आदि कैलाश उत्तराखंड की सबसे पवित्र पर्वत चोटियों में से एक है। यह पर्वत शिखर इतना पवित्र है कि इसे भारत का कैलाश पर्वत माना जाता यह पर्वत शिखर पंच कैलाश पर्वत चोटियों में से एक है। यह तिब्बत में कैलाश पर्वत के बाद दूसरी सबसे पवित्र पर्वत चोटी भी है। तीर्थयात्रियों की इस पवित्र पर्वत के प्रति गहरी श्रद्धा है और वे इसके अत्यधिक धार्मिक महत्व के लिए इसका सम्मान करते हैं।
आदि कैलाश यात्रा के दौरान कर सकते हैं इन जगहों की सैर:
काली मंदिर, कालापानी: मंदिर काली नदी पर है और काली को समर्पित है।
पार्वती मुकुट और पांडव पर्वत: ये अजीबोगरीब पर्वत शिखर पार्वती के मुकुट की तरह प्रतीत होते हैं। उन्हें जोलिंगकोंग से देखा जा सकता है।
पांडव किला, कुटी गांव: माना जाता है कि यह किला पांडवों द्वारा बनाया गया था।
शेषनाग पर्वत: यह पर्वत तब देखा जा सकता है जब आप गुंजी से ओम पर्वत की यात्रा कर रहे हों। विचित्र आकार पौराणिक सर्प शेषनाग के फन जैसा दिखता है।
ब्रह्म पर्वत: यह पर्वत शिखर आदि कैलाश के रास्ते में आता है। यह जोलिंगकोंग से 14 किमी दूर है।
कुंती पर्वत: पहाड़ को कुटी गांव से देखा जा सकता है।
वेद व्यास गुफा: यह गुफा ओम पर्वत के रास्ते में आती है और इसे केवल दूर से ही देखा जा सकता है।
भीमताल: यह उत्तराखंड की सबसे बड़ी झीलों में से एक है और इसका नाम महाभारत की कहानी के भीम के नाम पर रखा गया है।
जागेश्वर धाम: यह शानदार वास्तुकला और नक्काशी वाले 25 मंदिरों का एक समूह है।
पाताल भुवनेश्वर: यह पिथौरागढ़ जिले में 90 फीट गहरी गुफा है।
चितई गोलू देवता मंदिर: स्थानीय देवता चितई गोलू देवता का यह मंदिर लोगों की प्रार्थनाओं से बंधी घंटियों और कागज के नोटों के लिए भी प्रसिद्ध है।
नीम करोली बाबा आश्रम, कैंची धाम: यह आश्रम प्रसिद्ध नीम करोली बाबा का है, जिनके मार्क जुकरबर्ग और स्टीव जॉब्स जैसे प्रसिद्ध अनुयायी थे।
शिव पार्वती मंदिर: मंदिर तक जोलिंगकोंग से पहुंचा जा सकता है और आदि कैलाश पर्वत श्रृंखला के उत्कृष्ट दृश्य प्रस्तुत करता है।
पार्वती सरोवर: यह एक झील है जो जोलिंगकोंग से 2-3 किमी की पैदल दूरी पर है। इस झील से आदि कैलाश का प्रतिबिंब देखा जा सकता है।
गौरी कुंड: यह झील आदि कैलाश पर्वत के पास है और कैलाश मानसरोवर में गौकी कुंड से छोटी है।
ओम पर्वत: अद्वितीय पर्वत जिसमें बर्फ है जो एक ओम प्रतीक का आकार लेता है।