शुक्रवार, 15 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. चुनाव 2024
  2. लोकसभा चुनाव 2024
  3. भारत के प्रधानमंत्री
  4. Vishwanath Pratap Singh Profile
Written By

विश्वनाथ प्रताप सिंह : बोफोर्स की तोप से निकला प्रधानमंत्री पद

Vishwanath Pratap Singh Profile। विश्वनाथ प्रताप सिंह : बोफोर्स की तोप से निकला प्रधानमंत्री पद - Vishwanath Pratap Singh Profile
'मुफलिस से अब चोर बन रहा हूं, पर इस भरे बाजार से चुराऊं क्या। यहां वही चीजें सजी हैं, जिन्हें लुटाकर मैं मुफलिस हो चुका हूं।' इन काव्य पंक्तियों के रचयिता विश्वनाथ प्रताप सिंह ने कांग्रेस से अलग बोफोर्स मुद्दा इस तरह से उठाया कि वे प्रधानमंत्री पद की कुर्सी तक पहुंच गए।
 
यूपी के जमींदार परिवार से आने वाले वीपी सिंह ने इलाहाबाद और पूना विश्वविद्यालय में अध्ययन किया था। एक राजनेता होने के अतिरिक्त वे कविता और पेंटिंग में भी रुचि रखते थे। वीपी सिंह के कविता संग्रह भी प्रकाशित हुए थे और इनकी पेंटिंग्स की प्रदर्शनियां भी लगीं।
 
प्रारंभिक जीवन : इनका जन्म 25 जून 1931 को उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) जिले में हुआ था। इलाहाबाद और पूना विश्वविद्यालय में इन्होंने अध्ययन किया था। वीपी की कविता और इनके कविता संग्रह भी प्रकाशित हुए थे और पेंटिंग्स की प्रदर्शनियां भी लगीं। इलाहाबाद में 'गोपाल इंटरमीडिएट कॉलेज' की स्थापना का श्रेय इन्हें ही जाता है।
 
राजनीतिक जीवन : वे अपने विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति में सक्रिय थे और कांग्रेस पार्टी में चले गए। 1969-1971 में वे उत्तरप्रदेश विधानसभा में पहुंचे। वे 9 जून 1980 से 28 जून 1982 तक उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 1984 में वे भारत के वित्तमंत्री भी बने। बाद में राजीव गांधी से मतभेद होने कारण वे कांग्रेस से अलग हो गए। कांग्रेस से अलग होकर इन्होंने बोफोर्स दलाली के मुद्दे को काफी जोर-शोर से उठाया और नया राष्ट्रीय मोर्चा बनाकर चुनाव लड़कर सत्ता के शिखर तक पहुंचे।
 
1989 में प्रधानमंत्री बने : 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह से पराजय मिली व उसे मात्र 197 सीटें ही प्राप्त हुईं। वीपी सिंह के राष्ट्रीय मोर्चे को 146 सीटें मिलीं। भाजपा के पास 86 और वामदलों के पास 52 सांसद थे। इस तरह राष्ट्रीय मोर्चे को 248 सदस्यों का समर्थन प्राप्त हो गया और वीपी सिंह भारत के 8वें प्रधानमंत्री बन गए। वे 2 दिसंबर 1989 से 10 नवंबर 1990 तक प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहे। चन्द्रशेखर और देवीलाल भी प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शरीक थे, लेकिन चौधरी देवीलाल उपप्रधानमंत्री बने। 27 नवंबर 2008 को 77 वर्ष की अवस्था में वीपी सिंह का निधन दिल्ली के अपोलो अस्पताल में हो गया।
 
विशेष : मंडल आयोग की सिफारिशें वीपी सिंह के काल में लागू की गई थीं। इसके चलते पूरा देश आरक्षण विरोधी आंदोलन की आग में झुलस गया। बोफोर्स की लहर पर सवार होकर प्रधानमंत्री बने सिंह राजीव गांधी के जीवनकाल में इस भ्रष्टाचार को कभी साबित नहीं कर पाए।