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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 25 सितम्बर 2024 (11:05 IST)

पितृ पक्ष तिथियां 2024: जानें श्राद्ध पक्ष का महत्व और अनुष्ठान के बारे में

श्राद्ध महालय 2024 के बारे में जानें खास जानकारी

पितृ पक्ष तिथियां 2024: जानें श्राद्ध पक्ष का महत्व और अनुष्ठान के बारे में - Pitru Paksha 2024 Dates
Pitru Paksha 2024
 
Highlights 
 
श्राद्ध तिथियों की डेट्‍स जानें।
2024 में कब रहेगी सर्वपितृ अमावस्या।
16 दिवसीय श्राद्ध अनुष्ठान के खास दिन।
pitru paksha 2024 : हिंदू कैलेंडर के अनुसार 17 सितंबर 2024 से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है। भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से श्राद्ध पर्व शुरू होता है और 16 दिनों तक चलता है, जो इस बार 02 अक्टूबर 2024 को सर्वपितृ अमावस्या पर समाप्त हो जाएगा।

पितृ पक्ष में प्रतिदिन नियमित रूप से पवित्र नदी में स्नान करके पितरों के नाम पर तर्पण करना चाहिए। यदि आप प्रतिदिन तर्पण नही कर पा रहे हैं तो सर्वपितृ अमावस्या पर पीपल की सेवा-पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। स्टील के लोटे में, दूध, पानी, काले तिल, शहद और जौ मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करना चाहिए।
 
पितृ पक्ष 2024 तिथियां : Pitru Paksha Dates 2024 
 
DAY AND DATE SHRADH
17 सितंबर 2024, मंगलवार पूर्णिमा का श्राद्ध
18 सितंबर 2024, बुधवार प्रतिपदा का श्राद्ध
19 सितंबर 2024, गुरुवार द्वितीया का श्राद्ध
20 सितंबर 2024, शुक्रवार तृतीया का श्राद्ध
21 सितंबर 2024, शनिवार चतुर्थी का श्राद्ध
21 सितंबर 2024, शनिवार महा भरणी श्राद्ध
22 सितंबर 2024, रविवार पंचमी का श्राद्ध
23 सितंबर 2024, सोमवार षष्ठी का श्राद्ध
23 सितंबर 2024, सोमवार सप्तमी का श्राद्ध
24 सितंबर 2024, मंगलवार अष्टमी का श्राद्ध
25 सितंबर 2024, बुधवार नवमी का श्राद्ध
26 सितंबर 2024, गुरुवार दशमी का श्राद्ध
27 सितंबर 2024, शुक्रवार एकादशी का श्राद्ध
29 सितंबर 2024, रविवार द्वादशी का श्राद्ध
29 सितंबर 2024, रविवार मघा श्राद्ध
30 सितंबर 2024, सोमवार त्रयोदशी का श्राद्ध
01 अक्टूबर 2024, मंगलवार चतुर्दशी का श्राद्ध
02 अक्टूबर 2024, बुधवार सर्वपितृ अमावस्या
श्राद्ध अनुष्ठान के बारे में जानें : Shraddha Rituals
 
- तर्पण : इसके लिए पितरों को जौ, काला तिल और एक लाल फूल डालकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके जल अर्पित करना चाहिए। पितरों के लिए किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध तथा तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहते हैं।
- देवी देवता : देवबलि अर्थात श्रीविष्णु, अर्यमा, यम, चित्रगुप्त सहित देवतों को पत्ते पर भोजन परोसा जाता है। बाद में इसे उठाकर घर से बाहर रख दिया जाता है।
- गाय : घर से पश्चिम दिशा में गाय को महुआ या पलाश के पत्तों पर गाय को भोजन कराया जाता है तथा  
- पीपल : पीपल को जल अर्पित करके उसकी पूजा करना भी जरूरी है। 
- पिंड दान अनुष्ठान: चावल, घी, शहद, और जौ जैसी सामग्री से पिंड (प्रसाद) बनाए जाते हैं।
- कुत्ता : कुत्ता, कौवा, चींटी, कीड़े-मकौड़ों इत्यादि के लिए पत्ते भोजन परोसा जाता। 
- ब्राह्मण भोज : इस दिन ब्राह्मण भोज/ संन्यासी या साधुजनों कराया जाता है तथा दक्षिणा दी जाती है। 
- आसन : ऊनी, रेशमी, लकड़ी, कुश जैसे आसन पर ही बैठाएं।
- भांजा : भांजा या भांजी है तो उन्हें सबसे पहले भोजन कराएं। 
- जमाई : जमाई या बहनोई को भोजन कराना जरूरी है अन्यथा पितृ दु:ख होते हैं।
- मछली : मछलियों को भी अन्न का दाना डालना चाहिए। पितरों के निमित्त जो पिंडदान किया जाता है और उस पिंड को बाद में नदी में विसर्जित किया जाता है जो मछलियों और जलचर जंतुओं के लिए ही होता है।
पौराणिक महत्व : Mythological Significance
 
धार्मिक पुराणों के अनुसार इन दिनों श्राद्ध पक्ष चल रहा हैं तथा भाद्रपद पूर्णिमा एवं अश्विन कृष्ण प्रतिपदा से अमावस्या तक का समय पितृ पक्ष का माना जाता है। इस दौरान मृत पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है तथा श्राद्ध भोजन में ब्राह्मण भोज कराया जाता हैस साथ ही पितरों के लिए हमेशा दोपहर में श्राद्ध करना चाहिए। अत: ब्राह्मणों को भोजन का आमंत्रण दोपहर का देना चाहिए तथा उन्हें सायंकाल में या रात्रि के समय श्राद्ध का भोजन नहीं करना चाहिए।

मान्यता के अनुसार जिस तिथि को किसी पूर्वज का देहांत होता है, उसी तिथि को उनका श्राद्ध भी किया जाता है। तथा श्राद्ध कर्म के दौरान ब्राह्मण पंडितों को खीर-पूरी खिलाने का महत्व होता है। माना जाता है कि इस कर्म से स्वर्गीय पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती है। अत: लोग अपनी श्रद्धानुसार खीर-पूरी तथा सब्जियां बनाकर उन्हें भोजन कराते हैं तथा बाद में वस्त्र व दान-दक्षिणा देकर और पान खिलाकर विदा करते हैं। इस तरह श्राद्ध पक्ष के दिनों में अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने से वे परिवारजनों को सुख-समृद्धि, कल्याण तथा शुभ आशीर्वाद देते हैं।


pitru paksha Tarpan
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