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Written By WD Feature Desk

Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती कब है? नोट कर लें डेट और पूजा विधि

Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती कब है? नोट कर लें डेट और पूजा विधि - Kaal bhairav jayanti 2024 Date
Kaal Bhairav Jayanti: अब हिंदुओं का कार्तिक पूर्णिमा के बाद सबसे बड़ा त्योहार काल भैरव जयंती है। और मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर हर साल काल भैरव जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इसी दिन काल भैरव का अवतरण हुआ था। वर्ष 2024 में 23 नवंबर, दिन शनिवार को काल भैरव जयंती मनाई जा रही है। लेकिन कैलेंडर के मतांतर के चलते यह कई स्थानों पर 22 नवंबर, शुक्रवार को भी मनाई जाने की उम्मीद है। 
 
काल भैरव जयंती का दूसरा नाम कालाष्टमी है तथा इस दिन भगवान शिव के रौद्र अवतार कालभैरव की पूजा और व्रत रखने का विधान है। मान्यतानुसार काल भैरव का जन्म मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी को प्रदोष काल में हुआ था, अत: इसे भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मध्याह्न व्यापिनी अष्टमी पर काल भैरव की पूजा करनी चाहिए।
 
Highlights  
  • 2024 में काल भैरव अष्टमी कब है?
  • काल भैरव जयंती का दूसरा नाम क्या है?
  • काल भैरव जयंती की सही डेट जानें।
आइए जानते हैं यहां कालभैरव जयंती पूजन की सरल विधि : 
 
कालभैरव जयंती पूजा विधि- Kaal bhairav Puja Vidhi 
 
- काल भैरव जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
 
- अब लकड़ी के पटिये पर सबसे पहले शिव-पार्वती जी का चित्र स्थापित करें।
 
- फिर काल भैरव के चित्र को स्थापित करें।
 
- इनका आचमन करके भगवान को गुलाब की माला पहनाएं अथवा पुष्प चढ़ाएं।
 
- फिर चौमुखी दीया जलाकर गुग्गल की धूप जला दें। 
 
- अबीर, गुलाल, अष्‍टगंध से सभी को तिलक लगाएं।
 
- हथेली में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प लें।
 
- शिव-पार्वती तथा भैरव जी पूजन करके आरती उतारें।
 
- अब अपने पितृओं का स्मरण करके उनका श्राद्ध करें। 
 
- व्रत पूर्ण होने के बाद काले कुत्‍ते को मीठी रोटी या कच्चा दूध पिलाएं।
 
- अर्द्धरात्रि के समय में पुन: धूप, काले तिल, दीपक, उड़द और सरसों के तेल से काल भैरव की पूजा करें।
 
- इस दिन व्रत-उपवास रखकर रातभर भजन-कीर्तन करें, भैरव जी की महिमा गाएं। 
 
- साथ ही इस दिन शिव चालीसा, भैरव चालीसा पढ़ें। 
 
- भैरव जयंती पर उनका मंत्र 'ॐ कालभैरवाय नम: का अधिक से अधिक जाप करें। 
 
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