Panch Kedar Yatra: 10 मई से केदारनाथ धाम की यात्रा शुरू हो चुकी है लेकिन क्या आप जानते हैं कि केदारनाथ पंच केदार में से एक है। क्या है पंच केदार आइए जानते हैं।
हिमालय में स्थित शिव को समर्पित पांच मंदिरों के समूह को पंच केदार कहा गया है। मान्यता है कि इनका निर्माण पांडव व उनके वंशजों ने करवाया था। पंच केदार में महादेव के विभिन्न विग्रहों की पूजा की जाती है। हर केदार की अपनी विशेषता है ।
पंचकेदार यात्रा के 5 मंदिरों के नाम
1. केदारनाथ मंदिर (पहला पंचकेदार)
2. मध्यमहेश्वर मंदिर (द्वितीय पंचकेदार)
3. तुंगनाथ मंदिर (तीसरा पंचकेदार)
4. रुद्रनाथ मंदिर (चौथा पंचकेदार)
5. कल्पेश्वर मंदिर (पांचवा पंचकेदार)
केदारनाथ:
पहले केदार, बाबा केदारनाथ हैं जहां भगवान शिव के पृष्ठ भाग यानी पीठ की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार यहां भगवान शिव ने पांडवों को बैल के रूप में दर्शन दिए थे।
मध्यमहेश्वर:
दूसरा केदार है मध्यमहेश्वर यहां भोले बाबा के मध्य भाग यानी नाभि की पूजा की जाती है। कहते हैं यहाँ का पानी इतना पवित्र है कि इसे पीने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तुंगनाथ:
तीसरा केदार है तुंगनाथ। यहां महादेव की भुजाओं की पूजा की जाती है। इसीलिए तुंगनाथ को भगवान् महादेव का सबसे बलशाली रुपमाना जाता है। तुंगनाथ दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है।
रुद्रनाथ:
चौथा केदार रुद्रनाथ है। रुद्रनाथ बाकी सभी शिव मंदिरों से अलग है क्योंकि यहां भगवान के मुख के दर्शन होते हैं जो इसके अलावा केवल पशुपतिनाथ में ही देखने को मिलते हैं।
कल्पेश्वर:
पांचवा और अंतिम केदार है कल्पेश्वर। यहां भगवान शिव की जटाओं की पूजा की जाती है। कल्पेश्वर एक ऐसा केदार है जो अपने भक्तों के लिए पूरे साल खुला रहता है।
कौनसा केदार कितनी ऊंचाई पर स्थित है: इन तीर्थ स्थलों में केदारनाथ (3,583 मीटर ऊँचा) तुंगनाथ (3,680 मीटर ऊँचा), रूद्रनाथ (2,286 मीटर ऊँचा), मदमहेश्वर (3,490 मीटर ऊँचा) और कल्पेश्वर (2,200 मीटर ऊँचा) शामिल है।
पंचकेदार का इतिहास और पौराणिक महत्व (History and of Kedarnath Temple): स्कन्द पुराण के केदार खण्ड प्रथम भाग के 40वें अध्याय के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने गोत्र हत्या तथा गुरु हत्या के पाप से मुक्ति का उपाय जानने के लिए श्री व्यास जी से पूछा । व्यास जी बताया कि शास्त्र में इन पापों का प्रायश्चित बिना केदार खण्ड के जाए नहीं हो सकता। वहाँ निवास करने से सब पाप नष्ट हो जाते हैं।
बनारस में भगवान शिव के नहीं मिलने के बाद पांडवों ने महादेव की खोज में हिमालय की यात्रा की। भगवान शिव पांडवों से क्रोधित थे और उन्हें परिजनों की हत्या के पाप के लिए क्षमा का अधिकारी नहीं मानते थे। इसलिए पांडवों से छिपने के लिए वे काशी छोड़ कर चले गए और एक बैल का रूप धारण कर गढ़वाल क्षेत्र में हिमालय में घूमते रहे।
अंतत: जब पांडवों ने उसे पहचान लिया तो उसने धरती में गोता लगाया लेकिन किसी तरह भीम ने उसका कूबड़ पकड़ लिया। बैल के अन्य अंग अन्य पांच स्थानों पर दिखाई दिए। इन स्थानों को मिलाकर पंच केदार कहा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि मूल केदारनाथ मंदिर पांडवों द्वारा बनाया गया था जहां कूबड़ दिखाई दिया था। वर्तमान केदारनाथ मंदिर आदि शंकराचार्य द्वारा बनाया गया था, जिन्हें इस प्राचीन मंदिर की महिमा को बहाल करने का श्रेय दिया जाता है।
पंचकेदार यात्रा की प्लानिंग :
पांचकेदार के सभी पांच मंदिरों के दर्शन करने के ले आपको एक गोलाकार रूट को फॉलो करना होता है। अधिकांश भाग के लिए आपको पैदल चलना पड़ता है। पंच केदार यात्रा केदारनाथ मंदिर से शुरू होती है। दूसरा गंतव्य मध्यमहेश्वर, तीसरा तुंगनाथ, चौथा रुद्रनाथ और अंतिम पांचवां कल्पेश्वर मंदिर है।
पंचकेदार के खुलने का समय (Panch Kedar opening dates 2024)
केदारनाथ: 10 May
मध्यमहेश्वर: 22 May
तुंगनाथ: 14 May
रुद्रनाथ: 18 May
कल्पेश्वर: पूरे साल दर्शन के लिए खुला रहता है।