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  4. Governor CV Anand Bose's statement regarding Chief Minister Mamata Banerjee's foreign trip
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Last Modified: कोलकाता , सोमवार, 11 सितम्बर 2023 (19:29 IST)

CM ममता बनर्जी की विदेश यात्रा को लेकर राज्यपाल बोस ने दिया यह बयान...

Mamata Banerjee
West Bengal News : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने 2 दिन पहले केंद्र तथा राज्य सरकार को भेजे 2 गोपनीय पत्रों की जानकारियां देने से सोमवार को इनकार कर दिया और कहा कि वह नहीं चाहते कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्पेन की अपनी निर्धारित यात्रा के दौरान किसी तनाव में रहें। बोस ने कहा कि मुख्यमंत्री के यात्रा से लौटने के बाद वह उनके साथ इस मामले पर चर्चा करेंगे।
 
बोस ने कहा, जो गोपनीय है, उसे गोपनीय ही रहना चाहिए। मैं प्रेषक हूं, प्राप्तकर्ता इस पर प्रतिक्रिया देगा। मैं कुछ कहना चाहता था। राज्य को जो भी कुछ भेजा गया है, उस पर चर्चा करने का यह वक्त नहीं है क्योंकि मेरी संवैधानिक सहकर्मी मुख्यमंत्री विदेश जा रही हैं और मैं नहीं चाहता हूं कि उन्हें कोई तनाव दिया जाए। उन्होंने कहा, जब वह विदेश यात्रा पर हों तो उन पर कोई बोझ न रहे। उनके लौटने के बाद हम इस पर चर्चा करेंगे।
 
राज्यपाल ने कई विश्वविद्यालयों में अंतरिम कुलपतियों की नियुक्तियों को लेकर राज्य सरकार तथा राजभवन के बीच तनातनी के बाद शनिवार और रविवार की मध्य रात्रि को केंद्र तथा राज्य सरकार को दो सीलबंद पत्र भेजे थे। राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने राजभवन द्वारा भेजे गए सीलबंद पत्रों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
CV Anand Bose_Governor
राज्यपाल की बड़ी कार्रवाई की चेतावनी के कुछ देर बाद शनिवार को बसु ने इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी और शहर में नया वैंपायर (पिशाच) कहकर उनका (राज्यपाल का) मजाक उड़ाया। बसु की ‘वैंपायर’ टिप्पणी पर राज्यपाल ने कहा, मेरे कनिष्ठ सहकर्मी ने जो कहा है, मैं उस पर टिप्पणी नहीं करूंगा।
 
राजभवन में सूत्रों ने बताया कि बोस ने बनर्जी को रविवार को एक और पत्र लिखा जो महज नियमित कामकाज के सिलसिले में था। राज्यपाल द्वारा विधेयकों को पारित न करने के राज्य सरकार के आरोपों पर बोस ने कहा कि उन्होंने आठ में से सात विधेयकों को कुछ स्पष्टीकरण के लिए संबंधित विभागों के पास भेजा है।
 
यह पूछे जाने पर कि राज्य के विश्वविद्यालयों में स्थाई कुलपतियों की नियुक्ति कब होगी, इस पर बोस ने कहा, यह लंबी प्रक्रिया है। एक आकलन और चयन समिति होती है जो उच्चतम न्यायालय के फैसले और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के अनुसार गठित की जानी चाहिए। इसके बाद ही नियमित कुलपतियों की तैनाती की जा सकती है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)
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