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Written By WD Feature Desk

आज द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें क्या है महत्व?

आज द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें क्या है महत्व? - Sankashti Chaturthi 2024 Date
Sankashti Chaturthi 2024
 
HIGHLIGHTS
 
* फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी यानी द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 28 फरवरी को है।
* हर महीने आने वाली चतुर्थी में पहली कृष्ण और दूसरी शुक्ल पक्ष में पड़ती है। 
* संकष्टी चतुर्थी श्रीगणेश को समर्पित है। 
Dwijapriya Sankashti Chaturthi: वर्ष 2024 में 25 फरवरी, रविवार से फाल्गुन मास का प्रारंभ हो गया है। इस माह की पहली संकष्टी चतुर्थी 28 फरवरी 2024, दिन बुधवार को मनाई जाएगी। बुधवार का दिन पड़ने के कारण इस चतुर्थी का महत्व अधिक बढ़ गया है। चतुर्थी तिथि को भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है।

आइए जानते हैं यहां चतुर्थी का महत्व- 
 
महत्व- हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर महीने में दो चतुर्थी तिथि पड़ती है। हर माह आने वाली कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चतुर्थी व्रत किया जाता है। और फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर यह व्रत किया जाएगा। जिसे द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। 
 
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले भगवान श्री गणेश का आह्वान किया जाता है, क्योंकि श्री गणेश प्रथम पूज्य देवता माने गए हैं। ये बुद्धि के देवता भी है। अत: इस दिन विधिपूर्वक गणेश जी का पूजन-अर्चन करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है तथा घर में खुशियों का आगमन होता है। 
 
धार्मिक पुराणों के अनुसार पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। यह भगवान गणेश की तिथि है, अत: इस दिन उनका विधि-विधान से पूजा करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। गणेश पुराण के अनुसार इस व्रत के प्रभाव से सौभाग्य, समृद्धि और संतान सुख मिलता है। भविष्य पुराण के अनुसार संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से हर तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। 
 
धार्मिक शास्त्रों में फाल्गुन मास की चतुर्थी को बहुत ही शुभ माना जाता है, तथा इस दिन भगवान गणेश के छठे स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन विशेष चीजों का दान करना अतिशुभ होता है। मान्यता के अनुसार इस चतुर्थी व्रत से जीवन के सभी दुख और संताप खत्म होते हैं। साथ ही इस दिन श्री गणेश के मंत्र- 'श्री गणेशाय नम:' तथा 'ॐ गं गणपतये नम:।' का जाप करने वे शीघ्र ही अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर अपना आशीष प्रदान करते हैं।
 
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