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मेहबूबा बनी आतंकी समीर टाइगर की मौत की वजह

मेहबूबा बनी आतंकी समीर टाइगर की मौत की वजह - Terrorism, terrorist girlfriend, terrorist Samir Tige
श्रीनगर। कश्मीर में आतंकियों को प्रेमिकाओं से की जाने वाली बेवफाई भारी पड़ने लगी है। हिज्ब के दूसरे पोस्टर ब्याय आतंकी कमांडर समीर टाइगर की मौत की जिम्मेदार अब एक युवती को ठहराया गया है। सोशल मीडिया पर जारी उसकी तस्वीर के साथ उसे मुखबिर घोषित किया गया है जबकि सच्चाई यह है कि समीर ने इस युवती को प्यार में धोखा दिया था।


वैसे कश्मीर में जारी आतंकवाद के इतिहास में यह कोई पहला मामला नहीं है जिसमें आतंकी कमांडरों की मौत का कारण युवतियां बनी हों। कई आतंकी कमांडर या तो अपनी प्रमिकाओं से मिलने की चाहत के कारण डूब गए या फिर कई को उनकी उस बेवफाई के कारण जान से हाथ धोना पड़ा जो उन्होंने प्रेमिकाओं से की थी।

आधिकारिक आंकड़ों पर यकीन करें तो पिछले 30 साल के आतंकवाद के इतिहास में ऐसे सैकड़ों मामलों में सुरक्षाबल आतंकी कमांडरों और उनके काडर को मार गिराने में उस समय कामयाब हुए जब वे प्रेमिकाओं की गोद में सिर रखकर जन्नत का नजारा लुटने के इरादों से उनसे मिलने आए या फिर अपनी प्रेमिकाओं से बेवफाई के चलते उनकी प्रेमिकाओं ने उनकी मुखबरी कर डाली।

ताजा मामला हिज्ब के दूसरे पोस्टर बॉय समीर टाइगर का है। अगर जानकारों की बात को मानें तो वह मुठभेड़ वाले दिन अपनी दूसरी प्रेमिका से मिलने घर आया था तो उसकी पहली प्रेमिका ने उसकी मुखबिरी कर सेना को उसके प्रति जानकारी दे डाली थी। इससे पहले का एक बड़ा मामला वर्ष 2016 के जुलाई महीने में हिज्ब के पहले पोस्टर ब्याय बुरहान वानी का भी था।

बुरहान भी अपनी गर्लफ्रेंड की मुखबिरी पर मारा गया था। दरअसल सूत्र बताते थे कि बुरहान ने कई महिलाओं और लड़कियों से संबंध बना रखे थे। सूत्रों का कहना था कि बुरहान से उसकी गर्लफ्रेंड नाराज थी। मोबाइल पर उसकी चैटिंग भी देख ली थी उसकी गर्लफ्रेंड ने। इसके बाद से वह बदला लेना चाहती थी।

इसी क्रम में उसने सुरक्षा एजेंसियों को उसके बारे में सटीक जानकारी दे दी थी। वैसे समीर टाइगर और बुरहान के मामले कोई पहले मामले नहीं थे कश्मीर के आतंकवाद के इतिहास में जबकि वे प्रेमिकाओं के कारण मारे गए हों बल्कि कुछ अरसा पहले श्रीनगर के शालीमार एरिया में लश्करे तैयबा के टॉप कमांडर सलमान बट और बांदीपोरा में सैफुल्लाह को भी इश्क में मौत नसीब हुई और अगर जरा गौर करें तो जिस जेहाद का झंडा गाड़ने वे कश्मीर आए हुए थे वह इश्क को हराम कहता है।

एक किस्सा काजी मुहम्मद का भी था। बारामुल्ला में उसे उस समय मार गिराया गया जब वह अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए एलओसी को पार कर वापस कश्मीर लौटा था। अंततः वह उस समय मारा गया जब उसकी प्रेमिका उसे मिलने उसके ठिकाने पर गई तो सुरक्षाबल भी साथ ही पहुंच गए। फिलहाल सुरक्षाधिकारी यह बताने को राजी नहीं हैं कि उसकी प्रेमिका का क्या हुआ।

अगर सुरक्षाधिकारियों पर विश्वास करें तो काजी मुहम्मद अपनी प्रेमिका से सख्त नाराज भी था क्योंकि वह युवती उससे मिलने उसके ठिकाने पर नहीं जाना चाहती थी और काजी मुहम्मद के मोबाइल फोन की रिकार्डिंग उसके गुस्से को इस प्रकार इजहार करती थीः ‘मैं खतरे मोल लेकर एलओसी की बारूदी फिजां को पार कर आया हूं सिर्फ तुम्हारे लिए और तुम दो कदम भी नहीं चल सकती।’ इन घटनाओं के बाद सीमा पार बैठे आकाओं ने आतंकियों को हमेशा स्थानीय युवतियों के इश्क में नहीं पड़ने के लिए कहा। इस्लाम का वास्ता भी दिया गया और इसके प्रति भी डराया गया।
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