कोल्हापुर का महालक्ष्मी मंदिर जहां सूर्य की किरणें करती हैं मां की आराधना
यूं तो दक्षिण और उत्तर भारत में महालक्ष्मी माता के कई मंदिर है, जिनमें से कुछ तो बहुत ही प्राचीन है। मुंबई का महालक्ष्मी मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है। इसी तरह महाराष्ट्र में अष्टलक्ष्मी और अष्टविनायक के मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है। परंतु इस बार जानिए कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
1. मुंबई से लगभग 400 किमी दूर कोल्हापुर महाराष्ट्र का एक जिला है। यहां धन की देवी लक्ष्मी का एक सुंदर मंदिर बना हुआ है।
2. कहा जाता है कि इस महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण चालुक्य शासक कर्णदेव ने 7वीं शताब्दी में करवाया था। इसके बाद शिलहार यादव ने 9वीं शताब्दी में इसका पुनर्निर्माण करवाया था।
3. मंदिर के मुख्य गर्भगृह में देवी महालक्ष्मी की लगभग 40 किलो की प्रतिमा स्थापित है जिसकी लंबाई लगभग 4 फीट की है। कहा जाता है कि यहां की लक्ष्मी प्रतिमा लगभग 7,000 साल पुरानी है।
4. यह मंदिर 27,000 वर्गफीट में फैला हुआ है जिसकी ऊंचाई 35 से 45 फीट तक की है।
5. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां पर देवी लक्ष्मी की आराधना और कोई नहीं, बल्कि सूर्य की किरणें करती हैं। 31 जनवरी से 9 नवंबर तक सूर्य की किरणें मां के चरणों को स्पर्श करती हैं तथा 1 फरवरी से 10 नवंबर तक किरणें मां की मूर्ति पर पैरों से लेकर छाती तक आती हैं और फिर 2 फरवरी से 11 नवंबर तक किरणें पैर से लेकर मां के पूरे शरीर को स्पर्श करती हैं।
6. किरणों के इस अद्भुत प्रसार के कारण इस काल को किरण उत्सव या किरणों का त्योहार कहा जाता है, जो कि अपने आप में ही बहुत खास है। इस मंदिर के बंद कमरों से खजाना निकला था।