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गोगा पंचमी कब है, क्यों मनाई जाती है, कौन हैं गोगादेव?

Jaharveer Goga Ji | गोगा पंचमी कब है, क्यों मनाई जाती है, कौन हैं गोगादेव?
गोगा पंचमी के 4 दिन बाद ही भाद्रपद कृष्ण नवमी को गोगा नवमी का त्योहार मनाया जाता है। भाद्रपद के कृष्ण पंचमी को गोगा देव का त्योहार मनाया जाता है। आओ जानते हैं कि गोगा पंचमी कब है, क्यों मनाई जाती है, कौन हैं गोगादेव।
 
 
कब है गोगा पंचमी : वर्ष 2021 में गोगा पंचमी 27 अगस्त 2021, शुक्रवार को मनाई जाएगी। पंचमी तिथि शाम को 6:48 शुरू होगी व 28 अगस्त रात 8:56 खत्म होगी। 31 अगस्त को गोगा नवमी रहेगी।
 
 
क्यों मनाई जाती है पंचमी : 
1. प्रतिवर्ष भाद्रपद के कृष्णपक्ष की पंचमी तिथि को गोगा पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन गोगादेव और नागदेवता की पूजा की जाती है। गोगा पंचमी के दिन जाहरवीर गोगाजी की पूजा करने से गोगाजी महाराज सर्प के काटने से हमारी रक्षा करते हैं।
 
2. मान्यता है कि गोगादेव बच्चों के जीवन की रक्षा करते हैं। माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए गोगादेव की पूजा करती हैं तथा बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। 
 
3. ऐसी मान्यता भी है कि इस दिन अगर नि:संतान महिलाएं गोगादेव का पूजन करें तो उनकी गोद भी जल्दी भर जाती है। 
 
4. इस व्रत के करने से स्त्रियां सौभाग्यवती होती हैं। उनके पतियों की विपत्तियों से रक्षा होती है और मनोकामना पूरी होती है। 
 
5. बहनें भाइयों के मस्तक पर टीका कर उन्हें मिठाई खिलाती हैं तथा स्वयं चना और चावल का बना हुआ बासी भोजन करती हैं। बदले में भाई यथाशक्ति बहनों को द्रव्य उपहार आदि भेट करते हैं।
 
6. इस दिन पूजा के पूर्व दीवार को साफ-सुथरी करके गेरू से पोतकर दूध में कोयला मिलाकर चौकोर चौक बनाया जाता है। उसके ऊपर 5 सर्प बनाए जाते हैं। फिर उसके बाद कच्चा दूध, पानी, रोली व चावल अर्पित किए जाते हैं तथा बाजरा, आटा, घी और शकर मिलाकर प्रसाद चढ़ाया जाता है।
 
 
कौन है गोगादेवजी : गोगादेव जाहरवीर (950 ईस्वी) चौहान वंश में जन्मे ये राजस्थान के प्रसिद्ध चमत्कारिक सिद्ध पुरुष हैं। गोगाजी राजस्थान के लोकदेवता के नाम से पीर के रूप में प्रसिद्ध हुए हैं। गोगाजी का जन्म राजस्थान के ददरेवा (चुरू) चौहान वंश के राजपूत शासक जैबर (जेवरसिंह) की पत्नी बाछल के गर्भ से गुरु गोरखनाथ के वरदान से भादो सुदी नवमी को हुआ था।
 
लोकमान्यता व लोककथाओं के अनुसार गोगाजी को साँपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। लोग उन्हें गोगाजी चौहान, गुग्गा, जाहिर वीर व जाहर पीर के नामों से पुकारते हैं। यह गुरु गोरक्षनाथ के प्रमुख शिष्यों में से एक थे। राजस्थान के छह सिद्धों में गोगाजी को समय की दृष्टि से प्रथम माना गया है। नुमानगढ़ जिले के नोहर उपखंड में स्थित गोगाजी के पावन धाम गोगामेड़ी स्थित गोगाजी का समाधि स्थल जन्म स्थान से लगभग 80 किमी की दूरी पर स्थित है। इतिहासकारों के अनुसार गोगादेवजी अपने बेटों सहित मेहमूद गजनबी के आक्रमण के समय सतलुज के मार्ग की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे।