श्राद्ध पक्ष 2025 की महत्वपूर्ण तिथियां:-
7 सितंबर 2025, रविवार: पूर्णिमा श्राद्ध
8 सितंबर 2025, सोमवार: प्रतिपदा श्राद्ध
11 सितंबर 2025, गुरुवार: महा भरणी
15 सितंबर 2025, सोमवार: नवमी श्राद्ध (सौभाग्यवती श्राद्ध)
19 सितंबर 2025, शुक्रवार: त्रयोदशी श्राद्ध
21 सितंबर 2025, रविवार: सर्व पितृ अमावस्या (पितृ पक्ष का अंतिम दिन)
सर्वपितृ अमावस्या 2025 की 10 खास विशेषताएं:
1. सर्वपितृ अमावस्या पितरों को विदा करने की अंतिम तिथि होती है। 15 दिन तक पितृ घर में विराजते हैं और हम उनकी सेवा करते हैं फिर 16वें दिन उनकी विदाई का समय आता है।
3. अगर कोई श्राद्ध तिथि में किसी कारण से श्राद्ध न कर पाया हो या फिर श्राद्ध की तिथि मालूम न हो तो सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या पर श्राद्ध किया जा सकता है। मान्यता है कि इस दिन सभी पितर आपके द्वार पर उपस्थित हो जाते हैं।
4. सर्वपितृ अमावस्या पर पितृ सूक्तम् पाठ, रुचि कृत पितृ स्तोत्र, पितृ गायत्री पाठ, पितृ कवच पाठ, पितृ देव चालीसा और आरती, गीता पाठ और गरुढ़ पुराण का पाठ करने का अत्यधिक महत्व है।
5. सर्वपितृ अमावस्या पर तर्पण, पिंडदान और ऋषि, देव एवं पितृ पूजन के बाद पंचबलि कर्म करके 16 ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है या यथाशक्ति दान किया जाता है।
6. शास्त्र कहते हैं कि "पुन्नामनरकात् त्रायते इति पुत्रः" जो नरक से त्राण (रक्षा) करता है वही पुत्र है। इस दिन किया गया श्राद्ध पुत्र को पितृदोषों से मुक्ति दिलाता है।
7. श्राद्ध आप घर में, किसी पवित्र नदी या समुद्र तट पर, तीर्थ क्षेत्र या वट-वृक्ष के नीचे, गौशाला, पवित्र पर्वत शिखर और सार्वजनिक पवित्र भूमि पर दक्षिण में मुख करके श्राद्ध किया जा सकता है।
8. इस दिन गृह कलह करना, शराब पीना, चरखा, मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तील, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसो का साग, चना आदि वर्जित माना गया है।
10. आप चाहे तो संपूर्ण गीता का पाठ करें या सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए और उन्हें मुक्ति प्रदान का मार्ग दिखाने के लिए गीता के दूसरे और सातवें अध्याय का पाठ करने का विधान भी है।