रामलला ने धारण की कौस्तुभ मणि, जानिए इस मणि के 7 रहस्य
Ram lalla murti kaustubh Mani: रत्न और मणियों में अंतर होता है। पारस मणि, नीलमणि, नागमणि, चंद्रकांता मणि, स्यमंतक मणि, उलूक मणि की तरह कौस्तुभ मणि को सबसे दुर्लभ मणि माना जाता है। राम मंदिर में रामलला की मूर्ति के हृदय के पास कौस्तुभ मणि पहनाई गई है जो कि एक दुर्लभ मणि है। पंढरपुर विट्ठल जी की मूर्ति को भी यही मणि धारण कराई गई है। आओ जानते हैं कौस्तुभ मणि के 7 रहस्य।
सर्पराज वासुकि: पुराणों में कई तरह की चमत्कारिक मणियों का उल्लेख मिलता है। मणि एक प्रकार का चमकता हुआ पत्थर होता है। मणि को हीरे की श्रेणी में रखा जा सकता है। पाताल लोक मणियों की आभा से हर समय प्रकाशित रहता है। सभी तरह की मणियों पर सर्पराज वासुकि का अधिकार है।
त्रातेन तार्क्ष्यात् किल कालियेन मणिं विसृष्टं यमुनौकसा यः।
वक्षःस्थल-व्यापिरुचं दधानः सकौस्तुभं ह्रेपयतीव कृष्णम्।।
उपर्युक्त श्लोक में कालिदास के समय में प्रचलित पुराकथा का निर्देश है। यहां कहा गया है कि कालियनाग को श्रीकृष्ण ने गरुड़ के त्रास से मुक्त किया था। इस समय कालिय नाग ने अपने मस्तक से उतारकर श्रीकृष्ण को कौस्तुभ मणि दिया था।
कौस्तुभ मणि के 7 रहस्य:
1. उत्पत्ति : कौस्तुभ मणि की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी। पुराणों के अनुसार यह मणि समुद्र मंथन के समय प्राप्त 14 मूल्यवान रत्नों में से एक थी।
2. श्रीहरि विष्णु करते हैं धारण : कौस्तुभ मणि को भगवान विष्णु धारण करते हैं। चतुर्भुज विष्णु के वक्ष:स्थल पर कौस्तुभ मणि धारण करते हैं।
3. दैवीय आपदा से करती रक्षा : यह मणि जहां भी होती है, वहां किसी भी प्रकार की दैवीय आपदा नहीं होती।
4. असली मणि मिलना मुश्किल : कौस्तुभ मणि का मिलना दुर्लभ है। माना जाता है कि समुद्र के तल या पाताल में आज भी यह मणि पाई जाती है।
5. कांतिमय मणि : यह बहुत ही कांतिमान मणि है। इसकी चमक बहुत दूर से भी देखी जा सकती है।
6. संकटों से करती रक्षा : यह मणि हर तरह के संकटों से रक्षा करती है, क्योंकि इसकी आभा में जादुई शक्ति होती है।
7. कौस्तुभ मणि की शक्ति : कौस्तुभ मणि की शक्ति को हर कोई सहन नहीं करत सकता। जो भी इस मणि को धारण करता है वह शक्ति संपन्न और भाग्यवान बन जाता है। इसे शक्तिशाली और सौभाग्य प्रदान करने वाला रत्न माना जाता है।