जम्मू। अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वालों को एक बार फिर निराश हुए। 45 किमी की दुर्गम पैदल यात्रा करने के बाद भी उन्हें 14,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में हिमलिंग के पूर्ण रूप में दर्शन नहीं हों तो मन मसोसकर ही रहना पड़ सकता है। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या से हिमलिंग पिघलकर 18 से 1 फुट हो गया है।
यात्रा से वापस लौटने वालों के अनुसार यूं भीड़ बढ़ती जा रही है, हिमलिंग गर्मी से पिघलता जा रहा है और भक्त निराश होते जा रहे हैं। इसके लिए भक्तों की गर्मी को दोषी ठहराया जा रहा है। हालांकि अब अमरनाथ यात्रा स्थापना बोर्ड ने हिमलिंग को बरकरार रखने की खातिर रक्षा अनुसंधान की मदद लेने की जरूरत फिर महसूस होने लगी है।
'हर हर महादेव', 'बम बम भोले' और 'जयकारा वीर बजरंगी' के नारों के बीच शून्य तापमान तथा प्रकृति की आंखमिचौनी के बीच अमरनाथ गुफा में हिम से बनने वाले हिमलिंग के दर्शन करने वालों में एक बार फिर शिविलिंग का आकार चर्चा का विषय तो बनने ही लगा है, साथ ही निराशा का कारण भी।
यात्रा के 200 सालों के इतिहास में यह लगातार 21वां वर्ष है, जब 14,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित 60 फुट लंबी, 30 फुट चौड़ी तथा 15 फुट गहरी इस गुफा में बर्फ से बनने वाले लिंग, जिसे हिमलिंग के रूप में पूजा जाता है, का आकार श्रद्धालुओं की संख्या के बढ़ने के साथ ही घटने लगा है।
इस बार 27 जून को इसकी ऊंचाई करीब 18 से 20 फुट के बीच थी। बताया जा रहा है कि 29 जून को यात्रा के आरंभ होने से पूर्व यह अपने पूर्ण आकार में 22 फुट के करीब था। यही चिंता व चर्चा का विषय है उन हजारों यात्रियों के बीच, जो प्रकृति की आंखमिचौनी, प्रतिकूल मौसम के बीच भी अनेक बाधाओं तथा अव्यवस्थाओं के दौर से गुजर कर हिमलिंग के दर्शनों की चाहत में पहुंच रहे हैं।
अमरनाथ यात्रा, जिसे 'अमरत्व की यात्रा' भी कहा जाता है, में प्रथम बार भाग लेने वालों के लिए तो इतने बड़े हिमलिंग के दर्शन ही तन-मन को शांति पहुंचाने वाले हैं लेकिन हिमलिंग के लगातार घटने के कारण यह उन अमरनाथ यात्रियों के लिए चिंता और चर्चा का विषय है, जो पिछले कई सालों से लगातार इस यात्रा में शामिल हो रहे हैं।
सनद रहे कि इस गुफा में बनने वाले हिमलिंग के आकार और आकृति में अंतर 1994 से ही आना आरंभ हुआ था, जो अभी तक जारी है। वर्ष 1994 में तो यह श्रावण पूर्णिमा को भी बना ही नहीं था। हालांकि तब इसके न बनने पर भी विवाद था। तब कई तर्क दिए गए थे इसके न बनने के पीछे और उसके अगले साल यह बना था लेकिन थोड़ा था और गत वर्ष भी यह पतले रूप में विद्यमान था।
हिमलिंग के आकार में लगातार होने वाले परिवर्तन के लिए मौसम में होने वाले बदलाव के तर्क को अधिकतर लोग सही मान रहे हैं। वे इस बार की यात्रा के दौरान भी मौसम में अचानक होने वाले परिवर्तन को हिमलिंग के आकार में होने वाले परिवर्तन का कारण मान रहे हैं। हालांकि भगवान में अधिक आस्था रखने वाले इसे भगवान की माया कहते, तो विज्ञान में विश्वास रखने वाले इसे वैज्ञानिक कारण मानते हैं।
इस परिवर्तन के लिए चाहे कोई भी कारण बताया जा रहा हो लेकिन तात्कालिक कारण सबको यही लग रहा है कि हिमलिंग के दर्शन करने वालों की भीड़ लगातार बढ़ रही है। परिणाम हजारों भक्तों तथा उनके हाथों की गर्मी भी हिमलिंग को पिघला रही है। भक्तों की संख्या कितनी है, इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यात्रा में 21 दिनों में 2.25 लाख श्रद्धालु शामिल हो चुके हैं।
हालांकि अमरनाथ यात्रा स्थापना बोर्ड ने अब इसकी पुष्टि की है कि हिमलिंग को अपने पूर्ण आकार में रखने की खातिर उसने रक्षा अनुसंधान विभाग से संपर्क किया है और उससे यह आग्रह किया है कि वह ऐसी तकनीक खोज निकाले जिससे भक्तों की गर्मी भी हिमलिंग को पिघला न सके।