिर्फ एक बार महाशिवरात्रि के दूसरे दिन शिव जी को हल्दी चढ़ाई जाती है जब उनका विवाह हुआ था। हल्दी की स्त्रोयोचित यानी स्त्री से संबंधित वस्तु होती है और शिवलिंग को पुरुष तत्व का प्रतीक माना जाता है।
3. कुमकुम या रोली: कुमकुम और रोली भी शिवलिंग पर नहीं लगायी जाती है। यह विष्णुप्रिया लक्ष्मी और सुहाग का प्रतीक है। इसलिए इसे भी अर्पित नहीं किया जाता है।
4. तुलसी : तुलसी पहले वृंदा के रूप में जालंधर की पत्नी थी, जिसका शिवजी ने वध किया था। वृंदा इससे दु:खी होकर बाद में तुलसी का पौधा बन गई थी। इसलिए भगवान शिव को उन्होंने अपने आलौकिक और देवीय गुणों वाले तत्वों से वंचित कर दिया। दूसरा भगवान विष्णु ने तुलसी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया है इसलिए भी शिवलिंग पर तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए।
5. तिल : कई लोग जल या दूध अर्पित करते वक्त उसमें काले तिल मिलाकर अर्पित करते हैं। तिल को भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ माना जाता और इसे शनिदेव एवं पितरों को ही अर्पित किया जाता है। इसलिए इसे भगवान शिव को नहीं अर्पित किया जाना चाहिए।
6. चावल : कुछ मौकों को छोड़कर शिवजी को चावल भी अर्पित नहीं करते हैं। खासकर टूटे चावल तो भूलकर भी अर्पित नहीं करते हैं।
7. नारियल : शिवजी को नारियल या नारियल का पानी भी अर्पित नहीं किया जाता, क्योंकि हरियल को श्रीफल कहते हैं। श्रीफल यानी की लक्ष्मी माता का स्वरूप। माता लक्ष्मी को शिवजी को कैसे अर्पित कर सकते हैं? शिव पर अर्पित होने के बाद नारियल या नारियल पानी ग्रहण योग्य नहीं रह जाता है और शिवजी नाराज हो जाते हैं।
8. शंख या शंख से जल : भगवान विष्णु को प्रिय है शंख। शिवजी ने शंखचूर नामक असुर का वध किया था इसलिए शंख भगवान शिव की पूजा में वर्जित माना गया है। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है, जो भगवान विष्णु का भक्त था।
9. सिंदूर : शिव पुराण में महादेव को विनाशक बताया गया हैं। कारण यह है कि भगवान शिव वैरागी हैं और वैरागी लोग अपने माथे पर राख डालते हैं, सिंदूर नहीं। सिंदूर सुगाह का प्रतीक है।